"आप जानते हैं कि वे कौन लोग हैं जिनसे हमें देश को बचाना है... कांग्रेस और झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के जो कारनामे हैं... उनके ठिकानों से जो नोटों के बंडल निकल रहे हैं... यहां मंत्री, मंत्री का पीए, पीए का भी नौकर... " प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 मई को झारखंड के चतरा जिले में एक रैली के दौरान यह कहा. इस बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, "मैंने तो कभी अपनी आंखों से इतने नोट नहीं देखे.'' उन्हें सुनकर रैली में मौजूद भीड़ उत्साहित होकर जोरदार तरीके से नारे लगाती नजर आई.
प्रधानमंत्री का इशारा 6 मई को झारखंड के नौकरशाह संजीव लाल के घरेलू सहायक जहांगीर आलम के फ्लैट से कथित तौर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापे में बरामद 32 करोड़ रुपए की 'बेहिसाब ' नकदी की ओर था. लाल राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव हैं. कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में पहले लाल और उनके घरेलू सहायक हिरासत में लिए गए, फिर ईडी ने दो दिन की पूछताछ के बाद 15 मई को आलम को गिरफ्तार कर लिया. उससे पहले मंत्री ने इन आरोपों से किनारा करते हुए दावा किया था कि लाल पहले राज्य के अन्य मंत्रियों के कार्यालय में काम कर चुके हैं.
झारखंड में 2019 से सत्तासीन झामुमो-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल सरकार के कार्यकाल में 'बढ़ते भ्रष्टाचार' को भाजपा ने राज्य में लोकसभा चुनाव अभियान का एक मुख्य मुद्दा बना रखा है. इससे पहले माह की शुरुआत में सिंहभूम में एक अन्य रैली में प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और झामुमो के बीच 'भ्रष्टाचार और लूट की होड़ लगी होने का आरोप लगाया था. जनवरी में कथित भूमि घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने पलामू में एक अन्य रैली में कहा, "एक पूर्व सीएम अपने कृत्यों की वजह से जेल में हैं."
This story is from the May 29, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the May 29, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
एक अभिनेत्री का रचना सुख
अभिनेत्री ऋचा चड्ढा हाल में प्राइम में वीडियो पर रिलीज गर्ल्स विल बी गर्ल्स के साथ प्रोड्यूसर के रोल में आने के अलावा पहली बार मां बनने के सुख पर
अबकी बार डुबकी
यूपी की योगी सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य डिजिटल तकनीक का अभूतपूर्व प्रयोग करके धरती के सबसे बड़े आयोजन की सुविधाओं को दिया आकार. पहली बार महाकुंभ आने वालों की होगी गणना
स्पैम के खिलाफ भारत की जंग
अवांछित कॉल और संदेशों की डिजिटल महामारी को रोकने के लिए नए तकनीकी समाधान एवं नियम लागू किए जा रहे. मगर यह लंबी लड़ाई
चीन की चालबाज चेतावनी
भारतीय वायु सेना अपने लड़ाकू विमानों की घटती संख्या और स्वदेशी परियोजनाओं में देरी से जूझ रही है, जबकि चीन 5वीं पीढ़ी की जेट टेक्नोलॉजी से आगे निकल गया और उसका पिछलग्गू पाकिस्तान भी अपनी ताकत बढ़ा रहा है
ये रेलवे गुमटी हैं या भारतपाकिस्तान बॉर्डर !
बिहार का सहरसा शहर सात रेलवे गुमटियों की वजह से दो हिस्सों में बंटा. इनके घंटों बंद रहने से जाम में फंसकर रोगियों की जान जा रही, छात्रों की परीक्षाएं छूट रहीं. आंदोलनों के बाद तीन शिलान्यास, कई निविदाओं और हर चुनाव में बावजूद रेलवे ओवरब्रिज 25 साल से महज एक सपना वादों के
नई व्यवस्था से पारदर्शी होंगे लैंड रिकॉर्ड
कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना के भूमि दस्तावेज प्रबंधन में भू-भा सुधारों की बदौलत पारदर्शिता और कार्यकुशलता लाने का वादा किया है जिसे करने में पुराना धरणी पोर्टल नाकाम रहा था
अंकल डॉन को आपकी जरूरत नहीं
डोनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद अगर आप्रवासियों संबंधी अपनी सख्त नीति पर अमल किया तो अमेरिका में भारतीयों का रहना मुश्किल हो जाएगा. यह डर कितना वास्तविक है और भारत को आखिर क्या करना चाहिए
झीलों के मिजाज की नक्शेसाजी
हिमालय की वादियों में बसा सिक्किम अपनी प्राकृतिक भव्यता और कई पहाड़ी झीलों की रमणीयता तथा खूबसूरती के लिए जाना जाता है. उत्तरपूर्व के इस राज्य को हाल में ऐसी मुसीबत झेलनी पड़ी जिससे जलवायु परिवर्तन से होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के गहरे असर का पता चला. 4 अक्तूबर, 2023 को बादल फटने से लोनक घाटी में 17,000 फुट की ऊंचाई पर बनी दक्षिण लोनक झील के बांध टूट गए.
गोपनीयता है सबसे जरूरी
केंद्र की ओर से पेश किए गए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 का मसौदा किसी व्यक्ति के डिजिटल आचरण, उसकी पहुंच और डेटा गोपनीयता को नया रुप देने के लिए तैयार
आंदोलन पर सवार भारत भाग्य विधाता
ऐसा माना जा रहा है कि बिहार लोकसेवा आयोग (बीपीएससी) के खिलाफ 2024 के दिसंबर महीने से शुरू हुआ आंदोलन अब अवसान की ओर है.