जमीन, समुद्र और आसमान में फैली देश की रक्षा के साजो-सामान के व्यापक स्वरूप को देखते हुए भारत तेजी से बदलती दुनिया में सुरक्षा चुनौतियों पर खरा उतरने की अच्छी स्थिति में है. भरोसा दिलाने वाली बात यह है कि देश के पास न केवल परमाणु शस्त्रागार है बल्कि इसने जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियार दाग सकने में सक्षम विश्वसनीय परमाणु त्रयी भी विकसित की है. यह मजबूत सैन्य मौजूदगी भू-राजनीति में भी इसका प्रभाव बढ़ाती है. 2024 के ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक, भारत दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है और इससे क्षेत्रीय सुरक्षा के मामले में भी देश की अहम भूमिका की झलक मिलती है. मगर प्रतिरक्षा में बड़ी वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने के लिए अभी भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.
इसमें कोई शक नहीं कि अपने बढ़ते वैश्विक प्रभाव के साथ भारत एक क्षेत्रीय सैन्य शक्ति है, मगर उसे अमेरिका, रूस और चीन की तरह 'सैन्य महाशक्ति' की श्रेणी में नहीं रखा जाता. विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की सैन्य महाशक्ति बनने की आकांक्षा के लिए बहुआयामी नजरिया अपनाने की जरूरत है. इसमें सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाना, मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाना, प्रशिक्षण बढ़ाना, अनुसंधान और विकास में निवेश करना, साइबर और अंतरिक्ष क्षमताओं में इजाफा करना, समुद्री ताकत को मजबूत करना, आर्थिक और औद्योगिक सहायता हासिल करना, खुफिया और निगरानी तंत्र को मजबूत करना, एटमी ताकत का डर बनाए रखना और सॉफ्ट पावर तथा कूटनीति का फायदा उठाना शामिल है.
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