प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2021 में जम्मू-कश्मीर के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से कहा था कि वे 'दिल्ली की दूरी' और 'दिल की दूरी' खत्म करना चाहते हैं. 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद यह कश्मीरी नेतृत्व के साथ केंद्र की पहली औपचारिक बातचीत थी. वक्त-वक्त पर उम्मीद और विकास की ऐसी पेशकशों ने 20-21 जून को प्रधानमंत्री मोदी की श्रीनगर यात्रा से आखिरकार ठोस शक्ल अख्तियार कर ली. तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री पद की बागडोर संभालने के महज एक पखवाड़े बाद मोदी ने दो राजनैतिक आश्वासन दिए-अरसे से लंबित विधानसभा चुनाव और राज्य का दर्जा बहाल करना-जिनसे कई कश्मीरी दिल खिल उठे होंगे. हाल के दिनों में कुछ और अच्छे संकेत भी थे. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 16-17 मई को अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान भाजपा के नेताओं से कहा था कि वे विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू करें. विधानसभा चुनाव आखिरी बार 2014 में हुए थे. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कइयों को इससे हैरानी नहीं हुई क्योंकि केंद्र को जम्मू-कश्मीर में सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव करवाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सिर पर मंडरा रहा है और हर हफ्ते नजदीक आता जा रहा है.
श्रीनगर में डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में हुए आयोजन में यंग एचीवर्स को संबोधित करते हुए मोदी ने हाल ही संपन्न लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर भागीदारी के लिए लोगों की तारीफ की. उन्होंने कहा, "इससे बेहतर क्या ' हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग अपने जनप्रतिनिधि चुनें और उनके जरिए अपनी समस्याओं से निबटें. इसीलिए विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं... वह दिन दूर नहीं जब आप जम्मू-कश्मीर की नई सरकार चुनेंगे." प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा, "वह दिन जल्द आएगा जब जम्मू-कश्मीर एक बार फिर राज्य बनकर अपना भविष्य गढ़ेगा." इस बार लोकसभा चुनावों में जम्मू और कश्मीर में 35 साल में सबसे ज्यादा - 58.4 फीसद मतदान हुआ.
This story is from the July 10, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the July 10, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.