शादी का रिश्ता सात जन्मों का माना जाता है और इसे तोड़ना एक आफत होती है. एक अदालत के अधिकारियों और वकीलों के मुताबिक यह शायद भारत में अपनी किस्म का पहला ही मामला है जहां दोनों पक्षों में से कोई भी सुनवाई के लिए मौजूद नहीं था. काननून कम से कम एक पक्ष को आमतौर पर अदालत में मौजूद रहना पड़ता है, किंतु वीडियो कौंन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अमेरिका में रहने वाले पति और आस्ट्रेलिया में रहने वाली पत्नी से सहमति मिलते ही दोनों को ईमेल पर तलाक की कौपी भिजवा दी गई.
पेशे से सौफ्टवेयर इंजीनियर दोनों पति और पत्नी 30 साल के भी नहीं हुए थे, लेकिन उन के बीच विवाद इस कदर था कि तलाक से पहले 6 महीने की अनिवार्यता को देख कर पति ने अमेरिका में नौकरी तलाश ली तो बीवी ने आस्ट्रेलिया में जौब ढूंढ़ी. अब तलाक का मामला कोर्ट में गया तो 15 सुनवाई वाले दिन दोनों पक्षों ने कोर्ट को सूचित किया कि वे नहीं आ सकते. लिहाजा कोर्ट ने वीडियो कौन्फ्रैंसिंग का सहारा लिया.
इस में वक्त के साथ खर्च भी बचा और यह तलाक, तलाक के उन अन्य मामलों में अनोखा था जहां कम से कम 2 लाख रुपए का खर्च आता है. दोनों पक्षों की यात्रा में लगने वाले समय की बचत हुई वह अलग.
आसान नहीं थी डगर तलाक की
आमतौर पर तलाक या अलगाव का फैसला एक दिन या कुछ पलों में लिया जाने वाला फैसला नहीं है. इस की कवायद महीनों से ले कर सालों तक चलती है. इस के चलते अलग होने वाले पतिपत्नी मानसिक, शारीरिक क्लेश तो झेलते ही हैं आर्थिक दंड भी भुगतते हैं.
शायद इस बात को समझते हुए विदेशों में 2005 में स्पेन की नई सरकार ने एक नया तलाक का कानून बनाया, जिस के चलते तलाक लेना आसान हुआ. हां इस से तलाक के मामलों में वृद्धि तो देखी गई पर पतिपत्नी को जल्दी छुटकारा मिल जाता. इस के पहले की चर्च की मान्यता मानने वाली कंजरवेटिव पार्टी की सरकार में तलाक लेना मुश्किल था क्योंकि कानूनी प्रक्रिया इस की इजाजत नहीं देती थी.
यद्यपि लोगों ने फिर भी रास्ता निकाल लिया था, जिस में जोड़े कानून अलग नहीं होते थे, मगर वे अलग ही रहते थे. इसे स्पेनिश तलाक का तरीका कहा जाता था. इस कानून से पहले स्पेन में तलाक की दर यूरोपीय देशों में सब से कम थी.
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