नए संग्रह की कविताएं वर्तमान समय से टकरा कर रची गई हैं। कोरोना जैसी महामारी के भयानक दृश्य उसमें मौजदू हैं, जीवन की अनेक स्मृतियों का कोलॉज भी उनकी कविताओं के विषय हैं। कोरोना की मर्मांतक दृश्यावलियां इस संग्रह में केंद्रीय स्थान घेरती हैं। आदमी देखते ही देखते कैसे दृश्य से अदृश्य हो छाया बन जाता है: " अदृश्य छाया प्रार्थनार्थ अनुष्ठान, मंत्रोचार की हवन शाला है।" या
"निस्पदिंत शव/अंतिम सांसें थामे/देखते हैं आकाश/आकाश का नीलापन और स्याह हो जाता है।" उस समय निराशा की स्थितियां इतनी गहरी हो गईं: "रात इतनी लंबी हो चली/ इन दिनों/लालिमा तो फूटती है। सुबह नहीं होती।" यह दुख वंशी की कविता का स्थाई भाव है। उसकी अतंर्लय किसी न किसी रूप में चाहे अनचाहे इस समय की कविता में आ ही जाती है।
This story is from the December 23, 2024 edition of Outlook Hindi.
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बालमन के गांधी
ऐसे दौर में जब गांधी की राजनीति, अर्थनीति, समाजनीति, सर्व धर्म समभाव सबसे देश काफी दूर जा चुका है, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का रंग-ढंग बदलता जा रहा है, समूचे इतिहास की तरह स्वतंत्रता संग्राम के पाठ में नई इबारत लिखी जा रही है, गांधी के छोटे-छोटे किस्सों को बच्चों के मन में उतारने की कोशिश वाकई मार्के की है। नौंवी कक्षा की छात्रा रेवा की 'बापू की डगर' समकालीन भारत में विरली कही जा सकती है।
स्मृतियों का कोलाज
वंशी माहेश्वरी भारतीय और विश्व कविता की हिंदी अनुवाद की पत्रिका तनाव लगभग पचास वर्षों से निकालते रहे हैं। सक्षम कवि ने अपने कवि रूप को पीछे रखा और बिना किसी प्रचार-प्रसार के निरंतर काव्य- सजून करते रहे हैं।
लाल और चमकीला का पंजाब
बॉलीवुड के लिए कहानियों और संगीत का समृद्ध स्रोत रहा राज्य अब परदे पर नशे, फूहड़पन का पर्याय बना
दिखा महिला टीम का दम
एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी की जीत से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा, चीन से हार का बदला भी पूरा हुआ
ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत करना प्राथमिकता
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के दो साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आउटलुक के मनीष पाण्डेय ने सरकार के कामकाज, उपलब्धियों और परेशानियों के बारे विस्तृत बातचीत की। मुख्य अंश:
ढोल से डीजे तक का सफर
शादी में नाचने से ही रौनक आती है, नाचने के लिए धुन या गाने ऐसे हों कि बस कदम रुके ही नहीं
परंपरा और अर्थव्यवस्था का संगम
शादी के आभूषण अर्थव्यवस्था के साथ समाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्यों को भी प्रभावित करते हैं
असरदार हैं मशहूर लोगों की महंगी शादियां
शादी बड़ी हो या छोटी, अब हर शादी को यादगार पल बनाने की कोशिशें हो रही हैं
विवाह बाजार में आमद
भारत में महंगी और भव्य शादियों की चाह ने इसे एक अलग व्यापार बना दिया है, यह बाजार लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा और कंपनियों की पेशकश भी बढ़ रही
दो सियासी खानदानों पर प्रश्नचिन्ह
विधानसभा चुनावों में अपने-अपने दलों की जबरदस्त हार के बाद क्या शरद पवार और उद्धव ठाकरे उबर पाएंगे