कोचिंग शिक्षा की काशी माना जाता है कोटा शहर. यहां से बारां रोड पर करीब 11-12 किलोमीटर चलने के बाद मुंबई और दुबई की तरह बहुमंजिला इमारतों वाला एक अलग कस्बा नजर आता है. यह कोटा का कोरल पार्क इलाका है. जिसे मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए आने वाले छात्रों को लग्जरी हॉस्टल सुविधा देने को बसाया गया है. 1,500 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बना यह इलाका इन दिनों किसी भुतहा शहर जैसा नजर आ रहा है. यहां की अमूमन हर इमारत पर टू-लेट् के बोर्ड लटके हैं और लग्जरी कमरों में वीरानी छाई है.
इस वीरानी की वजह यह है कि इस बार कोटा में पिछले सालों के मुकाबले करीब 40 फीसद स्टुडेंट्स कम आए हैं. कोरल पार्क जैसा ही हाल शहर के राजीव नगर, जवाहर नगर और लैंडमार्क सिटी (कुन्हाड़ी) इलाकों का है. पिछले साल तक कोटा शहर के ये इलाके देश के अलग-अलग हिस्सों से मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग करने के लिए आने वाले छात्र-छात्राओं से गुलजार थे, मगर इस बार कोटा की तरफ छात्रों का रुझान कम होने के कारण कोरल पार्क, राजीव नगर और जवाहर नगर इलाकों के हॉस्टल्स में 40-50 फीसद तक कमरे खाली पड़े हैं.
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