14-15 साल यानी टीनऐज उम्र को छूते हुए बच्चे के स्वभाव में बदलाव आने लगता है, हर समय मम्मीपापा के इर्दगिर्द घूमने वाले बच्चे को अब अकेले और दोस्तों के साथ समय बिताना अच्छा लगने लगता है. मम्मीपापा की हर बात मानने वाले बच्चे को अब उन की बातें अच्छी नहीं लगतीं जैसे हर बात या कुछ भी मनपसंद का न होने पर या जबरदस्ती करने अथवा किसी भी काम में ज्यादा टोकाटाकी उसे रास नहीं आती. उस का गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है.
तब पेरैंट्स बच्चे के बदलते स्वभाव की वजह से उसे डांटते हैं, कभीकभी तो पीट भी देते हैं. पेरेंट्स का ऐसा करना बच्चे को और अधिक विद्रोही बना सकता है. ऐसे में पेरेंट्स यदि थोड़ा धैर्य रखें तो बात बिगड़ने से बच सकती है.
टीनऐज में बच्चे बहुत सारे बदलावों से गुजरते हैं. इस का सब से बड़ा कारण है हारमोंस. एक तरफ शरीर में तेजी से बदलाव आते हैं तो दूसरी ओर हारमोन भी उन की फीलिंग्स में कई तरह के बदलाव लाते हैं. प्यार, अट्रैक्शन, गुस्सा, हर्ट होने जैसी फीलिंग्स अब बच्चों में बढ़ने लगती हैं. जहां एक तरफ वे इन फीलिंग्स और बदलावों को समझने की कोशिश कर रहे होते हैं वहीं दूसरी तरफ स्कूल में पढ़ाई का प्रैशर भी बढ़ने लगता है. यह प्रैशर और हारमोंस बच्चों के बदलते स्वभाव के लिए जिम्मेदार होते हैं.
नजर रखें
भले ही आप अपने टीनऐजर बच्चों पर भरोसा रखते हों और उन्हें कुछ आजादी भी दे रहे हों लेकिन इस बात की जानकारी जरूर रखें कि वे कहां जा रहे हैं, किस से मिल रहे हैं, क्या कर रहे हैं या उन के दोस्त कौन हैं.
लक्ष्य तक पहुंचने में करें मदद
हर टीनऐजर अपना एक लक्ष्य बनाता है। और उसे पूरा करना चाहता है. ऐसे में आप उस की मदद करें और उसे बताएं कि आप उस के इस लक्ष्य को प्राप्त करने में उस के साथ हैं, ही असफल होने पर उस के आत्मविश्वास को बनाए रखने में उस की हर संभव मदद करें.
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