तकरीबन दो सदियों में पहले भोपाल की बेगमों के हाथ में सजने, फिर बड़े पर्दे पर महिला किरदारों की ठसक और रुतबे की पहचान बनने के बाद अब भोपाली बटुआ बॉलीवुड की तारिकाओं के हाथों में सज रहा है या नवयुवतियों की पसंद बना है। मगर इतनी शोहरत के बाद भी कलाकारी का यह नायाब नमूना अपना वजूद बनाए रखने के लिए जूझ रहा है। लागत में इजाफे, कारीगरों की कमी और दूसरे बाजारों से आने वाले सस्ते माल ने इसके लिए मुश्किल खड़ी कर दी हैं।
भोपाली बटुए का सफर करीब 200 साल पहले शुरू हुआ था, जब यहां शासन कर रही कुदसिया बेगम ने इसे बनवाया था। यह बटुआ असल में डोरी खींचकर खुलने और बंद होने वाला छोटा सा थैला (स्ट्रिंग पर्स) होता है, जो रेशम, साटिन या दूसरे कपड़े से बनता है। इस पर जरी-जरदोजी का काफी भारी काम भी किया जाता है। जरी-जरदोजी शैली की कढ़ाई में कपड़े पर धातु के तारों और मोतियों-सितारों की मदद से कढ़ाई की जाती है। इसी कलाकारी और नफासत की वजह से दूर से ही पहचान में आने वाले भोपाली बटुओं पर ग्राहकों की फरमाइश के हिसाब से सोने-चांदी के तारों से कढ़ाई की जाती है और कीमती रत्न भी इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन इनका बाजार अब सिमटता जा रहा है।
भोपाली बटुओं की करीब 190 साल पुरानी दुकान चला रहे सुनील पारेख ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमारे पुरखे गुजरात से यहां आकर बसे थे और बटुए बनाने का काम शुरू किया था। मैं उनकी ग्यारहवीं पीढ़ी से हूं। लेकिन अब यह काम मुनाफे का नहीं रह गया है और परिवार की विरासत बनाए रखने के लिए ही हम इसे चला रहे हैं। मुनाफा कमाने और अच्छी कमाई के लिए हम दूसरे कारोबार भी कर रहे हैं।’
बढ़ती लागत की मार
This story is from the December 02, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
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दिल्ली हवाई अड्डे पर फंसे यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कल
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जेप्टो का आईपीओ अगले साल आने के आसार
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जेप्टो भारत में सबसे तेजी से बढ़ती इंटरनेट कंपनी
क्विक कॉमर्स कंपनी जेप्टो के सह संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी आदित पालिचा का कहना है कि हाल में जुटाई गई रकम घरेलू निवेशकों से जुटाई गई अब तक की सबसे बड़ी रकम में से एक है। इससे कंपनी को भारतीय निवेशकों को अधिक शेयरधारिता देने में मदद मिलेगी। कंपनी अगले वित्त वर्ष में कभी भी आईपीओ लाने की योजना बना रही है। आर्यमन गुप्ता और शिवानी शिंदे के साथ बातचीत में इस क्षेत्र पर सरकार की बढ़ती जांच, विस्तार योजनाओं और आईपीओ के बारे में चर्चा की गई। प्रमुख अंश...
कच्चे तेल एवं पेट्रोल-डीजल निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर खत्म
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बाजार में अनिश्चितता बढ़ने से देसी शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के थोक सौदे भी कम हो रहे हैं। नवंबर में थोक सौदे यानी ब्लॉक डील घटकर 25,669 करोड़ रुपये रह गए जो 6 महीने में सबसे कम है। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि बड़े संस्थागत खरीदारों की सौदे में कम दिलचस्पी को देखते हुए कई निजी इक्विटी फर्में, प्रवर्तक इकाइयां और अन्य निवेशक अपनी शेयर बिक्री योजना फिलहाल टाल दी हैं।
गतिरोध टूटा, संविधान पर होगी चर्चा
शीतकालीन सत्रः सभी दलों के नेताओं के साथ बिरला की बैठक में खुला चर्चा का रास्ता