विकेश और अंजलि इसलिए सतर्क थे क्योंकि हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई जांच में उनके गांव में 20 से ज्यादा लोग सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित पाए गए, लेकिन तीन साल पहले इसी गांव में ब्याहकर आई 22 साल की शीला इस बीमारी से अनभिज्ञ थीं जिसके कारण अब उनके दो साल के बेटे जय को जिंदगीभर इस लाइलाज बीमारी से जूझना पड़ेगा. शीला और उनके पति ललित को सिकल सेल एनीमिया था, लेकिन जांच की व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें इस बीमारी का पहले पता नहीं चल पाया. सिकल सेल एनीमिया के लक्षण अब उनके दो साल के बेटे जय में पहुंच गए हैं. इस नन्ही उम्र में वह भी सिकल सेल पॉजिटिव हो गया है.
शीला की तरह ही चोखला गांव के डेढ़ साल के जीनल को यह बीमारी माता-पिता से विरासत में मिली है. जीनल की माता संतोष कचरा और उसके पति सिकल सेल एनीमिया पॉजिटिव थे, जिसके कारण अब जीनल में भी यह लाइलाज बीमारी पाई गई है.
चोखला के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी जयप्रकाश कटारा कहते हैं. "भविष्य में किसी को जय और जीनल जैसी जिंदगी विरासत में न मिले, इसके लिए हम गांव में जितने भी शादी योग्य युवक-युवतियां हैं उन्हें सिकल सेल एनीमिया की जांच कराने और पॉजिटिव युवक-युवती को शादी नहीं करने की सलाह दे रहे हैं."
चिकित्सा विभाग के इस अभियान और सलाह का असर नजर आने लगा है. बांसवाड़ा के सज्जनगढ़, कुशलगढ़, बागीदौरा और आनंदपुरी उपखंडों में स्क्रीनिंग में सिकल सेल एनीमिया की पुष्टि होने के बाद कई युवक-युवतियों ने आपस में शादी नहीं की. बागीदौरा के खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण लबाना कहते हैं, "हमारे पास आए दिन शादी से पूर्व सिकल सेल एनीमिया जांच के लिए युवक-युवतियां आ रहे हैं और वे एक-दूसरे की जांच रिपोर्ट देखकर ही शादी कर रहे हैं."
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