क्षारीय भूमि की मृदाओं का पी. एच. मान 8.5 से अधिक व संतृप्त निष्कर्ष की विद्युत चालकता 4 डेसी साइमन प्रति मीटर से कम होती है तथा विनिमयशील सोडियम 15 प्रतिशत से अधिक होता है। घुलनशील लवणों में सोडियम की प्रधानता के कारण मृदा कणों का प्रकीर्णन हो जाता है जिससे इन मृदाओं की भौतिक दशा खराब हो जाती है। क्षारीयता पौधों की जड़ों तक पानी की आपूर्ति को सीमित करता है जिस कारण पौधों की जड़ों के विकास में बाधा आती है । इसके परिणामस्वरूप फास्फोरस और जिंक की पौधों में कमी हो जाती है। इसके अलावा लोहे की कमी तथा बोरान विषाक्तता भी पाई जाती है। क्षारीयता से क्षतिग्रस्त होने पर पौधों में मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्व निकालने की क्षमता कम हो जाती है जिस कारण पौधा सही से बढ़वार नहीं ले पाता।
क्षारीय भूमि का सुधार एवं प्रबंधन :
1. खेतों की मेढ़बंदी व समतलीकरण करना
मेढ़बंदी का मुख्य उद्देश्य है कि जब खेतों का सुधार कर रहे हो तो दूसरे खेत जिसमें सुधार प्रक्रिया नहीं कर रहे, उसका पानी खेत में न आ सके। दूसरा सुधारक डालने के बाद पानी खेत से बहार न जा सके। इसलिए खेत के चारों तरफ लगभग 45-60 सैंटीमीटर ऊंची मेढ़ को बनायें।
भूमि का समतलीकरण करना भी अति आवश्यक है ताकि लवण निक्षालन की प्रक्रिया खेत की जमीन पर एक सामान हो सके। यदि खेत का समतलीकरण ठीक से नहीं हुआ तो लवण निक्षालन की प्रक्रिया एक समान नहीं होगी जिससे पौधों का बढ़वार एक समान नहीं होगा। खेतों का समतलीकरण लेजर लेबलर की सहायता से करें व ध्यान रखें कि खेत का ढलान 0.1 प्रतिशत हो तो उत्तम है। भूमि सुधार की यह प्रक्रिया जनवरी से मार्च तक पूरा करें।
This story is from the 15th May 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।