अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने प्रस्ताव का समर्थन किया है, उनको मैं विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं। समता पार्टी के श्री जर्ज फर्नांडीस, शिवसेना के श्री सरपोतदार, अकाली दल के नेता बरनाला जी और हरियाणा विकास पार्टी के जयप्रकाश जी इन सबने प्रस्ताव का समर्थन किया है। जिन्होंने अलोचना की है, मैं उनकी आलोचना का उत्तर दूंगा, मगर मैं विशेष रूप से श्री मुरासोली मारन का उल्लेख करना चाहूंगा। अपने प्रिय मित्र श्री मुरासोली मारन के लिए कृतज्ञता का एक विशेष शब्द है मेरे पास। निश्चित मुद्दों पर हमारे मतभेदों के बावजूद, उन्होंने काफी गंभीरता से खरीद-फरोख्त के मुद्दे को साफ-साफ और तथ्यों के साथ रखा, यह स्पष्ट करते हुए कि हमने अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए सूटकेसों का उपयोग नहीं किया।
अध्यक्ष महोदय, मुझ पर आरोप लगाया गया है, और यह आरोप मेरे हृदय में घाव कर गया है। आरोप यह है कि मुझे सत्ता का लोभ हो गया है। और मैंने पिछले 10 दिन में जो कुछ किया है वह सत्ता के लोभ के कारण किया है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने उल्लेख किया था कि मैं 40 साल से इस सदन का सदस्य हूं। कभी हम सत्ता के लोभ से गलत काम करने के लिए तैयार नहीं हुए। यहां पर श्री शरद पवार जी बैठे हुए हैं। जब मेरे मित्र जसवंत सिंह जी भाषण कर रहे थे तो श्री शरद पवार यहां नहीं थे। उस समय श्री जसवंत सिंह जी कह रहे थे कि श्री शरद पवार ने अपनी पार्टी तोड़कर हमारे साथ सरकार बनाई। सत्ता के लिए बनाई थी या महाराष्ट्र के भले के लिए बनाई थी, यह अलग बात है। मगर उन्होंने अपनी पार्टी तोड़कर हमारे साथ सहयोग किया था। मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया। बार-बार इस चर्चा में एक स्वर सुनाई दिया कि वाजपेयी तो अच्छा है, मगर पार्टी ठीक नहीं है।
This story is from the December 25, 2022 edition of Panchjanya.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई