महामारी और जन स्वास्थ्य ए. के. अरुण प्रकाशन | अंतिका पृष्ठ: 224 | मूल्य: 350 रुपये
चार साल पहले एक सैलाब आया था। वह बहुत कुछ बहा कर ले गया। इतिहास गवाह है कि हर महामारी के बाद दुनिया की शक्ल बदली है। हम नहीं जानते कि कोविड-19 नाम की महामारी के बाद निरंतर बदल रही दुनिया की परियोजना अभी मुकम्मल हुई है या नहीं, कब तक होगी और कैसे होगी, लेकिन इतना तय है कि 2020 के मार्च में रातोरात किया गया महामारी का राष्ट्रीय ऐलान और उसके परिणामस्वरूप की गई राष्ट्रीय तालाबंदी ने सबके जीवन पर दीर्घकालिक और बुनियादी असर अवश्य डाला है। उसकी आहट आज भी हर दिन हो रही असामान्य मौतों, उद्घाटनों और सुर्खियों में देखने को मिल रही हैं।
This story is from the July 08, 2024 edition of Outlook Hindi.
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'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
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हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
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रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी