अमेरिका के वाइट हाउस में ट्रम्प की वापसी से दुनिया की कई राजधानियों में चिंता की लहर दौड़ गई है, हालांकि नई दिल्ली माहौल कुछ अलग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे बात करने वाले और ट्रम्प 1.0 के बाद से अपनी दोस्ती को फिर से जगाने वाले विश्व नेताओं में पहले हैं। भारत को उम्मीद है कि शपथ ग्रहण के बाद ट्रम्प जल्दी ही 2025 में भारत में क्वाड शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए राजी हो जाएंगे। यह बड़ी उपलब्धि होगी कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में भारत का दौरा करें। भारत को 2024 में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करनी थी, लेकिन बैठक अमेरिका की ओर चली गई। अब अगर भारत की बारी जल्दी आती है, तो इससे भारत और क्वाड तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति ट्रम्प की प्रतिबद्धता का पता चलेगा, जो भारत के लिए अहम माना जा रहा है। इससे जापान और ऑस्ट्रेलिया का भरोसा भी क्वाड और हिंदप्रशांत क्षेत्र के प्रति अमेरिका के नए रवैये पर जमेगा।
यह आशंका, तो सरेआम है कि ट्रम्प अबूझ और मनमौजी हैं और कोई भरोसा नहीं कि कब किन नीतियों पर जोर देने लगें। दूसरी सोच यह भी है कि अब वे अनुभव के साथ थोड़े परिपक्व हो चले हैं इसलिए अधिक मजबूत और समझदार टीम का चुनाव करेंगे, वरिष्ठ पदों पर बार-बार बदलाव देखने को नहीं मिलेगा, जैसा कि उनके पहले कार्यकाल में देखा गया था । जो भी हो, भारत के लिए यह देखना खास होगा कि वे किसे विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय और श्रम विभाग का जिम्मा सौंपते हैं और किसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त करते हैं। ये नियुक्तियां जितनी जल्दी हों, उतना बेहतर होगा क्योंकि ट्रंप 1.0 में कुछ समय के लिए वाइट हाउस के बाहर कोई आधिकारिक वार्ताकार ही नहीं था।
जहां तक आप्रवासी भारतीयों और अमेरिका की भारत नीति में उनके स्थान का सवाल है, ट्रम्प को उनकी फिक्र हो भी सकती हैं और नहीं भी । कुछ लोगों की तात्कालिक खुशी की वजहें भी हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न के बारे में ट्रम्प के बयान और दिवाली की शुभकामनाओं ने कुछ दिलों को छुआ है। इस बार वहां कई भारतीय मूल के लोगों ने डेमोक्रेट कमला हैरिस के बदले रिपब्लिकन ट्रम्प को वोट दिया। नतीजों के बाद वाइट हाउस के बाहर इकट्ठा हुए सिखों और ट्रम्प के भंगड़ा नृत्य करने की तस्वीरें भी खूब चर्चित हुईं।
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