पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या से पूरे देश में हड़कंप मचने के हफ्ते भर बाद एक और खौफनाक घटना सुर्खियों में थी - असम में 14 साल की एक लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार. कोलकाता मामले ने सरकारी लीपापोती के आरोपों के बीच विवादों का तूफान खड़ा किया, जबकि गुवाहाटी से करीब 100 किमी दूर नगांव के ढींग की घटना ने राज्य में गहराते सामाजिक-राजनैतिक विभाजन के लक्षण के तौर पर ध्यान खींचा.
ढींग के मामले के मुख्य संदिग्ध को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया, मगर 23 अगस्त को वह पुलिस हिरासत से कथित तौर पर भागने की कोशिश करते हुए तालाब में डूब मारा गया. उसी दिन एक अलग, मगर उसी तरह की घटना में पुलिस ने तेजपुर में छेड़छाड़ के आरोपी एक आदमी को भागने की कोशिश करते वक्त गोली मार दी. ये घटनाएं 2021 में हेमंत बिस्व सरमा के असम का मुख्यमंत्री बनने के बाद उभरे चिंताजनक पैटर्न को उजागर करती हैं. बलात्कार, नशीले पदार्थों की तस्करी या दूसरे गंभीर अपराधों से जुड़े मामलों में संदिग्ध - अक्सर मुस्लिम - पुलिस हिरासत के दौरान प्रायः विवादास्पद परिस्थितियों में मारे गए.
इन मौतों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाने के बजाए असम के कई लोगों ने इन्हें तुरत-फुरत इंसाफ की मिसाल बताकर तारीफ में कसीदे पढ़े. वहीं सरमा ने अपने प्रशासन के हाथों "बलात्कार के मामलों से मुस्तैदी से निबटने" का बचाव करते हुए महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी लाने के जरिए के तौर पर इस तरीके का स्पष्ट समर्थन किया. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में बलात्कार के दर्ज किए जाने वाले मामलों की संख्या करीब आधी रह गई है - 2021 में 1,779 से घटकर 2023 में 989. ढींग की घटना के संदिग्ध के डूबने के एक दिन बाद सरमा ने कहा, "लोगों ने हमसे अपराधियों को गिरफ्तार करने या कानूनी कार्रवाई करने के लिए नहीं कहा; उन्होंने तुरंत इंसाफ की मांग की. लगता है, न्यायिक प्रणाली से भरोसा खत्म हो रहा है, शायद इसलिए कि कई मामलों में इंसाफ देर से होता है."
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