भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने समस ‘चन्द्रयान-३’ के प्रक्षेपण के पूर्व तथा चन्द्र मिशन पूरा होने के बाद भगवान की पूजा-प्रार्थना की । इस पर संस्कृतिविरोधी तत्त्वों ने अपना प्रलाप चालू कर दिया। परंतु मिथ्या प्रलाप से सत्य को कैसे झुठलाया जा सकता है? बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने इस सत्य को स्वीकार किया है, कर रहे हैं कि विज्ञान में सफलता के लिए अध्यात्म की अनिवार्य आवश्यकता है।
आलोचना करनेवालों के मुँह पर लगाम लगाते हुए एस. सोमनाथ ने स्पष्ट कहा कि "मैं चन्द्रमा की खोज करता हूँ। मैं आंतरिक जगत की खोज करता हूँ। विज्ञान और आध्यात्मिकता-दोनों की खोज करना मेरे जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है। हमारे अस्तित्व का और इस ब्रह्मांड में हमारी यात्रा का गूढ़ार्थ क्या है यह खोजने का प्रयास करता हूँ। इसलिए मैं कई शास्त्र पढ़ता हूँ।"
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