प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में यह विरल खासियत है कि चुटकी बजाते ही उनके मन में पूरी तस्वीर उभर आती है और फिर किसी कलाकार की तरह बिंदु- दर-बिंदु चित्र उकेरने लगते हैं. जैसा कि उन्होंने पिछले दिसंबर में एक बातचीत में इंडिया टुडे से कहा था, "जब मैं कुछ शुरू करता हूं, मुझे अंतिम बिंदु पता होता है. मगर मैं शुरुआत में कभी भी अंतिम मंजिल या ब्लूप्रिंट की घोषणा नहीं करता. मेरा विजन और योजना एक के बाद एक खुलती चली जाती है.' तमिलनाडु में वोटिंग की तारीख से 10 दिन पहले 9 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने चेन्नै में रोड शो किया जो शहर के मध्य टी. नगर से गुजरा और जब यह खत्म होने वाला था, उन्होंने घोषणा की, "चेन्नै ने मुझे जीत लिया."
मोदी अपनी रैली के लिए जिस रास्ते से होकर गए, उसकी प्रतीकात्मक अहमियत मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की नजरों से छिपी नहीं रह सकी, जो सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष और आठ पार्टियों के सेक्यूलर प्रोग्रेसिव एलायंस (एसपीए) के प्रमुख भी हैं, जो साथ-साथ राज्य की सभी 39 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है. अगले दिन डिंडिगुल की सभा में स्टालिन गरजे, "प्रिय प्रधानमंत्री, आपको पता है कि कल जिस जगह टी. नगर में आपने रोड शो किया, उसे अपना यह नाम कैसे मिला? उसका नाम जस्टिस पार्टी के नेता के नाम पर है. यह द्रविड़ों का किला है और आपको लगता है, यहां आप अपना दिखावा कर सकते हैं?" 1916 में स्थापित जस्टिस पार्टी को तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन का जनक माना जाता है और उसके संस्थापकों में तियागराय चेट्टी भी थे, जिनके नाम पर टी. नगर नाम रखा गया. 1949 में डीएमके की स्थापना के साथ वह आंदोलन राजनैतिक हो गया और जिसने अपने से टूटकर अलग हुए धड़े-ऑल इंडिया अन्ना डीएम (एआईएडीएमके)-के साथ 1967 से ही राज्य में बारी-बारी से हुकूमत की है. कोई भी राष्ट्रीय पार्टी-कांग्रेस भी- राज्य पर उनकी पकड़ को हिला नहीं पाई.
This story is from the April 24, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the April 24, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई