आखिरकार जीत दीदी की ही हुई. 4 जून की शाम को घड़ी में छह बजकर कुछ मिनट ही हुए होंगे. ममता बनर्जी कोलकाता के कालीघाट में अपने आवास के पीछे बने मंच पर चढ़ीं. भूरे रंग की बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहने ममता 61 दिनों में 108 प्रचार कार्यक्रमों में भाग लेने के बावजूद चुस्त-दुरुस्त दिख रही थीं. तृणमूल कांग्रेस के सैकड़ों समर्थक नारे लगा रहे थे, हरे रंग के गुलाल में रंगे मंच के सामने जश्न का माहौल था, जो कि लाजिमी भी था. तृणमूल कांग्रेस उनके नेतृत्व में 2024 के लोकसभा चुनाव में शीर्ष पर उभरी. उसने बंगाल की 42 सीटों में से दो-तिहाई से ज्यादा पर कब्जा कर लिया. मंच पर उन्होंने अपने भतीजे और तृणमूल राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी का हाथ थामा और उन्हें डायमंड हार्बर से रिकॉर्ड जीत के लिए बधाई दी. कैमरों की फ्लैशिंग से पहले तृणमूल अध्यक्ष ने बड़ी बारीकी से यह संदेश दिया कि अभिषेक अब निस्संदेह उनकी विरासत के ध्वजवाहक हैं. अभिषेक ने 2021 के विधानसभा चुनाव की जीत की रणनीति के बाद पार्टी की चुनाव रणनीति, संगठन और उम्मीदवारों की पसंद को आकार देने के साथ ही एक और शानदार जीत की पटकथा लिखी है. उनकी वजह से बंगाल के किले में सेंध लगाने की भाजपा की भव्य योजना एक बार फिर खटाई में पड़ गई. ममता ने कहा, "उन्होंने सात लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की है. इसके लिए हमें जनता को बधाई देनी चाहिए."
चुनावी मौसम की शुरुआत से लेकर इसके समापन चरणों तक अभिषेक की जो सबसे उल्लेखनीय बात रही, वह थी तृणमूल की जोरदार जीत में उनका भरपूर आत्मविश्वास. अभिषेक ने 28 मई को डायमंड हार्बर में एक रैली में कहा था कि तृणमूल ने पहले छह चरणों में 33 में से 23 सीटें जीती हैं. तब विपक्षी नेताओं ने इसका मजाक उड़ाया था लेकिन जैसे-जैसे मतों की गिनती हुई, अभिषेक का दावा सही साबित होता गया. अब मजाक एग्जिट पोल का उड़ रहा है, जिसमें बंगाल में भाजपा की भारी जीत की भविष्यवाणी की गई थी. आखिर में भगवा खेमे की तस्वीर निराशाजनक दिखी. वह 2019 में जीती गई 18 सीटों में से आठ को तृणमूल के हाथों हार गई. राज्य की सत्ताधारी पार्टी को 29 सीटें मिलीं, जिससे मतदाताओं पर उसकी जबरदस्त पकड़ की पुष्टि हो गई. भाजपा 12 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही.
This story is from the 19th June, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the 19th June, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.