Modern Kheti - Hindi Magazine - November 01, 2023
Modern Kheti - Hindi Magazine - November 01, 2023
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रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी
सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की।
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भारत में प्याज और राजनीति
स्थानीय बाजारों में खरीफ की फसल के देरी से आने की चिंता के कारण महाराष्ट्र के नासिक जिले में प्याज की थोक कीमतें एक सप्ताह के भीतर लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई हैं।
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बर्ड फ्लू को रोकने के लिए मुर्गियों में नये जीन की खोज
बीते कुछ दशकों में दुनिया भर में बर्ड फ्लू बीमारी के फैलने की घटनाएं देखी गई हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मुर्गियों में बर्ड फ्लू के प्रसार को सीमित करने के लिए जीन संपादन तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। बर्ड फ्लू मौजूदा वक्त में एक प्रमुख वैश्विक खतरा है। इस बीमारी का असर जंगली पक्षियों के अलावा कृषि क्षेत्र में देखा गया है। इसका प्रभाव बेहद विनाशकारी साबित हुआ है।
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परागणकों में गिरावट से फसलें होंगी प्रभावित
एक नई रिसर्च से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और भूमि उपयोग में आते बदलावों से परागण करने वाले कीटों में 61.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी वजह से आम, तरबूज, कॉफी और कोको जैसी उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए भारी खतरा पैदा हो सकता है।
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पड़ोसी पौधों में रोगों को रोकने के लिए नई खोजें
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए एक ही खेत में कई प्रकार के पौधों को उगाना एक लंबे समय से चली आ रही कृषि पद्धति है, लेकिन इसके अप्रत्याशित परिणाम हो सकते है।
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खाली पड़ी जमीनों पर खेती के लिए करें उचित प्रयोग
क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर हर साल औसतन 36 लाख हैक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है। मतलब की यह वो जमीन है, जिस पर खेती की जा सकती थी, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते उस पर खेती नहीं की जा रही। नतीजन धीरे-धीरे इस जमीन की गुणवत्ता में कमी आने लगती है।
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कोर्टेवा एग्रीसाइंस ने आईसीएआर के सहयोग से पर्ल मिलेट की किस्मों पर किया रिसर्च
बढ़ती वैश्विक आबादी और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के बीच कोर्टेवा एग्रीसाइंस, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने आपसी सहयोग से एक रिसर्च प्रोडक्ट पूरा किया है। इस रिसर्च ने पर्ल मिलेट जीनोम की रिसिक्वेसिंग कर मील का पत्थर हासिल किया है। इसके जरिये नए मॉलिक्युलर मार्करों के विकास को बढ़ावा मिला है जिससे असाधारण उपज और बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ बाजरा की किस्मों के विकास का रास्ता खुल गया है।
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कॉर्पोरेट से कंपोस्टर बनने तक का सफर गुर रजनीश
गुर रजनीश ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज की डिग्री हासिल की
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प्रसिद्ध मिट्टी विज्ञानी डॉ. विलियम ए. अलब्रेक्ट
डॉ. अल्ब्रेक्ट एक सम्मानित मिट्टी विज्ञानी हैं। उन्होंने यह खोज की कि प्राकृतिक ढंग से कैसे मिट्टी को बढ़िया बनाया जाये। उन्होंने पशुओं के कई रोगों के बारे में भी खोजें कीं, जो उनमें सीधी मिट्टी द्वारा या घटिया क्वालिटी के चारे द्वारा चली जाती है।
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शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती: जाने आधुनिक विधि
हमारे देश के लगभग 12 प्रतिशत (32 लाख हैक्टेयर) भू-भाग में औसत वार्षिक वर्षा 400 मिलीमीटर से कम होती है एवं यह शुष्क क्षेत्र कहलाता है।
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भोजन में सब्जियों का महत्व
पत्ते वाली सब्जियाँ जैसे, पालक, सलाद, बन्दगोभी तथा विभिन्न भारतीय सब्जियाँ, जिनमें जल सेल्यूलोज व रेशे की अधिकता होती है। हरी सब्जियों से हमें सेल्यूलोज तथा क्लोरोफिल मिलते हैं जो पाचन में भी सहायक होते हैं। सब्जियों के तने, पत्तियाँ, कन्द तथा जड़े पकने पर स्पंजी हो जाती हैं जो कि न केवल भूख मिटाती हैं वरन भोजन को पाचन पथ में नीचे खिसकाने में भी सहायक होती हैं।
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कनोला सरसों: महत्व एवं उत्पादन की उन्नत तकनीक
राया सरसों में ऐसी कोई समस्या नही है तथा इसकी कटाई फसल के पूरी तरह से पकने के बाद ही करें। कटाई के बाद भली प्रकार से सुखाने के बाद ही फसल की गहाई करें।
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कृषि में सौर ऊर्जा वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाएं
भारत के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन के निर्माण हेतु एक मसौदा तैयार किया है। MNRE द्वारा स्थापित समिति ने मंत्रालय के पास अपनी सिफारिशें जमा करा दी हैं और जिसे कुछ महीनों के लिये सार्वजनिक सुझावों/टिप्पणियों हेतु खुला रखा जाएगा। सौर ऊर्जा से संबंधित समस्याएं भी हैं। सौर ऊर्जा उत्पादन दोपहर में अपने चरम पर होता है, लेकिन जब उसे सही समय पर संगृहीत नहीं किया जाएगा, तो रात में घरों को प्रकाश उपलब्ध नहीं होगा।
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मसूर की समग्र सिफारिशें अपनाएं और उत्पादन बढ़ाएं
ध्यान रखें कि पानी अधिक न होने पावे। यथा संभव स्प्रिंकलर से सिंचाई करें या खेत में स्ट्रिप बनाकर हल्की सिंचाई करना लाभकारी रहता है। अधिक सिंचाईयाँ मसूर की फसल के लिए लाभकारी नहीं रहती है। खेत में जल निकास का उत्तम प्रबन्ध होना आवश्यक रहता है।
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ईसबगोल की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उपज
गहाई के पूर्व ढेरियों पर हल्का सा पानी छिड़क देते हैं, जिससे दाने आसानी से अलग हो जाते हैं। गहाई करने के बाद भूसा अलग करके साफ बीज प्राप्त कर लिये जाते हैं।
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मेथी की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
मेथी की जैविक खेती के लिए किसानों को स्थानीय किस्मों की अपेक्षा अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक उपज देने वाली तथा विकार रोधी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। जहां तक संभव हो प्रमाणित जैविक बीज का ही प्रयोग करें।
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गेहूं की फसल में बीजोपचार व खरपतवार नियन्त्रण कैसे करें?
रबी मौसम की फसलों में गेहूं का प्रमुख स्थान है। गेहूं की नई-नई किस्मों के चयन, संतुलित खादों व पानी के समुचित प्रयोग से गेहूं की पैदावार में निरंतर बढ़ोतरी हुई है तथा कृषि की उन्नत तकनीकों को अपनाकर किसानों ने पिछले तीन-चार वर्षों में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन किया है।
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डेयरी पशुओं का चुनाव
पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सकें तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।
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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:
Publisher: Mehram Publications
Category: Business
Language: Hindi
Frequency: Fortnightly
Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.
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