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कृषि पत्रकारिता का बढ़ रहा दायरा
अखबारों, पत्रपत्रिकाओं और टीवी चैनलों की खबरों में बीते दशकों में खेती से जुड़ी खबरों को उतनी तरजीह नहीं मिल पाई है, जितनी राजनीति, क्राइम, साहित्य और अन्य खबरों को दी गई. ऐसे में इन मीडिया संस्थानों का जुड़ाव भी किसानों से नहीं हो पा रहा था. किसान अखबारों, टीवी चैनलों और पत्रपत्रिकाओं में खुद को खोजता था.
फलदार पौधों की नर्सरी का कारोबार आमदनी की बहार
फलदार वृक्षों में सर्वाधिक बागबानी में आम, लीची, बेल, अनार, आंवला, अमरूद आदि शामिल हैं. इस में कुछ की नर्सरी कलम विधि से, तो कुछ की नर्सरी गूटी विधि से तैयार करना अच्छा होता है.
अंजीर (तिमला) और बेडू की खेती
उत्तराखंड के जंगलों में अधिकांश ऐसे पौधे उगते हैं, जिन का औषधीय उपयोग है. इन में से अंजीर (तिमला) व बेडू मुख्य हैं.
लाभकारी फसल अश्वगंधा
व्यावसायिक दृष्टि से भी यह काफी लाभकारी फसल है. कम खर्चे, कम पानी और कम उपजाऊ जमीनों में इस का उगना और बिक्री में आसानी के कारण इस का भविष्य उज्ज्वल है.
रोपे बांस कमाएं पैसा
देश में लाखों परिवार बांस आधारित उद्योग से अपना जीवनयापन कर रहे हैं. बांस से बनी हुई चीजें देशी पर्यटकों द्वारा महंगे दामों पर खरीदी जाती हैं. इस से महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधन, हेयर क्लिप, ग्रीटिंग कार्ड, चम्मच, तीरधनुष, खेती के उपकरण, कुरसीमेज, मछली पकड़ने का कांटा, चारपाई, इलिया जैसी हजारों वस्तुओं का निर्माण किया जाता है, इसलिए बांस को हरा सोना भी कहा जा सकता है.
फसलों के रोग प्रबंधन में रासायनिक जीवनाशियों के वानस्पतिक विकल्प
हमारे देश में कीटों और रोगों के प्रकोप से हर साल 18-30 फीसदी फसल खराब हो जाती है, जिस से देश को हर साल तकरीबन 1,00,000 करोड़ रुपयों का नुकसान होता है.
लौकी की खेती में कीट व रोगों से बचाव
ताजगी से भरपूर लौकी कदूवर्गीय सब्जी है. इस में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व खनिज लवण के अलावा प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं. लौकी की खेती पहाड़ी इलाकों से ले कर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है. निर्यात के लिहाज से सब्जियों में लौकी खास है.
जुलाई महीने के खेती से जुड़े जरूरी काम
यह महीना खेती के नजरिए से किसानों के लिए खास होता है, क्योंकि देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून पहुंच चुका होता है, जिस से खरीफ सीजन में ली जाने वाली फसलों की बोआई और रोपाई का काम शुरू कर देते हैं.
जंगली सब्जी कसरोड़
जम्मूकश्मीर में प्राकृतिक रूप में पाई जाने वाली कई सब्जियां होती हैं, जिन के लिए खेतीबारी नहीं की जाती है. ये प्राकृतिक तौर पर समय के अनुसार खुद ही तैयार हो जाती हैं. इन्हीं सब्जियों में से एक है कसरोड़, जो खाने में बहुत ज्यादा स्वादिष्ठ होती है.
बरसात के मौसम में पशुओं की देखभाल
बरसात में अगर पशुशाला में कीचड़ रहता है और पशु उसी में बैठता है, तो उसे थनैला रोग हो सकता है. उसे फुट रोग भी हो सकता है यानी उस के खुर गलने लग जाते हैं. इन समस्याओं से अगर पशु को बचाना है, तो कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए.
‘एमएसपी' में बढ़ोतरी किसानों को कितना फायदा?
केद्र सरकार ने पिछले दिनों फसलों का वर्ष 2023-24 खरीफ का घोषित किया है.
काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों को मिलेगी विशेष पहचान
बस्ती जिले की आबोहवा में पैदा होने वाले धान की खास किस्म काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों की भी जीआई टैगिंग की जाएगी, जिस से इन किसानों को काला नमक धान के उत्पादन और इस के बिजनैस का विशेष अधिकार मिल जाएगा.
कलम विधि से तैयार करें आम की नर्सरी
भारत में फलदार वृक्षों की बागबानी में सर्वाधिक आम की ही बागबानी की जाती रही है. लेकिन आम की बागबानी शुरू करने के लिए जरूरत होती है अधिक पैदावार देने वाली अच्छी प्रजाति के आम के पौधों की. ये पौधे उद्यान विभाग की नर्सरी या प्राइवेट नर्सरियों से खरीद कर लाते हैं, जिस के लिए आम की किस्मों के अनुसार 30 रुपए से ले कर 500 रुपए प्रति पौधों की दर से भुगतान कर के खरीदना पड़ता है.
सूरज की ऊर्जा से चलने वाला वाटर प्यूरीफायर : बेहतर भविष्य की ओर सफल कदम
इनसान की एक अनोखी ईजाद सैटेलाइट से भेजी गई तसवीरों में भले ही कहने को धरती के तीनचौथाई हिस्से में नीले रंग का पानी अपनी मौजूदगी दिखाता है, पर एक कड़वा सच यह भी है कि पूरी दुनिया में मौजूद कुल पानी में से महज 0.6 फीसदी पानी ही पीने लायक है, जो नदियों, तालाबों, झीलों आदि में ही मौजूद है. 8 अरब लोगों और धरती के दूसरे प्राणियों व वनस्पति के लिए यह आने वाले महासंकट का संकेत है.
फार्मट्रैक पावर मैक्स ट्रैक्टर रिव्यू
यह खेती का ऐसा खास यंत्र है, जिस के इस्तेमाल से अनेक काम आसान हो जाते हैं, चाहे फिर वह खेती की अनेक मशीनों को जोड़ कर इस्तेमाल करना हों या खेती के अनेक काम हो, ट्रैक्टर सभी को आसान बनाता है.
उगाएं सेहत से भरपूर पोई
आजकल लोग खानपान व स्वास्थ्य को ले कर काफी सजग रहने लगे हैं, इसलिए बाजार में मिलने वाली सायनयुक्त सागसब्जियों से बचने के लिए लोग घरों के किचन गार्डन में सब्जियां और फलफूल उगाते रहते हैं. इस के दो फायदे हैं. एक तो पैसे की बचत होती है, वहीं दूसरा फायदा यह है कि ताजा और रसायनमुक्त सागसब्जियों की उपलब्धता हमेशा रहती है.
आम में फल छेदक कीट : ऐसे करें प्रबंधन
आजकल आम उत्पादक किसान आम के फलों पर लाल पट्टीधारी फल छेदक (रैड बैंडेड बोरर ) आक्रमण से परेशान हैं.
घी उत्पादन के लिए मुफीद भदावरी भैंस
किसान खेतीबारी के साथसाथ पशुपालन, डेरी, फूड प्रोसैसिंग जैसे कामों को कर के अधिकतम लाभ ले सकते हैं. ऐसे तमाम किसान हैं, जिन्होंने पशुपालन व डेरी के व्यवसाय को अपना कर न केवल अपनी माली हालत में सुधार किया है, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार मुहैया कराने का जरीया भी बने हैं. अगर आप दुधारू पशुओं के पालन की इच्छा रखते हैं, तो इस के साथसाथ डेरी और डेरी उत्पादों को तैयार कर ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं.
बंजर भूमि में गेंदे की व्यावसायिक खेती
महात्मा ज्योतिबा फुले बरेली, उत्तर विश्वविद्यालय, प्रदेश में प्रोफैसर डाक्टर शिखा सक्सेना ने बंजर भूमि में गेंदा उगा कर एक नई मिसाल पेश की है. उन्होंने ऐसी बंजर जमीन में जिस में आर्सेनिक व सीसा जैसे हैवी मैटल्स मौजूद थे, उस में गेंदा उगा कर पीएचडी की डिगरी हासिल की है.
घर बैठे मिलेगी पशु इलाज की सुविधा
बीमार पशु को अस्पताल तक ले जाना ही अपनेआप में एक बड़ी समस्या थी. लेकिन, अब इन एंबुलेंसों के आ जाने से पशु चिकित्सालय खुद ही पशुपालक के दरवाजे पर होगा. मध्य प्रदेश में अब पशुओं के इलाज के लिए औन काल एंबुलैंस सेवा शुरू हो गई है. मतलब, अब घर बैठे ही पशुपालक इन एंबुलैंसों को अपने घर बुला सकेंगे.
