Modern Kheti - Hindi Magazine - 1st October 2024Add to Favorites

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In this issue

Special Issue

आलू से बनेगा एथेनॉल

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान आलू के अपशिष्ट को इथेनॉल में बदलने के लिए एक पायलट प्लांट स्थापित करने की योजना बना रहा है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश भारत, फसल कटाई के बाद होने वाले भारी नुकसान का सामना करता है।

आलू से बनेगा एथेनॉल

2 mins

भूमिगत पानी को पुनर्जीवित करने के लिए धान की फसल का बदलाव आवश्यक

एक अध्ययन में पाया गया है कि चावल की खेती वाले लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र के स्थान पर अन्य फसलें उगाने से उत्तर भारत में वर्ष 2000 से अब तक नष्ट हुए 60-100 घन किलोमीटर भूजल को पुनः प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

भूमिगत पानी को पुनर्जीवित करने के लिए धान की फसल का बदलाव आवश्यक

2 mins

फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए माइक्रोफ्लूडिक सिस्टम तैयार

फसल की पैदावार बढ़ाने के प्रयासों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने मिट्टी जैसी स्थिति बनाने के लिए एक पोर्टेबल और सस्ता माइक्रोफ्लूडिक सिस्टम विकसित किया है। उन्होंने इस सिस्टम का परीक्षण भी किया है, जिसमें पता चला है कि पोषक तत्वों के प्रवाह को बेहतर करने से जड़ों के बढ़ने और नाइट्रोजन अवशोषण में सुधार हो सकता है।

फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए माइक्रोफ्लूडिक सिस्टम तैयार

2 mins

डेयरी पशुओं में भ्रूण स्थानांतरण के लिए देसी तकनीक तैयार

वैक्सीन निर्माता इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स (आईआईएल) ने स्वदेशी इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) मीडिया 'षष्ठी' लांच किया है, जिसे इसकी मूल कंपनी - राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से विकसित किया गया है।

डेयरी पशुओं में भ्रूण स्थानांतरण के लिए देसी तकनीक तैयार

2 mins

कम हो रही मिट्टी की जैव विविधता मिट्टी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

एक नए शोध में पाया गया कि जमीन के अंदर रहने वाले जीवों में गिरावट आने का सबसे बड़ा कारण मिट्टी का प्रदूषण है। इस खोज ने वैज्ञानिकों को अचंभे में डाल दिया है, जिन्होंने इस बात के आसार जताए थे कि अंधाधुंध खेती और जलवायु परिवर्तन इस तरह की समस्याओं को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भूमि के ऊपर, भूमि उपयोग, जलवायु परिवर्तन और आक्रामक प्रजातियों का जैव विविधता पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमने मान लिया था कि यह जमीन के नीचे भी ऐसा ही होगा।

कम हो रही मिट्टी की जैव विविधता मिट्टी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

2 mins

मूत्र के नमूनों में कीटनाशक अवशेष पाए जाने से स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ीं

अक्टूबर 2021 से अप्रैल 2023 के बीच एक व्यापक अध्ययन में तेलंगाना के किसानों पर कीटनाशक संपर्क के प्रभाव के बारे में चिंताजनक जानकारी सामने आई है। यह शोध भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार के सहयोग से प्रायोजित किया गया था। इस गहन जांच में तीन जिलों-यादाद्री-भुवनगिरी, विकराबाद और संगारेड्डी के 15 गांवों को शामिल किया गया और लंबे समय से उपयोग किए जा रहे कीटनाशकों का स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों पर नया अध्ययन किया गया। यह किसानों को इन रसायनों के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देता है। इस अध्ययन का उद्देश्य किसानों और कृषि श्रमिकों में कीटनाशक संपर्क के स्तर का आकलन करना था, जो फसल संरक्षण उत्पादों के करीब रहने के कारण खतरनाक रसायनों के संपर्क में रहते हैं। विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने 493 प्रतिभागियों के साथ व्यापक क्षेत्र में कार्य किया। किसानों को दो समूहों में विभाजित किया गया: कीटनाशकों के संपर्क में आने वाले और नियंत्रण समूह जिनका कोई ज्ञात संपर्क नहीं था।

मूत्र के नमूनों में कीटनाशक अवशेष पाए जाने से स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ीं

3 mins

प्याज की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-मनजीत सिंह

खेती से किसान अपनी तकदीर बदल सकते हैं और खुद को गरीबी से बाहर निकाल सकते हैं, बस सही समय पर सही तकनीक और तरीके से खेती करने की जरूरत है। पंजाब के मानसा जिले के अंतर्गत घरांगना गांव के किसान मनजीत सिंह ने भी इसी तरह से सफलता हासिल की है।

प्याज की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले सफल किसान-मनजीत सिंह

2 mins

ज्ञान विज्ञान के सफल लेखक डॉ. फकीर चंद शुक्ला

डॉ. फकीर चंद शुक्ला व्यवसायिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि बहुत अमीर प्राप्त भोजन विज्ञानी हैं। वह पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी से बतौर प्रोफैसर (भोजन विज्ञान) सेवा मुक्त हुए हैं।

ज्ञान विज्ञान के सफल लेखक डॉ. फकीर चंद शुक्ला

3 mins

चने की खेती की पैदावार कैसे करें?

चने की खेती हमारे देश में दलहनी फसलों में अपना प्रमुख स्थान रखती है। भारत विश्व में सबसे बड़ा चना उत्पादक (कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत) देश है। क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों ही दृष्टि में दलहनी फसलों में चने का मुख्य स्थान है। समस्त उत्तर से मध्य व दक्षिण भारतीय राज्यों में चना रबी फसल के रुप में उगाया जाता है।

चने की खेती की पैदावार कैसे करें?

