कैसे करें महामृत्युंजय मन्त्र साधना और प्रयोग
Jyotish Sagar|February 2023
महाशिवरात्रि पर विशेष
तुषार जोशी
कैसे करें महामृत्युंजय मन्त्र साधना और प्रयोग

हामृत्युंजय मन्त्र भगवान् शिव का सबसे बड़ा मन्त्र माना जाता है। हिन्दू धर्म में इस मन्त्र को प्राणरक्षक और महामोक्षप्रदायक मन्त्र कहा जाता है। मान्यता है कि 'महामृत्युंजय मन्त्र से शिवजी को प्रसन्न करने वाले जातक से मृत्यु भी डरती है। इस मन्त्र को सिद्ध करने वाला जातक निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त करता है। यह मन्त्र ऋषि मार्कण्डेय द्वारा सबसे पहले पाया गया था। भगवान् शिव को कालों का काल ‘महाकाल' कहा जाता है। मृत्यु अगर निकट आ जाए और आप महाकाल के महामृत्युंजय मन्त्र का जप करने लगे, तो यमराज की भी हिम्मत नहीं होती है कि वह भगवान् शिव के भक्त को अपने साथ ले जाए।

इस मन्त्र की शक्ति से जुड़ी कई कथाएँ शास्त्रों और पुराणों में मिलती है, जिनमें बताया गया है कि इस मन्त्र के जप से गम्भीर रूप से बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो गए और मृत्यु के मुँह में पहुँच चुके व्यक्ति भी दीर्घायु का आशीर्वाद पा गए। यही कारण है कि ज्योतिषी और पण्डित बीमार व्यक्तियों को और ग्रह दोषों से पीड़ित व्यक्तियों को महामृत्युंजय मन्त्र जप करवाने की सलाह देते हैं। शिव को अति प्रसन्न करने वाला मन्त्र है 'महामृत्युंजय मन्त्र। लोगों की धारणा है कि इसके जप से व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती, परन्तु यह पूरी तरह सही अर्थ नहीं है।

‘महामृत्युंजय' का अर्थ है 'महामृत्यु पर विजय' अर्थात् व्यक्ति की बार-बार मृत्यु नहीं हो। वह मोक्ष को प्राप्त हो जाए। उसका शरीर स्वस्थ हो, धन एवं मान की वृद्धि तथा वह जन्म-मृत्यु के बन्धन से मुक्त हो जाए। महामृत्युंजय मन्त्र यजुर्वेद के रुद्राध्याय का एक मन्त्र है। इसमें शिव की स्तुति की गई है। शिव को ‘मृत्यु को जीतने वाला' माना जाता है। कहा जाता है कि यह मन्त्र भगवान् शिव को प्रसन्न कर उनकी असीम कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। इस मन्त्र का सवा लाख बार निरन्तर जप करने से आने वाली अथवा मौजूदा बीमारियाँ तथा अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव तो समाप्त होता है। इस मन्त्र के माध्यम से अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है।

This story is from the February 2023 edition of Jyotish Sagar.

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