अरहर की नई प्रजाति ‘कुदरत ललिता' विकसित
अरहर में कुदरत ललिता' नाम की प्रजाति विकसित करने में प्रकाश सिंह रघुवंशी, ग्राम-टड़िया, पोस्ट-जक्खिनी, जिला-वाराणसी, उत्तर प्रदेश ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
कानपुर कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित की अलसी की नई प्रजाति
कम समय में ज्यादा उत्पादन देने वाली होगी यह प्रजाति
आमदनी बढ़ाने के लिए करें अलसी की खेती
अलसी के बीज को दुनियाभर में सुपर फूड के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इस में वे सभी गुण मौजूद होते हैं, जो इनसान को सेहतमंद बनाते हैं. अलसी के बीज, तेल, पाउडर, गोली, कैप्सूल और आटे के रूप में दुनियाभर में इस का इस्तेमाल किया जाता है. अलसी को कब्ज, डायबिटीज, हाई कोलैस्ट्रोल, हृदय रोग, कैंसर सहित कई बीमारियों की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
कंडुआ रोग से बचाव के लिए करें धान के बीजों का शोधन
खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में शामिल धान की नर्सरी डालने के पहले अगर सही तरीके से बीजों का शोधन कर लिया जाए, तो फसल रोपाई के बाद धान की फसल को रोग से ख बचाया जा सकता है.
मोटे अनाजों की खेती से बढ़ेगी आमदनी
आहार में मोटे अनाज का सेवन सेहत के लिहाज से काफी मुफीद है. वैसे, मोटे अनाज में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों, विटामिन और खनिज की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. इसीलिए मोटे अनाजों को संतुलित आहार के साथसाथ एक सुरक्षित वातावरण के निर्माण में अच्छा माना जाता है. बीते सालों से दुनियाभर में मोटे अनाजों की खेती पर खासा जोर दिया जा रहा है.
धान की खेती : समस्याएं और समाधान
धान खरीफ की मुख्य फसल है. अगर कुछ बातों का शुरू से ही ध्यान रखा जाए, तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी. कुछ किसान धान की पौध तैयार करने में लगे हैं, तो कुछ धान की रोपाई कर चुके हैं. लेकिन समस्याएं सभी के सामने आती हैं. ऐसी ही अनेक समस्याओं को ले कर प्रो. रवि प्रकाश मौर्य से बात की गई, जो धान की खेती करने वाले किसानों के लिए मददगार साबित होगी.
बलराम एप से जुड़ेंगे तमाम किसान
भारत में कृषि क्षेत्र में लगातार नित नए प्रयोग हो रहे हैं, अनेक उन्नत प्रजातियों के बीज एवं खाद उर्वरक पर भी खासा काम हो रहा है. कुल मिला कर खेती में देश तरक्की कर रहा है और तरक्की में मददगार बन रहे हैं देश के कृषि वैज्ञानिक.
जून महीने के जरूरी काम
जून महीने की तीखी धूप खेतों को सुखाने में कोई कसर बाकी नहीं रखती, मगर गन्ने के खेतों को सूखने नहीं देना चाहिए. जरूरत के मुताबिक गन्ने के खेतों की सिंचाई करते रहें.
मौसम का मिजाज और खेती के काम
आजकल का मौसम तेज चटकदार धूप, चलती लू और धूल भरी आंधी वाला है. ऐसे में किसानों को सुबह 11 बजे से ले कर शाम 4 बजे तक खेत में काम करने से बचना चाहिए. खेती के कामों को सुबहशाम के समय ही निबटाना चाहिए.
तिल की ऐसे करें आधुनिक खेती
प्रदेश में तिल की खेती मुख्यत: सोनभद्र, बुंदेलखंड की राकड़ भूमि में और मिर्जापुर, कानपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, आगरा, मैनपुरी आदि जनपदों में शुद्ध व मिश्रित रूप से की जाती है. मैदानी क्षेत्रों में अधिकतर इसे ज्वार, बाजरा और अरहर के साथ बोते हैं कुछ क्षेत्रों में, जहां मिट्टी बलुई और बलुई दोमट है, इस की खेती की जाती है.