7 mins

सतावर की आधुनिक वैज्ञानिक खेती

विभिन्न औषधीय पौधों में सतावर एक महत्वपूर्ण औषधीय पौध है जिसका उपयोग प्राचीन समय से ही पारम्परिक औषधि के रूप में किया जा रहा है।

सतावर की आधुनिक वैज्ञानिक खेती

3 mins

सफल कृषि व्यापार के लिए अहम दस्तावेज लेने की प्रक्रिया

अपने कृषि व्यापार की पहुंच बढ़ाने, इसकी स्थिरता एवं और लाभ बढ़ाने के लिए निर्धारित व्यापारिक मानकों एवं दस्तावेजों को पूरा कर लेना भी आवश्यक है। कृषि उत्पादों की राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रयी मार्केट तक पहुंच बनाने के लिए, ऑनलाईन मार्केटिंग के लिए, उद्यम रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए एवं भोजन सुरक्षा का विश्वास देने के लिए कानूनन प्रक्रियाएं (रजिस्ट्रेशनां/लाइसैंस) पूरी कर लेनी चाहिएं।

सफल कृषि व्यापार के लिए अहम दस्तावेज लेने की प्रक्रिया

2 mins

देहात-बीज से बाजार तक

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के अधिकांश लोग आज भी अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। दूसरे शब्दों में हमारी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही है। इन परस्थितियों में कृषक की भूमिका अत्याधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

देहात-बीज से बाजार तक

1 min

कृषि में सिंचाई प्रबंधन

सिंचाई के लिए पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता के आधार पर सिंचाई प्रबंधन की योजना बनाना कृषि कार्यों की सफलता के लिए आवश्यक है। सिंचाई प्रबंधन का उद्देश्य फसलों को आवश्यक मात्रा में पानी प्रदान करना है, ताकि उनकी वृद्धि, विकास और उत्पादन अधिकतम हो सके।

कृषि में सिंचाई प्रबंधन

2 mins

अनार में जड़गांठ सूत्रकृमि का प्रबंधन

सूत्रकृमि (निमेटोड) एक तरह का पतला धागानुमा कीट होता है। यह जमीन के अन्दर पाया जाता है। इसे सूक्ष्मदर्शी की सहायता द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार तथा बिना खंडों वाला होता है। मादा सूत्रकृमि गोलाकार एवं नर सर्पिलाकार आकृति का होता है। इनका आकार 0.2 मि.मी. से 10 मि.मी. तक हो सकता है। सूत्रकृमि कई तरह के होते हैं और इनमें से प्रमुख जड़गांठ सूत्रकृमि है।

अनार में जड़गांठ सूत्रकृमि का प्रबंधन

3 mins

उपभोक्ता मामलों में बीज उत्पादक बरते सावधानियां

बीज धरा का गहना है। कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में अन्य कारकों के साथ बीज मुख्य कारक है। अतः खाद्य समृद्धि के लिए बीज का उत्तम ही नहीं, सर्वोत्तम एवं चरित्रवान होना आवश्यक है। बीज कानूनों जैसे बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश 1983 तथा अन्य, बीज गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने वाले बीज उत्पादक, बीज विक्रेता को कठोरत्तम दण्ड देता है, परन्तु बीज का निम्न गुणवत्ता के कारण हुई फसल क्षति पूर्ति करने का कोई प्रावधान नहीं है। लोक सभा में प्रस्तावति बीज विधेयक (Seed Bill 2019) में कृषक क्षतिपूर्ति का स्पष्ट प्रावधान किया गया है परन्तु नये बीज अधिनियम के अन्तर्गत उपजे क्षति पूर्ति के विवादों का निपटारा भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार ही होगा।

उपभोक्ता मामलों में बीज उत्पादक बरते सावधानियां

5 mins

नैनो प्रौद्योगिकी का कृषि में महत्व

नैनो प्रौद्योगिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की एक नई दिशा है, जिसकी आधुनिक कृषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इसके माध्यम से उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है, परन्तु कृषि में इसका उपयोग अभी सीमित ही है। किसानों के लिए यदि यह प्रौद्योगिकी लाभप्रद हो सके तो यह कृषि की दशा और दिशा बदलने में महत्वपूर्ण कदम होगा। नैनो प्रौद्योगिकी द्वारा यदि रासायसिक खादों को तैयार किया जाये तो खाद की गुणवत्ता और उपयोगिता दोनों बढ़ जायेंगी, जिसके फलस्वरुप खेती के लिए कम मात्रा में खाद की आवश्यकता होगी।

नैनो प्रौद्योगिकी का कृषि में महत्व

2 mins

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन अप्रत्यक्ष रूप से भी कृषि को प्रभावित करता है जैसे खरपतवार को बढ़ाकर, फसलों और खरपतवार के बीच स्पर्द्धा को तीव्र करना, कीट-पतंगों तथा रोगजनकों की श्रेणी का विस्तार करना इत्यादि।

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव

4 mins

धान के भण्डारण के लिए कुछ आवश्यक सुझाव

भरपूर उपज प्राप्त करने के लिए किसान जी तोड़ मेहनत करता है। परंतु धान और अनाज के दुश्मन कीट आदि उसे उसकी मेहनत का लाभ नहीं लेने देते। इससे किसान का नुकसान तो होता ही है, यह नुकसान सिर्फ किसान का ही नहीं, बल्कि सारे राष्ट्र का है तथा उसका मुख्य कारण है, धान की उसके दुश्मनों से सुरक्षा न होना एवं उसका रखरखाव के लिए सही प्रबंध का न होना।

धान के भण्डारण के लिए कुछ आवश्यक सुझाव

2 mins

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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:

PublisherMehram Publications

CategoryBusiness

LanguageHindi

FrequencyFortnightly

Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.

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