खेत में ख़ुशहाली की फ़सल
Aha Zindagi|August 2024
प्राकृतिक खेती में पारंगत कानसिंह निर्वाण को सिर्फ़ साक्षर होते हुए भी समझ आ गया कि प्राकृतिक खेती, मूल्य संवर्धन और खुद कृषि विपणन करने के साथ कृषि पर्यटन को अपनाना ग्रामीण खुशहाली की बेहतरीन पगडंडी है। उनकी कहानी, उनकी जुबानी...
डॉ. महेंद्र मधु
खेत में ख़ुशहाली की फ़सल

राजस्थान में सीकर से 10 किमी. पर हमारा गांव कटराथल है। किसान परिवार में 1965 की 20 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन जन्म हुआ। पिताजी दानसिंह खेती में जुटे रहते। मां मदन कंवर घर के कामों के बाद खेती में उनका सहयोग करतीं। खेती में एक ओर पानी की कमी थी तो दूसरी ओर आवश्यक कृषि संसाधनों का अभाव। इन सबमें औपचारिक शिक्षा नहीं पा सका, लेकिन बचपन में मां और धर्म के नाना लादूराम गढ़वाल से कृषि के गुर भरपूर सीखे। कुछ बड़ा हुआ तो खेती के लिए नए संसाधन जुटाए। 1995 में सुशीला से विवाह हुआ तो कृषि नवाचारों में हम दो कंधे बन गए। तीन बेटे और एक बेटी इस कठिन पथ पर सक्रिय साथी बने। राजवीर बीबीए की डिग्री ली और घुड़सवारी में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। हमारे घोड़े घुड़सवारी की प्रतियोगिताओं में नाम कमा रहे हैं। जसवीर ने बीए किया और कबड्डी में नाम कमा रहा है। राजवंश बारहवीं के बाद पायलट बनने की तैयारी में है। बेटी नीहारिका एलएलबी की पढ़ाई के साथ हमारे जोर की ढाणी कृषि पर्यटन केंद्र को संभाल रही है। हम पांच एकजुट न होते तो आज का कृषि पर्यटन में ख़ास पहचान बनाने वाला कानसिंह निर्वाण नहीं होता। पारिवारिक एकजुटता का परिणाम है कि हमारे यहां प्राकृतिक गो आधारित खेती और इससे जुड़ी जीवन पद्धति में पारंगत होने रोज़ाना बड़ी संख्या में लोग देश-विदेश से आते हैं। यहां विचलित मन का वैज्ञानिक तरीक़े से इलाज भी होता है।

यूं बनता गया कारवां

This story is from the August 2024 edition of Aha Zindagi.

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अन्न उपजाए अंग भी उगाए
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अन्न उपजाए अंग भी उगाए

बायो टेक्नोलॉजी चमत्कार कर रही है। सुनने में भारी-भरकम लगने वाली यह तकनीक उन्नत बीजों के विकास और उत्पादों का पोषण बढ़ाने के साथ हमारे आम जीवन में भी रच बस चुकी है। अब यह सटीक दवाओं और असली जैसे कृत्रिम अंगों के निर्माण से लेकर सुपर ह्यूमन विकसित करने सरीखी फंतासियों को साकार करने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।

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November 2024
इसे पढ़ने का फ़ैसला करें
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...और जीवन में ग़लत निर्णयों से बचने की प्रक्रिया सीखें। यह आपके हित में एक अच्छा निर्णय होगा, क्योंकि अच्छे फ़ैसले लेने की क्षमता ही सुखी, सफल और तनावरहित जीवन का आधार बनती है। इसके लिए जानिए कि दुविधा, अनिर्णय और ख़राब फ़ैसलों से कैसे बचा जाए...

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5 mins  |
November 2024
जहां अकबर ने आराम फ़रमाया
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जहां अकबर ने आराम फ़रमाया

लाव-लश्कर के साथ शहंशाह अकबर ने जिस जगह कुछ दिन विश्राम किया, वहां बसी बस्ती कहलाई अकबरपुर। परंतु इस जगह का इतिहास कहीं पुराना है। महाभारत कालीन राजा मोरध्वज की धरती है यह और राममंदिर के लिए पीढ़ियों तक प्राण देने वाले राजा रणविजय सिंह के वंश की भी। इसी इलाक़े की अनूठी गाथा शहरनामा में....

