हर आश्चर्यजनक और एकतरफा चुनावी जीत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए सियासी माहौल की गरमी कम करने और नाकामियों को भुलाने के काम आती रही है। मोटे तौर पर यह सिलसिला शुरू होता है 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की जीत से, जिसके बाद 2016 की नोटबंदी की नाकामियां ढंक दी गईं। सो, एक महीने पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र में चौंकाऊ जीत मिली तो लगा कि उसके बाद फौरन शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए राहें आसान हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। संसद में 21 नवंबर को अमेरिका से आए अदाणी समूह पर भारत में बिजली खरीद करार में रिश्वत देने के आरोपों से हंगामा बरपा रहा। इसके अलावा चुनाव प्रक्रिया और ईवीएम को लेकर भी विपक्ष के आरोप सुर्खियों में छाए रहे। फिर, झारखंड में एनडीए की बुरी हार ने भी मामला फीका किया। विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने बिहार और उत्तर प्रदेश में भाजपा को कुछ राहत तो दी लेकिन बाकी राज्यों में उसे मुंह की खानी पड़ी। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के संभल में शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान पुलिस के साथ झड़प में पांच लोगों की मौत और मणिपुर के जिरीबाम में हिंसा की नई घटनाएं भी सुर्खियों में हैं। तो, सियासी हालात किस ओर इशारा कर रहे हैं।
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