आप किसी दुकानदार से कोई वस्तु खरीदते हैं और दुकानदार आपको बताता है कि उस वस्तु के मूल्य का एक हिस्सा सामाजिक कार्य करने वाले किसी गैरसरकारी संगठन को दान दिया जाएगा तो आप क्या महसूस करेंगे ? अमूमन लोग यही सोचेंगे कि सामान खरीद कर वे सामाजिक कार्य में अपना योगदान कर रहे हैं। परंतु वह पैसा अगर आपके ही घरपरिवार के सदस्यों का मानस बदलने, परिवार की मान्यताओं, आस्था, परंपरा से हटाने के लिए खर्च किया जाए तो? यही अमेजन ने किया।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कन्वर्जन में जुटी एक अमेरिकी संस्था 'ऑल इंडिया मिशन' को अमेजन द्वारा धन मुहैया कराने की बात उजागर होने से हड़कंप मचा है। देशभर से इस मामले की गहन जांच और ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कानून बनाने की मांग उठ रही है। लेकिन मामला केवल अमेजन तक सीमित नहीं है। दूसरी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी भारत में कन्वर्जन के इस खेल में शामिल संस्थाओं को धन मुहैया कराने में जुटी हैं। याद रखिए, ईस्ट इंडिया कंपनी भी शुरुआत में कारोबार करने आई थी, लेकिन बाद में उसने भारत के समाज, शिक्षा व्यवस्था, आस्था, परंपराओं, सभी पर असर डाला और उन्हें नष्ट-भ्रष्ट कर ईसाइयत थोपने की कोशिश की।
दरअसल, सितंबर 2022 के दूसरे हफ्ते में अरुणाचल प्रदेश की एक संस्था सोशल जस्टिस फोरम ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को एक शिकायत भेजी थी। इसमें कहा गया था कि अनाथालय चलाने वाला 'ऑल इंडिया मिशन' नामक एक एनजीओ पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय समुदाय के लोगों को ईसाई बनाने में जुटा है। इसे अमेजन धन मुहैया करा रही है। अमेरिकी संस्था को यह वित्तपोषण 'अमेजन स्माइल' नामक कार्यक्रम के जरिए हो रहा है। इस पर एनसीपीसीआर ने 16 सितंबर को पत्र भेजकर अमेजन इंडिया से स्पष्टीकरण मांगा।
This story is from the November 27, 2022 edition of Panchjanya.
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अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
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