इंडिया से कदमताल करता भारत
India Today Hindi|March 13, 2024
इस और अगले वित्त वर्ष में करीब 7 फीसद की अनुमानित विकास दर के बावजूद अर्थशास्त्री अक्सर ग्रामीण आय और उपभोग में सुस्ती का हवाला देते हुए उसे समृद्धि में बाधक बताते हैं. लेकिन 24 फरवरी को केंद्र की ओर से जारी किए गए नए आंकड़े इस मोर्चे पर थोड़ी खुशी दर्शाते हैं.
एम. जी. अरुण
इंडिया से कदमताल करता भारत

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआइ) ने करीब 11 साल बाद हुआ पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण (सीईएस) जारी किया है. इसमें बताया गया है कि शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण भारत में सामान और सेवाओं पर खर्च तेज गति से बढ़ा है. इसे प्रति व्यक्ति औसत मासिक व्यय (एमपीसीई) के रूप में प्रदर्शित किया गया है. यह खर्च ग्रामीण इलाकों में 62 फीसद बढ़कर 2022-23 में 3,773 रुपए हो गया जो 2011 - 21 में 1,430 रुपए था. शहरी केंद्रों में यह 2,630 रुपए से बढ़कर 6,459 रुपए पर पहुंच गया. इस सर्वेक्षण में देशभर के 8,723 गांवों और 6,115 शहरी ब्लॉक के परिवारों को शामिल किया गया. यह सर्वेक्षण भारतीयों के उपभोग और खर्च के तौरतरीकों, उनके जीवन स्तर और खुशहाली को समझने में उपयोगी है. इसी तरह का सर्वेक्षण 2017-18 में किया गया था पर उसके नतीजे केंद्र ने जुटाए गए आंकड़ों की गुणवत्ता के मसले का हवाला देते हुए खारिज कर दिए थे.

ताजा रिपोर्ट में एक और उत्साहजनक बात यह है कि ग्रामीण भारत में गैर-खाद्य खर्च (54 फीसद) खाद्य खर्च (46 फीसद) की तुलना में अधिक है. खाद्य पर कम खर्च का एक साफ मतलब यह भी हो सकता है कि एक व्यक्ति अब उपभोक्ता सामान, परिधान या अन्य पसंद के उत्पादों पर ज्यादा खर्च करने का इच्छुक और समर्थ है.

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