वे महापुरुष एकांत में रहते थे। गुरु ने ध्यान, भजन, जप-तप आदि सिखाया। बच्चा १८-२० साल का हो गया। एक दिन गुरु ने कहा कि "बेटा! तूने यहाँ रह के भगवद्-उपासना की, थोड़े-बहुत शास्त्र पढ़ लिये और महापुरुषों का संग तेरे माँ-बाप ने करा ही दिया है, अब थोड़ा देशाटन कर ताकि तेरे चित्त में कुछ और समझ विकसित हो।” ब्रह्मचारी इतने सालों से जंगल में ही रहा। गुरु, उनका आश्रम और उनकी गायें-इनके सिवाय उसने कुछ देखा ही नहीं था। वह निर्दोष ब्रह्मचारी गया देशाटन करने। रास्ता तय करते-करते कहीं भूख लगे तो भिक्षा माँग ली, खा लिया और चलता भया।
एक दिन वह ब्रह्मचारी किसी गाँव से गुजरा। एक बड़ा विचित्र दृश्य देखा कि कुछ लोग गीत गाये जा रहे हैं और एक व्यक्ति है जो घोड़े पर बैठा है। गुरु ने बताया था कि ‘बेटा ! जो कुछ देखे-सुने उसमें कुछ समझ में न आये तो जिज्ञासा करके अपना अज्ञान निवृत्त करना।' उसने लोगों को पूछा कि "यह क्या है?"
लोगों ने कहा : ‘“यह बारात है।"
"बारात का क्या मतलब होता है?"
This story is from the October 2023 edition of Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
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पूज्य बापूजी की रिहाई ही देश को विश्वगुरु बना सकती है
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९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।