दिसंबर में अब रीपो रेट में कटौती की उम्मीद नहीं
■ वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए फरवरी में भी दर में कटौती को लेकर अनिश्चितता
■ वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही अगर आर्थिक गति आगे और सुस्त होती है तो दर में कटौती करनी पड़ सकती है
■ आधार के अनुकूल असर और अन्य वजहों के कारण नवंबर में खाद्य महंगाई घटनी शुरू होगी, जिसका समग्र महंगाई पर असर
अक्टूबर के महंगाई दर के आंकड़ों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दिसंबर में होने वाली बैठक के दौरान नीतिगत रीपो रेट में कटौती की संभावना खत्म कर दी है। वहीं अर्थशास्त्रियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि अगर घरेलू वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से कम नहीं हो जाती है तो वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए फरवरी में भी दर में कटौती को लेकर अनिश्चितता नज़र आ रही है।
अक्टूबर में भारत की समग्र महंगाई दर 14 महीने के उच्च स्तर 6.2 प्रतिशत पर पहुँच गई और उसने मौद्रिक नीति समिति द्वारा तय 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा को पार कर दिया। अक्टूबर में महंगाई दर के आंकड़े सितंबर के 5.49 प्रतिशत से ऊपर हैं, जो मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.87 प्रतिशत रहने की वजह से हुआ है। प्रमुख महंगाई दर (खाद्य और ईंधन की महंगाई को छोड़कर) कम बनी हुई है, हालाँकि डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा ज़्यादा शुल्क लगाने से प्रमुख महंगाई पर भी असर पड़ सकता है।
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