भारतीय श्रम बाजार मुख्यतः 'अनौपचारिक क्षेत्र' पर केंद्रित है, जिसमें 81 फीसद कार्यबल असंगठित क्षेत्र से जुड़ा है और 90 फीसद से अधिक अनौपचारिक तौर पर कार्यरत है. कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की भागीदारी अविश्वसनीय ढंग से 82.9 फीसद होने के बीच रिपोर्ट यह सवाल भी उठाती है कि क्या भारत अपनी विशाल आबादी के कारण होने वाले लाभ गंवा रहा है.
साल 2022 तक के नवीनतम डेटा पर आधारित यह रिपोर्ट बताती है कि 2000 से 2019 के बीच श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी घट रही थी, मगर अब इसमें सुधार होने लगा है. ऊपरी तौर पर यह तथ्य उम्मीद भरा नजर आता है, मगर अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि यह बदलाव दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गिरती घरेलू आय के कारण काम करना महिलाओं की मजबूरी बनता जा रहा है. इसलिए, अधिकांश वृद्धि मुख्यतः उन महिलाओं के कारण हुई, जिन्होंने खुद ही बतौर श्रमिक (जो न भुगतान कर रहीं और न वेतन ले रही हैं) और अवैतनिक पारिवारिक श्रमिकों के साथ मिलकर स्वरोजगार की शुरुआत की.
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