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November 2024
पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा
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पर्दे पर सबकुछ बेपर्दा

अब तो खुला खेल फ़र्रुखाबादी है। न तो अश्लील दृश्यों पर कोई लगाम है, न अभद्र भाषा पर। बीप की ध्वनि बीते ज़माने की बात हो गई है। बेलगाम-बेधड़क वेबसीरीज़ ने मूल्यों को इतना गिरा दिया है कि लिहाज़ का कोई मूल्य ही नहीं बचा है।

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3 mins  |
November 2024
चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श
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चंगा करेगा मर्म पर स्पर्श

मर्म चिकित्सा आयुर्वेद की एक बिना औषधि वाली उपचार पद्धति है। यह सिखाती है कि महान स्वास्थ्य और ख़ुशी कहीं बाहर नहीं, आपके भीतर ही है। इसे जगाने के लिए ही 107 मर्म बिंदुओं पर हल्का स्पर्श किया जाता है।

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November 2024
सदियों के शहर में आठ पहर
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सदियों के शहर में आठ पहर

क्या कभी ख़याल आया कि 'न्यू यॉर्क' है तो कहीं ओल्ड यॉर्क भी होगा? 1664 में एक अमेरिकी शहर का नाम ड्यूक ऑफ़ यॉर्क के नाम पर न्यू यॉर्क रखा गया। ये ड्यूक यानी शासक थे इंग्लैंड की यॉर्कशायर काउंटी के, जहां एक क़स्बानुमा शहर है- यॉर्क। इसी सदियों पुराने शहर में रेलगाड़ी से उतरते ही लेखिका को लगभग एक दिन में जो कुछ मिला, वह सब उन्होंने बयां कर दिया है। यानी एक मुकम्मल यायावरी!

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November 2024
... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई
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... श्रीनाथजी के पीछे-पीछे आई

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को जीवंत करती है पिछवाई कला। पिछवाई शब्द का अर्थ है, पीछे का वस्त्र । श्रीनाथजी की मूर्ति के पीछे टांगे जाने वाले भव्य चित्रपट को यह नाम मिला था। यह केवल कला नहीं, रंगों और कूचियों से ईश्वर की आराधना है। मुग्ध कर देने वाली यह कलाकारी लौकिक होते हुए भी कितनी अलौकिक है, इसकी अनुभूति के लिए चलते हैं गुरु-शिष्य परंपरा वाली कार्यशाला में....

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November 2024
एक वीगन का खानपान
Aha Zindagi

एक वीगन का खानपान

अगर आप शाकाहारी हैं तो आप पहले ही 90 फ़ीसदी वीगन हैं। इन अर्थों में वीगन भोजन कोई अलग से अफ़लातूनी और अजूबी चीज़ नहीं। लेकिन एक शाकाहारी के नियमित खानपान का वह जो अमूमन 10 प्रतिशत हिस्सा है, उसे त्यागना इतना सहज नहीं । वह डेयरी पार्ट है। विशेषकर भारत के खानपान में उसका अतिशय महत्व है। वीगन होने की ऐसी ही चुनौतियों और बावजूद उनके वन होने की ज़रूरत पर यह अनुभवगत आलेख.... 1 नवंबर को विश्व वीगन दिवस के ख़ास मौके पर...

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November 2024
सदा दिवाली आपकी...
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सदा दिवाली आपकी...

दीपोत्सव के केंद्र में है दीप। अपने बाहरी संसार को जगमग करने के साथ एक दीप अपने अंदर भी जलाना है, ताकि अंतस आलोकित हो। जब भीतर का अंधकार भागेगा तो सारे भ्रम टूट जाएंगे, जागृति का प्रकाश फैलेगा और हर दिन दिवाली हो जाएगी।

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November 2024
'मां' की गोद भी मिले
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'मां' की गोद भी मिले

बच्चों को जन्मदात्री मां की गोद तो मिल रही है, लेकिन अब वे इतने भाग्यशाली नहीं कि उन्हें प्रकृति मां की गोद भी मिले- वह प्रकृति मां जिसके सान्निध्य में न केवल सुख है, बल्कि भावी जीवन की शांति और संतुष्टि का एक अहम आधार भी वही है। अतः बच्चों को कुदरत से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के जतन अभिभावकों को करने होंगे। यह बच्चों के ही नहीं, संसार के भी हित में होगा।

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November 2024