एक दशक बाद सितंबर में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव होंगे. लोगों को उम्मीद है कि वे आखिरकार सरकारी फैसलों में उन्हें स्थानीय प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा. जम्मू (43) और कश्मीर (47) की 90 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव 18 सितंबर से 1 अक्तूबर तक तीन चरणों में होगा. 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) का दर्जा देने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा. जून 2018 से अब तक छह साल से ज्यादा अरसे से जम्मू-कश्मीर सीधे केंद्रीय शासन के अधीन है.
सकारात्मक संकेत यह है कि सभी सियासी पार्टियां इस प्रक्रिया के बारे में आश्वस्त हैं और जून में हुए लोकसभा चुनाव के बाद से इसके लिए कमर कस रही हैं. आम चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और भाजपा ने क्रमश: कश्मीर और जम्मू में दो-दो सीटें हासिल कीं. पांचवीं सीट अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआइपी) के उम्मीदवार शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद ने जीती. आम चुनाव में भाजपा ने 24 फीसद से ज्यादा वोट शेयर के साथ जम्मू में चुनावी मैदान पर अपना दबदबा बनाया था. उसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (22.3 फीसद), कांग्रेस (19.4 फीसद) और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (8.5 फीसद) का स्थान रहा.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने अब गठबंधन का ऐलान किया है, जिससे भाजपा की चुनावी संभावनाओं को झटका लग सकता है. इतना ही नहीं, भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस गठबंधन की संभावनाओं से इतने आशंकित हैं कि उन्होंने इसे 'अपवित्र गठबंधन' करार दे दिया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दो दिन के लिए 21 अगस्त को जम्मू-कश्मीर आए थे. दोनों ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन की संभावना तलाशने के अलावा राज्य का दर्जा बहाल करना पार्टी की प्राथमिकता है, जिसे स्थानीय लोगों का भरपूर समर्थन मिला है. राहुल ने कहा, "ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. केंद्र शासित प्रदेश राज्य बन गए हैं, लेकिन यह पहली बार है जब कोई राज्य केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. हमने अपने राष्ट्रीय घोषणापत्र में भी अपनी प्राथमिकता साफ कर दी है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार वापस मिलें."
This story is from the September 11, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 11, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.