प्रश्न पूछना, प्रश्नों पर विचार करना, उनके उत्तर ढूंढना जैसे बौद्धिक काम और कौशल सिखाना शिक्षा की जिम्मेदारी है। अपने देश में शिक्षा की ज्यादातर संस्थाएं इस जिम्मेदारी से बचती हैं। करोड़ों बच्चे कई वर्ष स्कूल में बिताकर भी एक अच्छा सवाल पूछना नहीं सीख पाते। कई के मन में अच्छे-पैने सवाल उभरते हैं, पर वे उन्हें पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। स्कूल और कक्षा का माहौल प्रश्न उठाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता। सवाल पूछने वाले लड़के-लड़कियां प्रायः डांट खाते हैं, स्कूल में भी, घर में भी। ' कुछेक शिक्षक प्रश्न सुनने को तैयार लगते हैं, पर वे भी ऐसे प्रश्न सुनने के आदी होते हैं जो कक्षा में पढ़ाई गई बातों को कुछ और स्पष्ट किए जाने की मांग करते हैं। किसी बात के सच को तर्क के घेरे में लाने वाले प्रश्न हमारी कक्षाओं में कम ही सुनने को मिलते हैं।
This story is from the October 16, 2023 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the October 16, 2023 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी