यह लोकसभा चुनाव न सामान्य है, न इसकी सियासी रणनीतियां साधारण हैं। इसलिए कई बार ये चौंकाती हैं। यह तो अंदाजा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आठ-नौ नोटिसों के बाद दिल्ली य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया जा सकता है, मगर यह चुनावी आचार संहिता लागू होने के बावजूद होगा, न इसका अंदाजा था, न यह कि वे जेल से ही मुख्यमंत्री का कार्यभार जारी रखेंगे। शायद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो) भी अब सोच रही होगी कि नाहक न इस्तीफा देना पड़ता, न पुराने दिग्गज चंपई सोरेन को गद्दी सौंपनी पड़ती, न उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को खुलकर राजनैतिक मंचों पर अपने आंसुओं की दुहाई देनी पड़ती। वैसे, पत्नी तो केजरीवाल की सुनीता भी सामने आईं, मगर जेल से अपने पति का संदेश लेकर। केजरीवाल ने जेल से ही सरकार को कई दिशा-निर्देश भी जारी किया। भाजपा भले यह कहती रहे कि जेल से सरकार नहीं चलाई जा सकती।
चौंकाने के लिए इतना ही काफी नहीं था। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के चार बैंकों के खाते सीज कर दिए गए। यह शायद अचानक आयकर विभाग को इल्हाम हुआ कि पार्टी ने 2017-18 और 1997-98 में आयकर विवरणी दाखिल करने में कुछ महीने की देर हुई तो उस पर 121 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोक दिया गया और बैंक से (भारतीय स्टेट बैंक) वह रकम सरकार को वापस करने को कहा गया। इसे लेकर कांग्रेस आयकर न्यायाधिकरण पहुंची, जहां उसका मामला खारिज हो गया तो पार्टी अदालत पहुंची और आदलत में लंबित मामले के नाम पर बैंक खाते लेनदेन के लिए बंद कर दिए गए, जिसमें 259 करोड़ रुपये कैद हो गए। कांग्रेस का यह भी कहना है कि कुल मामला तकरीबन 14 लाख रुपये नकदी चंदे का है, जिस पर करोड़ों का जुर्माना ठोंक दिया गया है। शायद इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी पहुंचे।
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