छत्तीसगढ़ में कुपोषण की समस्या अब धीरे-धीरे खत्म होने लगी है। कुपोषण के खिलाफ चार साल पहले शुरू की गई लड़ाई के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। 2019 में शुरू किए गए 'मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान' के तहत मिलने वाले गरम भोजन और पौष्टिक आहार से अब तक लगभग 2 लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हो चुके हैं। इससे पहले राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार थी। इससे राज्य की 1 लाख से अधिक महिलाओं को एनीमिया से भी मुक्त कराया गया।
2015-16 के राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार थे। वहीं 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। 2018 में कुपोषित बच्चों की
संख्या बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुँच गई। अधिकांश कुपोषित बच्चे आदिवासी और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले थे।
छत्तीसगढ़ में चल रहे 'मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान' की वजह से कुपोषण की दर में लगातार कमी आ रही है। 2020-21 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार राज्य के में कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत रह गई है। कुपोषण की राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत है।
छत्तीसगढ़ में कुपोषण की स्थिति की सतत निगरानी के लिए हर साल 'वजन त्यौहार' का आयोजन किया जाता है। इस त्यौहार में बच्चों का वजन मापा जाता है। 2021 में आयोजित किए गए 'वजन त्यौहार' में करीब 22 लाख बच्चों का वजन लिया गया था। 2019 से 2021 के बीच कुपोषण की दर में 3.51 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। कुपोषण का आंकलन पारदर्शी और सटीक तरीके से करने के लिए राज्य सरकार बाहरी एजेंसियों की मदद ले रही है।
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