आम चुनावों की मतगणना शुरू होते ही उत्तरी कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी इंजीनियर राशिद पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ दिखे। राशिद फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। शुरू में तो अब्दुल्ला इस बात से बेफिक्र दिखे। वे उस वक्त श्रीनगर के रॉयल स्प्रिंग्स गोल्फ कोर्स में वर्जिश कर रहे थे। उन्होंने संवाददाताओं से अगले दौर की गिनती तक इंतजार करने को कहा। दिन चढ़ता गया, राशिद की जीत का अंतर बढ़ता गया। उमर हार गए।
मतगणना की दोपहर अब्दुल्ला ने एक्स पर लिखा, "मुझे लगता है अपरिहार्य को स्वीकार करने का वक्त आ गया है। इंजीनियर राशिद को उत्तरी कश्मीर की जीत के लिए मुबारकबाद।" जब वे यह लिख रहे थे, उस वक्त तक गिनती खत्म भी नहीं हुई थी।
उत्तरी कश्मीर के बारामूला में शुरुआती मुकाबला उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन के बीच था, हालांकि एक नाटकीय मोड़ में जेल में बंद नेता इंजीनियर राशिद की पार्टी ने उनकी तरफ से नामांकन भर दिया और पूरे प्रचार को भावनात्मक बना डाला।
इंजीनियर राशिद कुपवाड़ा की लंगाटे विधानसभा से दो बार के विधायक रहे हैं। पिछले पांच साल से वे गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत आतंकियों को फंडिंग के आरोप में कैद हैं। उन्हें 4,724,81 वोट मिले। अब्दुल्ला उनसे 2,04,142 वोट से हार गए। सज्जाद लोन को 1,73,239 वोट मिले।
लोग राशिद की जीत को लंबी कैद की रोशनी में देख रहे हैं। उनका मानना है कि यह उत्पीड़ितों की राजनीतिक जीत का प्रतीक है, जो कश्मीर में अहम होता जा रहा है।
This story is from the June 24, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the June 24, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी