छटपटाहट सांस्कृतिक, संघर्ष 'स्व' का
Panchjanya|August 21, 2022
स्वराज और स्वतंत्रता की लड़ाई 1857 से बहुत पहले शुरू हुई थी। अलग-अलग कालखंडों में देश के विभिन्न हिस्सों में ये संघर्ष औपनिवेशिक शक्तियों के विरुद्ध थे। हालांकि आंचलिक मोर्चे पर लड़ी गई लड़ाइयां 1857 की क्रांति की तरह संगठित नहीं थीं। स्वराज के लिए हर कोई अपने सामर्थ्य के अनुसार लड़ा
चंद्रप्रकाश
छटपटाहट सांस्कृतिक, संघर्ष 'स्व' का

ब हम कहते हैं कि 15 अगस्त, 1947 को देश स्वतंत्र हुआ था, तो समझना चाहिए कि यह दिन सदियों के संघर्ष और बलिदानों का परिणाम था। सैकड़ों वर्षों के संघर्ष और राष्ट्र की अंतरात्मा अर्थात 'स्व' के पुनर्जागरण का परिणाम। सहस्रों बलिदानों का फल मिला और भारतमाता के पैरों में बंधी बेड़ियां टूट गईं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि यह वह स्वतंत्रता नहीं थी, जिसकी कल्पना देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों ने की थी। देश तीन टुकड़ों में टूट चुका था। जो बचा हुआ भारत मिला, वह भी कितना संप्रभु और स्वाधीन था, इस पर आज भी बहस जारी है। फिर भी यह एक सकारात्मक आरंभ था। भारत उन कुछ देशों में है, जिसने सबसे पहले ब्रिटिश दासता से मुक्ति पाई। भारत का स्वतंत्रता आंदोलन अन्य उपनिवेशों के लिए भी प्रेरणा बना।

भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही इतिहासकारों के एक वर्ग ने इसका सारा श्रेय वर्ष 1885 में स्थापित कांग्रेस पार्टी को देना शुरू कर दिया। कुछ बहुत उदार हुए तो उन्होंने स्वतंत्रता के संघर्ष को वर्ष 1857 की क्रांति से आरंभ हुआ माना। लेकिन ये दोनों ही विचार असत्य और अन्यायपूर्ण हैं। स्वतंत्रता का संघर्ष इससे कहीं अधिक पुराना और व्यापक था। लेकिन आज भी अधिकांश लोग इस सत्य से अनजान हैं। वामपंथियों द्वारा लिखी स्कूली पुस्तकों में तो प्रयासपूर्ण ढंग से उन वीरों की कथाएं दबाई या हटाई गईं, जिन्होंने उस चिंगारी को जलाए रखा, जो बाद में क्रांति की ज्वाला बनी।

1857 स्वतंत्रता का पहला युद्ध नहीं

This story is from the August 21, 2022 edition of Panchjanya.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the August 21, 2022 edition of Panchjanya.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM PANCHJANYAView All
शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
Panchjanya

शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता

रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे

time-read
2 mins  |
March 12, 2023
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
Panchjanya

शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!

वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !

time-read
2 mins  |
March 12, 2023
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
Panchjanya

कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की

कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
Panchjanya

फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा

अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
होली का रंग तो बनारस में जमता था
Panchjanya

होली का रंग तो बनारस में जमता था

होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
Panchjanya

आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन

भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है

time-read
4 mins  |
March 12, 2023
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
Panchjanya

नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा

नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

time-read
3 mins  |
March 12, 2023
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
Panchjanya

सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल

त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा

time-read
4 mins  |
March 12, 2023
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
Panchjanya

जीवनशैली ठीक तो सब ठीक

कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया

time-read
5 mins  |
March 12, 2023
नाकाम किए मिशनरी
Panchjanya

नाकाम किए मिशनरी

भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई

time-read
2 mins  |
March 12, 2023