करीब 70 वर्ष पूर्व एक फिल्म आई थी-'अनाड़ी.' निर्देशक थे महान फिल्मकार ऋषिकेश मुखर्जी. इस फिल्म के माध्यम से यह संदेश दिया गया था कि देश में नकली दवाइयों का कारोबार चल रहा है और यह समाज के लिए कितना खतरनाक है. इस के बाद गंगा में न जाने कितना पानी बह गया मगर देश में आज भी नकली दवाइयां बेची जा रही हैं. लाख टके का सवाल है कि आखिर नकली दवाइयों के कारोबार के पीछे कौन है और इन का संरक्षक कौन है.
सीधी सी बात यह है कि अगर शासनप्रशासन में बैठे लोगों का संरक्षण इन नकली दवाइयों को बेचने वालों को न मिले तो वे नकली दवाइयां बेचने की हिम्मत नहीं कर सकते. हमारे देश का कानून अपने आप में इतना पर्याप्त है कि ऐसे लोगों की गरीबान को पकड़ सकता है. ऐसे में अगर कोई नकली दवाइयां बेचने का काम कर रहा है, बनाने का काम कर रहा है तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए एक बड़ा प्रश्नचिह्न है और इंगित करता है कि सत्ता में बैठे हुए हमारे माननीय ही आखिरकार इस में सब से बड़े दोषी हैं.
ऐसे हुआ भंडाफोड़
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