राजनैतिक और राजकाज के सुधारों की कहीं ज्यादा व्यापक अपील होती है क्योंकि वे आर्थिक दक्षता लाने की संभावनाओं से भरे होते हैं. वहीं, सामाजिक ढांचों और परंपराओं को तोड़ने के मकसद से लाए गए सुधारों को स्वीकृति पाने में वक्त लगता है. यह फरवरी, 2024 के इंडिया टुडे देश का मिज़ाज सर्वेक्षण का दोटूक निष्कर्ष है. मसलन, 'एक राष्ट्र एक चुनाव' (ओएनओपी) के विचार को ज्यादा स्वीकृति मिल रही है. बार-बार चुनाव महंगे होने के अलावा, नीति बनाने की प्रक्रिया में खलल भी डाल सकते हैं और खासकर कारोबारियों तथा निवेशकों के बीच अनिश्चितता पैदा कर सकते हैं. ताजातरीन देश का मिज़ाज सर्वे दिखाता है कि बहुमत - 65.9 फीसद- एक राष्ट्र एक चुनाव के पक्ष में है, यह देखते हुए कि संसद और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने से खर्च कम हो सकते हैं और व्यवधान भी कम हो सकते हैं. वैसे उत्तरदाताओं के एक हिस्से को अब भी लगता है कि ऐसा कदम संघवाद को नकारता है. 21.3 फीसद लोगों के इसके पक्ष में न होने और 12.8 फीसद के अनिर्णय की स्थिति में होने से यह स्पष्ट है.
इसके अलावा जिस एक और पहल को स्वीकृति मिल रही है, वह है जाति जनगणना 59.2 फीसद इसके पक्ष में और 27.8 फीसद खिलाफ हैं. केंद्र सरकार जब दस साल में एक बार होने वाली जनगणना को बार-बार टाल रही है-आखिरी राष्ट्रीय जनगणना 2011 में हुई थी-कई राज्य जाति जनगणना को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार करने और आरक्षण को नए सिरे से तय करने का आधार बनाने को तैयार हैं. मगर स्पष्ट बहुमत-59 फीसद-मानता है कि आरक्षण जाति के आधार पर नहीं बल्कि पूरी तरह व्यक्ति की आर्थिक हैसियत के आधार पर होना चाहिए. साल भर पहले ऐसा मानने वाले 57.3 फीसद थे. दोनों ही कसौटियों पर विचार करने के पक्षधर लोगों के प्रतिशत में साफ गिरावट दिखती है-32.3 से 27.9 फीसद.
This story is from the February 21, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the February 21, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई