Panchjanya Magazine - November 27, 2022Add to Favorites

Panchjanya Magazine - November 27, 2022Add to Favorites

Go Unlimited with Magzter GOLD

Read Panchjanya along with 9,000+ other magazines & newspapers with just one subscription  View catalog

1 Month $9.99

1 Year$99.99 $49.99

$4/month

Save 50%
Hurry, Offer Ends in 9 Days
(OR)

Subscribe only to Panchjanya

Buy this issue $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Gift Panchjanya

In this issue

कन्वर्जन, आम जन और Amazon
क्या जनता की जरूरतों का सामान बेचने वाला ई-कामर्स प्लेटफार्म आस्था के सौदागरों का औजार हो सकता है? बहराष्ट्रीय रिटेल कम्पनी पर भारत की पांथिक विविधता को नाष्ट करने में मिली भगत के आरोप परेशान करने वाले है. कन्वर्जन के खेल में लगी हैं और भी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां.देशभर में उठी गहन जांच की मांग.

सामने विरोध, पीछे गलबहियां

सत्ता पाने के लिए कांग्रेस कुछ भी कर सकती है। जिस गांधी परिवार ने सार्वजनिक तौर पर पहले राजीव गांधी के हत्यारों को माफ करने की बात कही थी, अब उनकी रिहाई पर चुप है। लेकिन कांग्रेस केंद्र सरकार पर चुप्पी का आरोप मढ़ रही है। जो डीएमके रिहाई के फैसले का स्वागत कर ही है, उसके साथ कांग्रेस का गठबंधन है

सामने विरोध, पीछे गलबहियां

6 mins

#1984 सिख विरोधी दंगा न्याय की हुई नाकाबंदी

1984 के सिख विरोधी दंगों में मामलों की पुनर्जांच के लिए गठित एसआईटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस. एन. ढींगरा ने दंगा पीड़ितों के साथ हुए अन्याय पर बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पुलिस, अभियोजन पक्ष और न्यायपालिका ने गैर-जिम्मेदारी दिखाई। साथ ही उन्होंने दंगाइयों को बचाने में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के रुख को भी उजागर किया। न्यायमूर्ति ढींगरा से राज चावला की बातचीत के अंश

#1984 सिख विरोधी दंगा न्याय की हुई नाकाबंदी

7 mins

जगी न्याय की उम्मीद

1984 के सिख नरसंहार में कांग्रेस और उसके नेताओं के हाथ खून में सने हैं। 9 राज्यों में दंगे हुए, लेकिन 38 साल के बाद भी पीड़ित सिखों को न्याय नहीं मिला, क्योंकि पुलिस और दूसरी जांच एजेंसी ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई। अब एसआईटी बनने के बाद डरे-सहमे लोग सामने आकर सच बता रहे हैं

जगी न्याय की उम्मीद

5 mins

कांग्रेस की शह पर कत्लेआम

नवंबर, 1984 में दिल्ली में सिखों को चुन-चुन कर मारा जा रहा था। कांग्रेस सरकार बदले की भावना से काम कर रही थी, कांग्रेसी नेताओं ने लोगों को उकसाया

कांग्रेस की शह पर कत्लेआम

3 mins

कन्वर्जन, आम जन और अमेजन

क्या जनता की जरूरतों का सामान बेचने वाला ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म आस्था के सौदागरों का औजार हो सकता है ? बहुराष्ट्रीय रिटेल कम्पनी पर भारत की पांथिक विविधता को नष्ट करने में मिलीभगत के आरोप परेशान करने वाले हैं। देशभर में उठी गहन जांच की मांग

कन्वर्जन, आम जन और अमेजन

7 mins

खेल में और भी बड़े खिलाडी

कन्वर्जन के खेल में बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां लगी हुई हैं। ये कंपनियां कन्वर्जन कराने वाली संस्थाओं को चंदा देती हैं और संस्थाएं इसका उपयोग प्रकारांतर से कन्वर्जन में करती हैं

खेल में और भी बड़े खिलाडी

8 mins

सर्वोच्च न्यायालय ने मांगा जवाब

सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने जबरन कन्वर्जन को देश के लिए खतरा बताते हुए केंद्र सरकार से मांगा जवाब। इसके साथ ही देश में कन्वर्जन पर नई बहस शुरू

सर्वोच्च न्यायालय ने मांगा जवाब

4 mins

श्रद्धा की हत्या पर चुनिंदा चुप्पी

एक कट्टरपंथी मुस्लिम द्वारा हिंदू युवती की निर्मम हत्या पर सेकुलर, कांग्रेसी, वामपंथी धड़ा चुप है। अवार्ड वापसी गैंग, लुटियन गैंग, मोमबत्ती गैंग, खान मार्केट गैंग, जेएनयू गैंग की यह चुनिंदा चुप्पी खतरनाक है

श्रद्धा की हत्या पर चुनिंदा चुप्पी

2 mins

चुपड़ी बातों के चक्कर में चाकर!

बिहार में देश-विरोधी तत्व लड़कियों के सहारे अधिकारियों को अपने जाल में फांस रहे। इसकी जांच की आवश्यकता

चुपड़ी बातों के चक्कर में चाकर!

3 mins

नीयत में खोट, कानून की ओट

कर्नाटक में मंगलुरू स्थित मस्जिद के नीचे मंदिर का ढांचा मिला है। मस्जिद प्रबंधन एक ओर पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियिम की धाराओं का हवाला दे रहा है, दूसरी ओर अदालत के अधिकार क्षेत्र को ही चुनौती दे रहा है

नीयत में खोट, कानून की ओट

3 mins

जिहादियों को खुली छूट!

राजस्थान में कांग्रेस सरकार की तुष्टीकरण नीति हिंदुओं पर भारी पड़ रही है। राज्य में मुसलमान बेलगाम और आए दिन हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र में मुसलमानों ने पानी के लिए भील समुदाय के एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी

जिहादियों को खुली छूट!

4 mins

सनातन संस्कृति का पालना था इंडोनेशिया

इंडोनेशिया के लोग अपने राजा को विष्णु का अवतार या ईश्वर मानते थे। वह जैसा करता था, जैसे जीता था, रहता था, उसी का अनुसरण करते थे। समाज धर्म-संस्कृति से संपन्न था

सनातन संस्कृति का पालना था इंडोनेशिया

1 min

इस्लाम बनाम अवाम

ईरान में लगभग दो महीने से हिजाब विरोधी आंदोलन जारी। महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे। उधर धीरे-धीरे व्यापारी और मजदूर वर्ग भी प्रदर्शनों में शामिल क्योंकि गश्त-ए-इरशाद और बासिजी का डर खत्म हो रहा

इस्लाम बनाम अवाम

4 mins

पत्रकारिता के योद्धा ऋषि का निर्वाण

स्मृति शेष : गोपाल सच्चर

पत्रकारिता के योद्धा ऋषि का निर्वाण

5 mins

Read all stories from Panchjanya

Panchjanya Magazine Description:

PublisherBharat Prakashan (Delhi) Limited

CategoryPolitics

LanguageHindi

FrequencyWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

  • cancel anytimeCancel Anytime [ No Commitments ]
  • digital onlyDigital Only