यह आत्मविश्वास बेवजह नहीं है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को लोकसभा की महज चार सीटें मिलीं, तीन अन्य वह बहुत कम मतों के अंतर से हारी, मगर उसने अच्छे-खासे 96 ' लाख वोट बटोरे और बिहार में सबसे ज्यादा वोट पाने वाली पार्टी बन गई. इसका मतलब है उसके पास राज्य में सबसे ज्यादा जनसमर्थन है. 2024 में राजद की वोट हिस्सेदारी में 52 फीसद का उल्लेखनीय उछाल आया, जबकि 2019 में उसे 63 लाख वोट मिले थे. (वैसे, पार्टी ने इस बार 23 सीटों पर चुनाव लड़ा, जो 2019 के मुकाबले चार ज्यादा थीं.) राजद का इरादा इस नई मिली ताकत को भुनाना है-उसके अंदरूनी लोगों को भरोसा है कि विधानसभा चुनावों में जीत उनकी पहुंच के भीतर है, जो अक्तूबर 2025 में होने है, पर शायद पहले भी हो सकते हैं.
तेजस्वी ने 21 जून को पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर पार्टी नेताओं की मैराथन बैठक बुलाई. संदेश साफ था, खासकर उन लोगों के लिए, जो अपने-अपने विधानसभा हिस्से में बढ़त हासिल नहीं कर सके कड़ी मेहनत करो या विधानसभा चुनाव का टिकट पाने का मौका गंवा दो. तय समय से पहले चुनाव की संभावना को देखते हुए तेजस्वी ने विधायकों को हिदायत दी कि जमीनी स्तर पर तत्काल काम शुरू करें, जनता से जुड़ें और दो महीनों में रिपोर्ट लेकर आएं कि क्या गड़बड़ी हुई और क्यों हुई. यही नहीं, उन्होंने फरमान दिया कि लोकसभा चुनाव में नाकाम रहे उम्मीदवार भी अपने लोकसभा क्षेत्र के हर विधानसभा हिस्से में आभार यात्रा निकालें. तेजस्वी भी पूरे राज्य के व्यापक दौरे की तैयारी कर रहे हैं, जो अगस्त में शुरू होना है.
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