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पोटैटो डिगर आलू खुदाई यंत्र
आलू की खेती अगर अगेती की जाए, तो जल्दी ही आलू की खुदाई कर उसे मंडी में बेच कर अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है. साथ ही, खाली हुए खेत में गेहूं की फसल भी ली जा सकती है.
औषधीय पौध के लिए जुनूनी किसान
हमारे यहां किसान का जुनून खेतों की लहलहाती फसल से देखा जा सकता है. यहां ऐसे ही एक किसान से आप को मिला रहे हैं, जो खेतीबारी से ज्यादा बागबानी में ध्यान देता है. इस किसान का नाम रामलोटन कुशवाहा है. मध्य प्रदेश के सतना जिला हैडक्वटर से तकरीबन 25 किलोमीटर और उचेहरा ब्लौक से 10 किलोमीटर दूर बसे गांव अतरवेदिया खुर्द के निवासी हैं ये.
औषधीय व सुगंधित पौधों की जैविक विधि से खेती
सभ्यता की शुरुआत से ही इनसान दूसरे जीवों की तरह पौधों का इस्तेमाल भोजन व स औषधि के रूप में करता चला आ रहा है. आज भी ज्यादातर औषधियां जंगलों से उन के प्राकृतिक उत्पादन क्षेत्र से ही लाई जा रही हैं. इस का मुख्य कारण तो उन का आसानी से उपलब्ध होना है, पर इस से भी बड़ा कारण जंगल के प्राकृतिक वातावरण में उगने के चलते इन पौधों की अच्छी क्वालिटी का होना है.
धनिया उत्पादन की उन्नत तकनीक
धनिया मसालों वाली फसलों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस के दानों में पाए जाने वाले वाष्पशील तेल के कारण यह भोज्य पदार्थों को स्वादिष्ठ एवं सुगंधित बनाती है. भारत में इस की खेती मुख्यतः राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में की जाती है.
सघन बागबानी : कमाई का दमदार जरीया
खेतीबागबानी की जमीन बढ़ती जनसंख्या के साथसाथ लगातार घट रही है, ऐसे में लंबेचौड़े इलाके में खुलेआम बाग लगाना घाटे का सौदा है. हालात से निबटने के लिए सघन बागबानी अपनाने में ही बागबानों व देश की भलाई है
फसल को कीटों से बचाएं लगाएं फसल रक्षक फसलें
फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से बचाने के लिए किसान फसल रक्षक फसलें उगा सकते हैं, जो एक खास समय के दौरान कीटों को अपनी ओर खींच कर खास फसल को अनेक कीटों से बचाती हैं. इन फसलों को मुख्य फसल के बीचबीच में कहीं कहीं लाइनों में लगाया जाता है या मुख्य फसल के चारों ओर बाड़ की तरह लगाया जाता है.
न्यू हालैंड का एसी कंबाइन हार्वेस्टर
मध्य प्रदेश में ट्रैक्टर निर्माता कंपनी न्यू हालैंड ने अपने एसी कंबाइन हार्वेस्टर को पहुंचाया है. न्यू हालैंड कंपनी की ओर से बनाए गए इस कंबाइन हार्वेस्टर में अनेक खूबियां हैं. कंपनी का कहना है कि इसे चलाना बेहद आसान है. इस के रखरखाव पर भी कम खर्च आता है.
वैज्ञानिक तरीकों से गेहूं की खेती
भारत में गेहूं की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है. गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है. केरल, मणिपुर व नागालैंड राज्यों को छोड़ कर अन्य सभी राज्यों में इस की खेती की जाती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व पंजाब सर्वाधिक रकबे में गेहूं की पैदावार करने वाले राज्य हैं.
शुगरकेन प्लांटर गन्ना बोआई में कृषि यंत्र का प्रयोग
गन्ने की खेती लंबे अरसे तक चलने वाली फसल है. एक बार गन्ने की बोआई कर दी, तो 2-3 साल तक आप उस से उपज ले सकते हैं.
नवंबर महीने में खेती के खास काम
नवंबर की शुरुआत में ही किसान गेहूं की बोआई की तैयारियों में जुट जाते हैं. नवंबर माह में गेहूं की बोआई का दौर पूरे जोरशोर से चलता है. यह समय ही गेहूं की बोआई के लिहाज से सब से अच्छा होता है.
जौ की उन्नत खेती
जौरबी मौसम की फसल है, जिसे सर्दी के मौसम में उगाया जाता है. जौ गेहूं से ज्यादा सहनशील पौधा है. इसे कई तरह की मिट्टियों में उगाया जा सकता है. जौ का भूसा चारे के काम में लाया जाता है. यह हरा व सूखा दोनों रूपों में जानवरों को खिलाने में इस्तेमाल किया जाता है. सिंचित दशा में जौ की खेती गेहूं के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है.
गेहूं फसल में निमेटोड पहचान और बचाव
निमेटोड बहुत ही छोटे आकार के सांप जैसे जीव होते हैं, जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता. ये माइक्रोस्कोप से ही दिखाई देते हैं. ये अधिकतर मिट्टी में रह कर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. इन के मुंह में एक सुईनुमा अंग स्टाइलेट होता है. इस की सहायता से ये पौधों की जड़ों का रस चूसते हैं, जिस के कारण पौधे भूमि से खादपानी पूरी मात्रा में नहीं ले पाते. इस से इन की बढ़वार रुक जाती है और पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है.
भूसा स्टोर करने का जंबो बैग
पशुओं के चारे में भूसे का अहम रोल है. इस के बिना कोई भी पशु का चारा अधूरा है. किन्हीं दिनों बहुत कम कीमत में मिलने •वाला भूसा आज काफी महंगा व मुश्किल से मिलता है, इसलिए जरूरी है कि भूसे को भी सही तरीके से स्टोर करें.
लूट का जरीया फसल व पशु बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मोदी सरकार ने साल 2016 में 7,000 करोड़ रुपए, साल 2017 में 9,000 करोड़ रुपए व साल 2018 में 13,000 करोड़ रुपए बजट दिया था. इतना ही राज्य सरकारों ने दिया था. मतलब, सरकार की तरफ से 3 साल में कुल 58,000 करोड़ रुपए दिए गए.
कोंडागांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट मूल रूप से मैक्सिको का पौधा माना जाता है. इस का वैज्ञानिक नाम ह्वाइट फ्लेशेड पतिहाया और वानस्पतिक नाम 'हाइलोसेरेसुंडाटस' है. वियतनाम, चीन और थाईलैंड में इस की खेती बड़े पैमाने पर होती है. भारत में इसे वहीं से आयात किया जाता रहा है. अब तक इसे अमीरों और रईसों का ही फल माना जाता था, पर जल्द ही यह आम लोगों तक भी पहुंचने वाला है.
आलू से बने करोड़पति किसान भंवरपाल सिंह
वकालत छोड़ आलू की खेती करने वाले भंवरपाल सिंह को एक किसान के साथसाथ सफल बिजनैसमैन बना दिया है. भारत के कई राज्यों में उन के द्वारा उगाया गया आलू बीज के लिए जाता है. मौजूदा समय में वे आलू से तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए से ऊपर का टर्नओवर करते हैं. जानें कहानी, उन्हीं की जबानी
हैप्पी सीडर बिना जुताई करे सीधी बोआई
पराली व फसल अवशेष बिना निकाले हैप्पी सीडर मशीन खेत में गेहूं की सीधी बोआई कर सकता है खासकर धान की खेती के बाद उस के फसल अवशेष फसल में खड़े रह जाते हैं, उस खेत में हैप्पी सीडर मशीन बहुत कारगर है.
गाजर की खेती में कृषि यंत्रों का प्रयोग
गाजर बीज की बोआई बिजाई यंत्र से करें गाजर की बिजाई मजदूरों के अलावा मशीन से भी कर सकते हैं. इस के लिए तमाम कृषि यंत्र बाजार में मौजूद हैं. हरियाणा के अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के मालिक महावीर प्रसाद जांगड़ा ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम मशीनें बनाई हैं, जिन में गाजर बोने के लिए गाजर बिजाई की मशीन भी शामिल है.
गाजर की उन्नत खेती
गाजर एक अत्यंत ही पौष्टिक एवं महत्त्वपूर्ण सलाद वाली सब्जी है. इस का उपयोग सलाद, सब्जी, हलवा, मुरब्बा, जूस और रायता के रूप में किया जाता है.
कांटे वाला कटहल
कांटेदार छिलके वाला कटहल भी प्रकृति की अनोखी देन है. अगर पहली बार देखो तो भरोसा नहीं होता कि यह रसोई में पका कर खाने की चीज है. यह बेल या पौधे में नहीं पेड़ में लगता है. आमतौर पर कटहल की सब्जी बनाने के अलावा लोग इस का इस्तेमाल अचार बनाने में भी करते हैं.
