CATEGORIES
Categories
धरी रह गई रामदेव की बाबागीरी
रामदेव का मकसद और मंशा आयुर्वेद और योग के जरिए अकूत दौलत कमा लेने के साथसाथ देश में धार्मिक अंधविश्वास फैलाना भी रहा है जिस के लिए उन्होंने भगवा गैंग जौइन कर लिया था. यह गैंग जब सत्ता में आया तो रामदेव खुद को खुदा समझने लगा और अदालत व कानून को अपनी बांदी, जिस का नतीजा सामने है.
ईरान-इजराइल की बढ़ती दुश्मनी से भारत चिंतित
ईरान-इजराइल के बीच जंग की स्थिति पैदा होने और मध्यपूर्व के अस्थिर होने से भारत की ऊर्जा, सुरक्षा और व्यापार मार्ग प्रभावित होगा. आसपास के देश लड़ाई में शामिल हुए तो भारत के लिए स्थिति बेहद जटिल हो सकती है.
चुनाव कम रामकथा ज्यादा
क्या रामकथा बड़ी पुण्यदायिनी है जो लोगों को जीतेजी तार देती है, इसीलिए चुनावप्रचार में वही सुनाई जा रही है कि जिस से लोगों का परलोक सुधरे? क्या कानों में रामधुन के शीतल रस श्रवण मात्र से सारी समस्याएं हल हो जाती हैं?
धर्म और सब्सिडी के शहद में डूबता बौलीवुड
हाल के कुछ सालों में धर्म और सत्ता के पक्ष में धड़ाधड़ फिल्में बनीं. इन फिल्मों ने कमाई भले नहीं की लेकिन समाज को बांटने व सत्ताधारी पार्टी को चुनावी फायदा पहुंचाने की भरसक कोशिश की. इन फिल्मों को सरकार से सब्सिडी ही नहीं मिली बल्कि कई मौकों पर सत्ता पर काबिज राजनेताओं इन का सीधा प्रचार भी किया. सरकार के सीधे दखल से बौलीवुड ने राजनीतिक प्रचार तो किया लेकिन वह पूरी तरह बरबाद होने की कगार पर पहुंच गया है.
फिल्मों में कैंसर लोगों को बीमारी के बारे में बताया या सिर्फ इसे भुनाया
लाइलाज बीमारी कैंसर का हिंदी फिल्मों से ताल्लुक कोई 60 साल पुराना है. 1963 में सी वी श्रीधर निर्देशित राजकुमार, मीना कुमारी और राजेंद्र कुमार अभिनीत फिल्म 'दिल एक मंदिर' में सब से पहले कैंसर की भयावहता दिखाई गई थी लेकिन 'आनंद' के बाद कैंसर पर कई फिल्में बनीं जिन में से कुछ चलीं, कुछ नहीं भी चलीं जिन की अपनी वजहें भी थीं, मसलन निर्देशकों ने कैंसर को भुनाने की कोशिश ज्यादा की.
मोबाइल नंबर की अनिवार्यता
आज मोबाइल हमारे जीवन का जरूरी अंग बना दिया गया है. हम चाह कर भी इस के बिना नहीं रह सकते. सभी चीजें औनलाइन कर दी गई हैं. कुछ काम तो सिर्फ औनलाइन तक ही सीमित रह गए हैं. ऐसे में एक गरीब को भी मोबाइल खरीदना जरूरी हो गया है.
घर में बनाएं जिम
जिम में जा कर ऐक्सरसाइज करने से अधिक सुविधाजनक यह है कि घर में ही अपना जिम बनाएं घर के जिम में आवश्यक ऐक्सरसाइज इक्विपमैंट ही रखें, जिस से कम बजट में इस को तैयार किया जा सके.
अधेड़ उम्र में शादी पर सवाल कैसा
आयु का इच्छाओं से कोई संबंध नहीं है. अगर आप अपने बलबूते पर, खुद के भरोसे 60 वर्ष की आयु में भी शरीर बनाना चाहते हैं, दुनिया की सैर करना चाहते हैं, किसी हसीना के साथ डेट पर जाना चाहते हैं या शादी करना चाहते हैं तो भई, इस पर सवाल कैसा?
गरमी में भी सब्जियों और फलों को ऐसे रखें ताजा
गरमी में सब्जियां, खासकर हरी सब्जियां, जल्दी खराब होती हैं. ऐसे में वे आसान तरीके जानिए जिन से सब्जियों को जल्दी खराब होने से बचाया जा सकता है.
वौयस क्लोनिंग का खतरा
आजकल वौयस क्लोनिंग के जरिए महिलाओं को बेवकूफ बनाया जा रहा है. एआई की मदद से प्रेमी, भाई या किसी अन्य परिजन की आवाज में कौल कर पैसे ऐंठे जा रहे हैं जो डिजिटलीकरण की कमियां दिखा रहा है.
जीने की आजादी है महिलाओं का बाइक चलाना
पुरुषों के लिए बाइक चलाना सामान्य बात मानी जाती है मगर कोई महिला बाइक चलाए तो उसे हैरान नजरों से देखा जाता है.
हीनता और वितृष्णा का प्रतीक पादुका पूजन
भारत में गुरु तो गुरु, उन की पादुकाएं तक पैसा कमाती हैं. इसे चमत्कार कहें या बेवकूफी, यह अपने देश में ही होना संभव है. धर्मगुरुओं ने प्रवचनों के जरिए लोगों में आज कूटकूट कर इतनी हीनता भर दी है कि वे मानसिक तौर पर अपाहिज हो कर रह गए हैं.
फ्रांस में गर्भपात पर फैसला मेरा शरीर मेरा हक
फ्रांस में गर्भपात कानून में बदलाव के बाद पूरी दुनिया में इस पर बहस छिड़ गई है कि इस का नतीजा क्या होगा?
बाल्टीमोर ब्रिज हादसा पुल के साथ ढहा भारतीय आत्मसम्मान
अमेरिका और अमेरिकी बहुत ज्यादा उदार नहीं हैं. विदेशियों, खासतौर से अश्वेतों के प्रति उन के पूर्वाग्रह, कुंठा, जलन और हिंसा सहित तमाम तरह के भेदभाव दैनिक सामाजिक जीवन का हिस्सा हैं जिन की तुलना हमारे देश में दलितों से किए जाने वाले व्यवहार से की जा सकती है. बाल्टीमोर पुल हादसे के बाद यह बात एक बार फिर साबित हुई है कि हमारी सरकार ने इस से कोई सरोकार नहीं रखा.
बेंगलुरु में जल संकट पूरे देश के लिए चेतावनी
बेंगलुरु में जल संकट पूरे देश के लिए चेतावनी से कम नहीं है. आज बड़ीबड़ी इमारतों में रहना भले लग्जरी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन जाए पर बिना जल के जीवन नहीं. हमें बढ़ते जल संकट के बीच 2000 साल पहले बने रोमन साम्राज्य के एक्काडक्टों को भी समझना जरूरी है जिन्होंने अपने नगरवासियों को पानी सुगमता से पहुंचाया. आज आधुनिक तकनीक के बावजूद लोगों तक पानी क्यों नहीं पहुंच पा रहा, यह सवाल सामने खड़ा है.
भगोड़े नेताओं से शुद्धीकरण क्या रंग लाएगा?
ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब तक लगभग 90 हजार कांग्रेसी भाजपा जौइन कर चुके हैं और यह सिलसिला लगता है तब तक चलता रहेगा जब तक कांग्रेस, खासतौर से, ब्राह्मणविहीन नहीं हो जाती. क्यों रोजरोज कांग्रेसी, खासतौर से सवर्ण और उन में भी ब्राह्मण, भाजपा में जा रहे हैं?
गरीब देशों के युवाओं को जंग में झोंक रहा है रूस
जिस दिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य लामबंदी की घोषणा की, उसी दिन से रूसी युवाओं का देश से पलायन शुरू हो गया. युद्ध के मैदान में कोई नहीं जाना चाहता. लिहाजा, साजिश के तहत रूस अब गरीब देशों के युवाओं को बड़ी धनराशि देने का लालच दे कर सेना में भरती कर रहा है.
राजनीति में अदृश्य जंजीरों से बंधी महिलाएं
सावित्रीबाई फुले ने जो सोचा था कि पढ़लिख कर महिलाएं रूढ़ियों की जंजीरों को तोड़ देंगी वह हो नहीं सका क्योंकि आज शिक्षित होने के बाद भी महिलाएं कलश यात्राओं में शामिल हो कर अपनी आजादी देख रही हैं. वे बेहतर प्रबंधक होते हुए भी राजनीति में महज शोपीस बन कर रह गई हैं.
सत्तापरस्त एजेंडे वाली फिल्में क्या गुल खिलाएंगी
हाल के कुछ सालों में भारतीय सिनेमा तेजी से बदला है. कई फिल्में सरकारपरस्त और भगवा एजेंडे वाली बनी हैं. सरकारी व भगवा एजेंडे वाली फिल्मों की लंबी कतार आगे भी देखने को मिलेगी. पर इन का भविष्य क्या है?
बीमारियों को न्योता देता मोटापा
मोटापा भारत समेत पूरी दुनिया की समस्या बनता जा रहा है. हालांकि यह समस्या ऐसी है जिसे वक्त रहते नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु उस के लिए सही आकलन करना जरूरी है. जानिए कि कब मोटापे का अलार्म बजने लगता है?
