फेड नहीं फूडः अर्थशास्त्रियों ने घरेलू महंगाई देखने पर दिया जोर
Business Standard - Hindi|November 09, 2024
कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मौद्रिक नीति खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा किए जाने वाले दर संबंधित बदलावों के मुकाबले खाद्य मुद्रास्फीति जैसे स्थानीय कारकों पर ज्यादा निर्भर करेगी।
शिखा चतुर्वेदी
फेड नहीं फूडः अर्थशास्त्रियों ने घरेलू महंगाई देखने पर दिया जोर

कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मौद्रिक नीति, खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा किए जाने वाले दर संबंधित बदलावों के मुकाबले खाद्य मुद्रास्फीति जैसे स्थानीय कारकों पर ज्यादा निर्भर करेगी। 'फूड और फेड' शीर्षक वाली पैनल परिचर्चा के दौरान इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने अनुमान जताया कि भारत में कोई भी दर कटौती संभवतः 50 आधार अंकों तक सीमित होगी, जो यह दर्शाता है कि आरबीआई द्वारा फेड के आक्रामक दर कटौती के उपायों को अपनाने की संभावना कम है और इसके बजाय वह स्थानीय आर्थिक जरूरतों के हिसाब से दर कटौती की समय-सीमा का विकल्प चुनेगा।

उन्होंने कहा, 'दर कटौती की समय-सीमा इस पर ज्यादा निर्भर होनी चाहिए कि हमारी स्वयं के स्थानीय संदर्भ में क्या सही है न कि इस संदर्भ में फेड के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश की जाए।' नायर ने मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं पर खाद्य और किराये जैसे स्थानीय मुद्रास्फीति कारकों के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, 'खाद्य मुद्रास्फीति घरेलू मुद्रास्फीति की धारणा पर हावी है।' उन्होंने बताया कि किराना और किराया जैसे आवश्यक मद भारतीय परिवारों में मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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