वैज्ञानिक तरीके से करें मूली की खेती
हमारे भोजन की शान समझी जाने वाली सलादें अकसर कई तरह की सब्जियों को मिला कर बनाई जाती हैं, जिस में मूली, गाजर, चुकंदर, टमाटर, प्याज आदि चीजें महत्त्वपूर्ण रूप से प्रयोग की जाती हैं. इन्हीं सलादों को बनाने में प्रयोग लाई जाने वाली मूली न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है, बल्कि यह खाने को और भी लजीज बनाती है.
पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी और प्रबंधन
फसलों की अच्छी पैदावार के लिए 17 सूक्ष्म पोषक तत्त्व चाहिए. इन में से एक भी पोषक तत्त्व की कमी होने से फसल पर बुरा असर पड़ता है. पौधों की जरूरत के आधार पर इन पोषक तत्त्वों को 2 समूहों में बांटा गया है:
शीत ऋतु में गन्ने की वैज्ञानिक खेती
गन्ने का प्रयोग बहुद्देशीय फसल के रूप में चीनी उत्पादन के साथसाथ अन्य उत्पाद जैसे पेपर, इथेनाल एल्कोहल, सैनेटाइजर, बिजली उत्पादन और जैव उर्वरक के लिए कच्चे पदार्थों के रूप में किया जाता है. इस की शरदकालीन बोआई अक्तूबरनवंबर माह में करते हैं और फसल 10-14 माह में तैयार होती है. गन्ना बीज का चुनाव करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जिस से भरपूर उत्पादन हो सके.
फसल अवशेष प्रबंधन जमीन और जीवन दोनों की जरूरत
फसल अवशेष प्रबंधन आज की जरूरत बन चुका है, क्योंकि फसलों के अवशेष को जलाने से वायु प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है. फसल अवशेष जलाने की समस्या अब एक राज्य की नहीं रही है. ऐसा कई राज्यों के किसान कर रहे हैं.
अक्तूबर माह में फसल संबंधित सलाह
धान की फसल में यूरिया की दूसरी व अंतिम टौप ड्रैसिंग रोपाई के 55 से 60 दिन बाद 60-65 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करें.
पशुओं की लंपी स्किन डिजीज कारण और निवारण
आजकल स्किन फैली लंपी डिजीज के कारण पशुओं और पशुपालकों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस रोग के कारण पशुओं की उत्पादकता कम हो जाने के साथसाथ पशु हानि का भी सामना करना पड़ रहा है.
तोरिया की बोआई का सही समय
इस समय वर्षा सामान्य से बहुत कम हुई है, जिस के कारण या अन्य किसी कारण से किसान खरीफ में कोई फसल नहीं ले पाए हैं, वे खाली पड़े खेत में तोरिया/लाही की फसल ले सकते हैं. इस की खेती कर के अतिरिक्त लाभ लिया जा सकता है. तोरिया खरीफ एवं रबी सीजन के मध्य में बोई जाने वाली तिलहनी फसल है.
ग्राफ्टिंग विधि से आम की करें पौध तैयार
अच्छी किस्मों के आम के पौधों की उपलब्धता आज भी एक चैलेंज है. बागबानी के जरीए आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयासरत लोगों को अकसर पौधों की रोपाई के सीजन में उन्नत किस्मों के आम के पौध नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में अगर बेरोजगार नौजवान, किसान और महिलाएं खुद ही आम के उन्नत पौधों की नर्सरी का व्यवसाय शुरू करें, तो उन्हें अच्छी आमदनी होगी. साथ ही, अपने बागबानी का शौक भी आसानी से पूरा कर पाएंगे.
पौधों को बीमारी से बचाएं
हरित क्रांति के बाद से पैदावार बढ़ी है. आबादी के लिए न सिर्फ अनाज मयस्सर हुआ, बल्कि भंडार भी भरे. इस के अलावा कैमिकल खाद व जहरीली दवा के साइड इफैक्ट से फसलों में लगने वाली बीमारियां भी तेजी से पनपीं. इन सब की वजह से हर साल पैदावार का एक बड़ा हिस्सा किसानों के हाथ से निकल जाता है.
आलू की उन्नत खेती
आलू किसानों की खास नकदी फसल है. अन्य फसलों की तुलना में आलू की खेती कर के कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर किसान आलू की परंपरागत तरीके से खेती को छोड़ कर वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो पैदावार और मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है.