कहते हैं, आपको एक्टिंग में ब्रेक एक इत्तेफाक से मिला?
सही है। गैंग्स ऑफ वासेपुर में मैंने जो पुलिसवाले का रोल किया था, असल में मुझे वह रोल नहीं करना था। उस रोल के लिए जिस एक्टर को चुना गया था, वह शूटिंग के दिन काम पर नहीं आया। मेरी एक छोटी सी प्रोडक्शन कंपनी थी और मैं उसमें छोटे-मोटे कंटेंट लिखता था। उस दिन अनुराग कश्यप ने कहा कि तुम यह रोल करोगे? मैंने जो कपड़े पहने थे, वह भी उसी एक्टर के लिए बने थे। जब मैंने उन्हें पहना तो वह फट गया। एक्टिंग में वह मेरा पहला कदम था। बाद में मैंने फ्रॉड सैयां और डिक्लेरेशन जैसी कुछ फिल्मों में काम किया। उसके बाद मुझे पंचायत मिली।
आपने बताया कि आप छोटा प्रोडक्शन हाउस चलाते थे। आज आपको बहुत शोहरत मिल गई है। क्या आप अभी भी उसमें कुछ बड़ा करने के बारे में सोचते हैं या अब बस एक्टिंग ही करना है?
हमने मेहनत करके प्रोडक्शन सीखा है। इसे कैसे छोड़ा जा सकता है? मैं इस पर काम कर रहा हूं और कई डायरेक्टर से मिल रहा हूं। आगे जरूर कुछ बड़ा होगा।
This story is from the September 30, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 30, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी