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फ़िल्मी दुनिया के किस्से और सुपरस्टार की मौत
फ़िल्मी दुनिया चकाचौंध से भरी है। हर मोड़ एक किस्सा है, एक कहानी है। हर मोड़ पर कुछ टूटता है, कुछ बिखरता है, कुछ जुड़ता है, कुछ संभलता है। फिल्मी दुनिया में ज़िन्दगी बहुत तेज़ी से दौड़ती है, तो कहीं हालात ऐसे भी बन जाते हैं कि एक पल भी हज़ारों साल जितना भारी लगता है।
कशीर
भारत के बुद्धिजीवियों में यह धारणा बनी हुई है कि भारत और पाकिस्तान के बीच की अनबन के लिए कश्मीर की समस्या ही मूल कारण बनी है।
फर्श से अर्श तक पहुँचने की प्रेरक कहानी
ओपरा विनफ्रे ने अपनी दुनिया ख़ुद बनाई है. उन्होंने महिला शक्ति को एक नई पहचान दी है. उनका सफ़र प्रेरणा से भरा है, जहाँ उन्हें सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा
महान् बनने का विज्ञान
प्रत्येक व्यक्ति के अंदर शक्ति का एक सिद्धांत होता है। इस सिद्धांत के बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग एवं मार्गदर्शन के द्वारा मनुष्य स्वयं अपनी आंतरिक शक्ति का विकास कर सकता है। मनुष्य में एक अंतर्निहित शक्ति होती है, जिसकी सहायता से वह जिस दिशा में चाहे, प्रगति कर सकता है और उसकी प्रगति की संभावनाओं की कोई सीमा भी दिखाई नहीं देती। अभी तक कोई मनुष्य किसी एक क्षेत्र में इतना महान् नहीं बन पाया है कि किसी और के उससे अधिक महान् बनने की संभावना न हो। यह संभावना उस मूल तत्त्व में है, जिससे मनुष्य बना हुआ है। प्रतिभा वह सर्वज्ञता है, जो मनुष्य के अंदर प्रवाहित होती रहती है।
चित्रकार और शिल्पकार पिकासो
पिकासो को उनके चित्रों की रेखाएँ ही दर्शकों से संवाद स्थापित करती हैं, इसलिए उन्हें प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा तो वास्तव में चित्रकार के रूप में मिली; क्योंकि उनकी पेंटिंग का हर कोना अपनी कहानी खुद कहता है
कोरोना से बचने के आध्यात्मिक सिद्धांत
कोरोना की जंग है बचना है, बचाना है तभी जीत हासिल होगी... कभी-कभी कोई ऐसी महामारी दुनिया में पैर पसार लेती है, जिससे लाखों लोगों की जान चली जाती है। इस पीढ़ी के लिए यह घटना अभूतपूर्व है।
कारगिल शहीदों की प्रेरक कहानियाँ
कारगिल किसी ऐसे युद्ध का लेखाजोखा मात्र नहीं है, जिसे भारतीयों ने अपनी बैठकों में टेलीविजन के जरिए देखा. यह हमें उस बलिदान, प्रेम और यादों की कहानियों से भी परे ले जाता है, जिन्हें शहीदों के परिवारवालों, दोस्तों और रेजीमेंट्स ने पिछले बीस वर्षों से जीवित रखा हुआ है.
दस क्लासिक हिंदी फ़िल्मों के निमणि की असाधारण यात्रा
भारतीय फ़िल्मों के इतिहास में क्लासिक हिंदी फ़िल्मों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। इन फ़िल्मों को बने कई दशक बीत चुके हैं, पर आज भी उनका जादू क़ायम है या यूँ कहिए कि उनका महत्त्व और लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
बोलना ही है लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में
मेरा बोलना और उसे साहस के फ्रेम में देखा जाना ये सब 2014 के बाद की परिस्थितियों की मेहरबानी है। 2014 के बाद राजनीति की हवा बदल गई। सरकार की आलोचना को देश की आलोचना बताया जाने लगा।
मुग़ल-ए-आज़म के पीछे की दिलचस्प कहानी
दास्तान-ए-मुग़ल-ए-आज़म
शिखंडी अंबा के प्रतिशोध की गाथा
काशी नरेश द्वारा आयोजित अपनी तीन बेटियों के स्वयंवर-स्थल में से उनका हरण करने पर उनकी सबसे बड़ी बेटी अंबा अपने हरणकर्ता भीष्म के विरुद्ध परशुराम से युद्ध का कारण बनी।
हम भारतीय कौन हैं? हम कहाँ से आए थे?
पत्रकार टोनी जोसेफ़ 65,000 वर्ष अतीत में जाते हैं, जब आधुनिक मानवों या होमो सेपियन्स के एक समूह ने सबसे पहले अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्धीप तक का सफ़र तय किया था।
हाशिमपुरा 22 मई
आज़ाद भारत के सबसे बड़े हिरासती हत्याकांड का पर्दाफाश
सफलता वही है, जो आपके भीतर खुशी के इंडेक्स को बढ़ाए
निशांत जैन की प्रेरणादायक किताबें हर आयु वर्ग के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उनकी किताब 'रुक जाना नहीं' रिलीज़ होते ही बेस्टसेलर किताबों में शामिल हो गई और आज भी खूब बिक रही है। समय पत्रिका ने ख़ास बातचीत की लेखक निशांत जैन से.
महिलाओं के सशक्तिकरण से दुनिया बदलतीं मेलिंडा गेट्स
जब महिलाएं दुर्व्यवहार में फंस जाती हैं और अन्य स्त्रियों से अलग हो जाती हैं, हम हिंसा के खिलाफ खड़ी नहीं हो सकतीं, क्योंकि तब हमारे पास आवाज़ नहीं होती। लेकिन जब स्त्रियां एक-दूसरे के साथ इकट्ठा होती हैं, एक-दूसरे को शामिल करती हैं, अपनी कहानियों को एक-दूसरे को बताती हैं, अपने दुख को साझा करती हैं, हम अपनी आवाज़ को एक-दूसरे में पाती हैं। हम एक नई संस्कृति बनाती हैं - वह नहीं जो हम पर थोपी गई है, बल्कि वह जो हम अपनी आवाज़ और अपने मूल्यों के साथ बनाती हैं।
पॉलिटिक्स पर लिखना आसान नहीं होता ब्रजेश राजपूत
ब्रजेश राजपूत टीवी के सीनियर पत्रकार हैं और रिपोर्टिंग के साथ साथ लगातार लेखन कर रहे हैं उनकी हाल में आयी किताब 'वो सत्रह दिन' बेहद चर्चित हो रही है. मध्यप्रदेश के कमलनाथ सरकार गिराने के घटनाक्रम पर लिखी इस किताब को पॉलिटिकल थ्रिलर कहा जा रहा है. भोपाल में रहने वाले ब्रजेश राजपूत से बात की समय पत्रिका ने उनकी नयी किताब और आने वाली किताब के बारे में.
गीता प्रेस और हिन्दू भारत का निर्माण
गीता प्रेस और इसके प्रकाशन द्वारा तैयार किये जा रहे विचारों ने हिंद राजनैतिक चेतना और वास्तव में हिंदी जन दायरे को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई। यह इतिहास हमें हिंदू दक्षिणपंथ की राजनैतिक सर्वश्रेष्ठता के उभार जैसे विवादित और जटिल विषय पर नई दृष्टि प्रदान करता है...
कश्मीर और कश्मीरी पंडित
बसने और बिखरने के 1500 साल
मुम्बई अंडरवर्ल्ड के कुख्यात गिरोहबाज़
बायकला टू बैंकॉक मेरी पिछली पुस्तक डोंगरी से दुबई तक के सिलसिले को पूरा करती है, जिसमें पिछले छह दशकों के मुम्बई माफिया और इस शहर के साथ उसके संबंध को बयान किया गया है।
रहस्य और रोमांच से भरा उपन्यास है 'आह्वान'
यह यात्रा बेहद रोमांचक लगती है। पाठक इसकी सैर बार-बार करने की सोच सकते हैं
राजनीति और भ्रष्टाचार का गठजोड़
विक्रम सिंह आज के चर्चित युवा कहानीकारों में से एक हैं। उन्होंने समकालीन विषयों पर बहुत ही बेहतरीन कहानियां लिखी हैं। कहानियां अपने विषय -वस्तु के हिसाब महत्वपूर्ण हैं। इसी तरह उनका यह पहला उपन्यास यारबाज नाम से आया है। दरअसल यारबाज उन्हीं की एक महत्वपूर्ण कहानी 'गणित का पंडित' का विस्तार है।
सीक्रेट ने कैसे बदला मेरा जीवन