महिलाएं हक के लिए करें नौकरी
महिलाओं व पुरुषों के बीच लैंगिक असमानता आज भी व्याप्त है. देखा गया है कि जो युवती आर्थिक रूप से मजबूत व आत्मनिर्भर होती है वह अपने निर्णय लेने में ज्यादा सक्षम होती है. लैंगिक असमानता को मिटाने के लिए युवतियों का आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है.
महिलाओं को कमजोर बनातीं धार्मिक कलश यात्राएं
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर देशभर में कई छोटेबड़े आयोजन हुए थे. उन समारोहों में अपने अपने क्षेत्रों की महिलाओं को सफल सम्मानित किया गया था और जम कर हुई भाषणबाजी में महिलाओं को देवी साबित करने का रिवाज भी कायम रहा था. वक्ताओं ने गागा कर बताया था कि आज महिलाएं किसी क्षेत्र में उन्नीस नहीं हैं. तमाम भाषणों का सार कुछ यों निकलता है.
मजबूत हो रहे हैं औरतों के हक बढ़ रहे हैं तलाक के मामले
जैसेजैसे औरतें शिक्षित हुईं, नौकरी में आगे बढ़ीं, उन्हें अपने खिलाफ होने वाली गलत बातों पर आवाज उठाना भी आने लगा. आर्थिक मजबूती इंसान में हिम्मत लाती है. यही औरतों के साथ भी हुआ. अब पति की मारपीट व गालियां जब बरदाश्त नहीं होतीं तो वे तलाक का रास्ता अपनाने से गुरेज नहीं करतीं.
एंटीएस्टैब्लिशमेंट प्रोफेसर जी एन साईबाबा आखिर किस बात की सजा मिली
प्रोफैसर साईबाबा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच फुटबौल सा बन चुके हैं जो 8 वर्षों से किक ही खा रहे हैं. लेकिन उन की दास्तां दुखद रूप से दिलचस्प है जिस का सार यह है कि उन का मनोबल दक्षिणपंथियों से टूट नहीं रहा.
सरकारी कामों में घुसता धार्मिक पाखंड
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक आजकल न्यायपालिका के कार्यक्रमों में पूजापाठ पर बात कहने का कोई मौका ही ढूंढ़ रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अति होने लगी है जिस की कोई भी बुद्धिमान, तार्किक व व्यावहारिक आदमी अब और ज्यादा अनदेखी नहीं कर सकता.
हिंदू सवर्णों को बहकाने की नीयत से सीएए
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने ध्रुवीकरण का अब एक और दांव चल दिया है. सोचसमझ कर तारीख भी रमजान की चुनी. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से केवल कुछ गैरमुसलिमों को फायदा होगा पर आपसी मनमुटाव बढ़ेगा.
अपनी ताकत को पहचाने ट्रायल कोर्ट
ट्रायल कोर्ट के बाद बड़ी संख्या में मुकदमे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जा रहे हैं. जिन की क्षमता है वे तो राष्ट्रपति तक भी पहुंच रहे हैं. एक मुकदमा सालोंसाल लटका रहता है. न्याय की आस में दोनों पक्ष अपना सबकुछ गंवाते हैं. संविधान ने ट्रायल कोर्ट को सब से अधिक ताकत दी है. अगर ट्रायल कोर्ट मजबूत हो, मुकदमों में जल्द फैसला हो तो लोगों का न्याय पर भरोसा बढ़ेगा और अपीलें कम होंगी.
इलैक्टोरल बौंड चुनावी दानपेटी
भारतीय जनता पार्टी की सरकार इलैक्टोरल बौंड स्कीम यह कह कर लाई थी कि इस से कालाधन समाप्त होगा, मगर यह स्कीम तो भ्रष्टाचार को कानून का जामा पहना कर उसे वैध बनाने की करतूत साबित हुई. इस के तहत तमाम कंपनियों से करोड़ों रुपयों की धनउगाही की गई और बदले में उन को बड़ेबड़े धंधे दिए गए. सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बाद इस भ्रष्ट स्कीम के रहस्य खुल चुके हैं.
रिऐलिटी शोज से बौलीवुड सैलिब्रिटीज कैसे कमाते हैं इजी मनी
बौलीवुड में कलाकारों के पास पैसा कमाने का माध्यम सिर्फ फिल्म ही नहीं है, इस के अलावा भी कई तरीके हैं जिन से वे पैसा छापते हैं.
शादियों का होने लगा है फिल्मीकरण
रुपहले परदे पर जिस तरह शादी के दौरान माहौल बनाया जाता है, अब उस की नकल आम लोग करने लगे हैं. वैडिंग फोटोग्राफी के बदलाव की वजह से अब न्यू कपल्स भी सितारों की तरह जमीन पर उतरते दिख रहे हैं.