अगले महीने टी20 विश्व कप है। हमेशा की तरह भारत को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। एक तरफ क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में वरिष्ठ खिलाड़ियों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह हैं। वहीं, दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड की विदाई लगभग तय है। बीसीसीआइ ने नया कोच चुने जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विदेशी कोच की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इस पद के लिए गौतम गंभीर, आशीष नेहरा, युवराज सिंह के नाम पर कयास लगाए जा रहे हैं। विदेशी कोच में स्टीफन फ्लेमिंग, माइक हेसन, जस्टिन लेंगर और रिकी पोंटिंग के नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा है।
पिछले 10 साल में भारत के खाते में एक भी आइसीसी ट्रॉफी नहीं आ पाई है। इसलिए जरूरी है कि नए कोच का नाम तय करने से पहले उनके हर पहलू पर गौर किया जाए, क्योंकि आने वाले कोच की छाप अगले तीन साल तक भारतीय क्रिकेट पर दिखाई देगी। राहुल द्रविड़ के कोच रहते भारत टेस्ट, वनडे और टी20आइ रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचा था लेकिन टीम कोई भी आइसीसी ट्रॉफी जीतने में असफल रही थी। उनके कार्यकाल में टीम इंडिया 2022 टी20 विश्व कप में सेमीफाइनल, 2023 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप और 2023 वनडे विश्व कप में उपविजेता रही थी। हालांकि, द्रविड़ का कार्यकाल को सिर्फ ट्रॉफी के लिहाज से नहीं देखा जा सकता, क्योंकि उनकी नियुक्ति बहुत ही मुश्किल भरे समय में हुई थी।
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बालमन के गांधी
ऐसे दौर में जब गांधी की राजनीति, अर्थनीति, समाजनीति, सर्व धर्म समभाव सबसे देश काफी दूर जा चुका है, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का रंग-ढंग बदलता जा रहा है, समूचे इतिहास की तरह स्वतंत्रता संग्राम के पाठ में नई इबारत लिखी जा रही है, गांधी के छोटे-छोटे किस्सों को बच्चों के मन में उतारने की कोशिश वाकई मार्के की है। नौंवी कक्षा की छात्रा रेवा की 'बापू की डगर' समकालीन भारत में विरली कही जा सकती है।
स्मृतियों का कोलाज
वंशी माहेश्वरी भारतीय और विश्व कविता की हिंदी अनुवाद की पत्रिका तनाव लगभग पचास वर्षों से निकालते रहे हैं। सक्षम कवि ने अपने कवि रूप को पीछे रखा और बिना किसी प्रचार-प्रसार के निरंतर काव्य- सजून करते रहे हैं।
लाल और चमकीला का पंजाब
बॉलीवुड के लिए कहानियों और संगीत का समृद्ध स्रोत रहा राज्य अब परदे पर नशे, फूहड़पन का पर्याय बना
दिखा महिला टीम का दम
एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी की जीत से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा, चीन से हार का बदला भी पूरा हुआ
ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करना प्राथमिकता
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दो साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आउटलुक के मनीष पाण्डेय ने सरकार के कामकाज, उपलब्धियों और परेशानियों के बारे विस्तृत बातचीत की। मुख्य अंश:
ढोल से डीजे तक का सफर
शादी में नाचने से ही रौनक आती है, नाचने के लिए धुन या गाने ऐसे हों कि बस कदम रुके ही नहीं
परंपरा और अर्थव्यवस्था का संगम
शादी के आभूषण अर्थव्यवस्था के साथ समाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्यों को भी प्रभावित करते हैं
असरदार हैं मशहूर लोगों की महंगी शादियां
शादी बड़ी हो या छोटी, अब हर शादी को यादगार पल बनाने की कोशिशें हो रही हैं
विवाह बाजार में आमद
भारत में महंगी और भव्य शादियों की चाह ने इसे एक अलग व्यापार बना दिया है, यह बाजार लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा और कंपनियों की पेशकश भी बढ़ रही
दो सियासी खानदानों पर प्रश्नचिन्ह
विधानसभा चुनावों में अपने-अपने दलों की जबरदस्त हार के बाद क्या शरद पवार और उद्धव ठाकरे उबर पाएंगे