जब से द सीक्रेट फ़िल्म और पुस्तक संसार के सामने आई है, तब से लाखों लोग हमें बता चुके हैं कि उन्होंने द सीक्रेट के सिद्धांतों का इस्तेमाल करके अपनी मनचाही चीज़ कैसे आकर्षित की: उन्होंने आदर्श स्वास्थ्य, दौलत, आदर्श जीवनसाथी, आदर्श करियर कैसे पाया, वैवाहिक जीवन या प्रेम संबंध को बेहतर कैसे बनाया, किसी खोई हुई चीज़ को दोबारा कैसे पाया, यहाँ तक कि अपने दुख कैसे दूर किए और ख़ुशी कैसे पाई।
अपने चाणक्य स्वयं बनें
न्यूटन ने कहा था कि प्रकृति की किताब गणित की भाषा में लिखी गई है।
ममता से मातृत्व तक की यात्रा
यह कोई परंपरागत रूप में स्वालंबी बनने से जुड़ी पुस्तक नहीं है। यह माँ के रूप में मेरी यात्रा का ईमानदार व गंभीर वर्णन है
शोमैन राजकपूर
राज कपूर ने न केवल फिल्में बनाई, अपितु उन्होंने भारतीय फिल्म दर्शन की मुख्यधारा का उस समय निर्माण किया, 'बॉलीवुड' नाम के शब्द की एक झलक मात्र ही फिल्म विपणनकर्ताओं की आँखों में दिखाई पड़ी थी
एक दिलचस्प दास्तान
कुछ कहानियां लंबे समय तक याद रखी जा सकती हैं, राहुल चावला की 'हज़ारों ख्वाहिशें' ऐसी ही किताब है. कहानी जटिलता से परे चलती है, लेकिन परत के भीतर परत होने से रोचकता और जिज्ञासा बढ़ती है.
चुनौतीपूर्ण पत्रकारिता की सच्ची घटनायें
'ख़बर अच्छी हो या बुरी, सच यही है कि पत्रकारों के फेफड़ों की दरारें एक ही अनुपात में दरकती हैं। मौत और मातम ख़बरों में ऐसे ही बिकता है। ख़बरों के रीति-रिवाज ऐसे ही हैं। सूरज उगने-ढलने तक घटनायें-दुर्घटनायें होती रहेंगी। दहशतभरी ख़बरें आती रहेंगी। खौफनाक और डरावने सच सामने आते रहेंगे। ख़बरों का यह संसार भले ही हर दिन आपकी ऊर्जा को निचोड़ लेता है, लेकिन कई ऐसे अनुभव भी इसका हिस्सा हैं जो संजीवनी की तरह आपकी चेतना में प्राण फूंक देते हैं और होठों पर मुस्कुराहट ले आते हैं
क्या शूर्पणखा लंका के विनाश का कारण थी?
शूर्पणखा का अर्थ है, एक ऐसी स्त्री जो नाखून की तरह कठोर हो। उसके जन्म का नाम मीनाक्षी था, अर्थात् मछली जैसी सुंदर आंखों वाली। शूर्पणखा, रामायण की ऐसी पात्र है जिसे सदा गलत समझा गया है। वह उन भाइयों की छत्र-छाया में बड़ी हुई, जिनकी नियति में युद्ध लड़ना, जीतना तथा ख्याति व प्रतिष्ठा अर्जित करना लिखा था। परंतु इस सबके विपरीत शूर्पणखा के जीवन का मार्ग पीड़ा और प्रतिशोध से भरा था.
नए ज़माने की रोचक कहानी
जयंती रंगनाथन की पुस्तक 'एफ.ओ. ज़िन्दगी' ऐसी कहानी कहती है जिसमें भागती-दौड़ती युवाओं की बातें, उनके जीवन में बनते-बिगड़ते रिश्ते, उधेड़बुन, भ्रम, आशा-निराशा आदि मौजूद हैं। यह ऐसी किताब है जिसे पढ़कर रोमांच, मुस्कान, मायूसी, हैरानी होती है। शुरु से ही पाठक कहानी में रम जाता है। कारण है उसका फास्ट-पेस होना।
योग और आहार से 100 साल कैसे जिएँ
योग ने मुझे ऐसे रोगों से मुक्ति दिलाई थी, जिन्होंने चिकित्सा विज्ञान के अन्य लोकप्रिय रोगोपचारों के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई थी। मैं उसकी नियमित रूप से साधना करती रही, उसके विषय में पढ़ती एवं बातचीत करती और कुछ समय में योग की चिकित्सक बन गई।