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ताकतवर और तेजतर्रार तिकड़ी
महाराष्ट्र की राजनीति में एक समय फडणवीस, शिंदे और अजीत पवार Chat क ऐसी तिकड़ी माना जाता था, जो मौका मिलते ही एक-दूसरे को मात देने की फिराक में रहती थी. लेकिन विधानसभा चुनावों में बंपर सफलता ने इस धारणा के बदलकर रख दिया.
अभी थोड़ा मुश्किल दौर
अरबपति गौतम अदाणी के लिए 2024 अमेरिकी अदालत के रिश्वत के आरोपों, बाजार नियामकों के अभियोगों, भारी राजनैतिक विरोधों और वैल्युएशन के नुक्सान वाला साल रहा. फिर भी अदाणी की पहचान मानी जाने वाली आगे बढ़ने की वह भूख और कारोबार में आंतरिक मजबूती अब भी
बुलंद इंसाफ
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने न्याय और संवैधानिक नैतिकता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता दिखाई, लेकिन सार्वजनिक तौर पर किए गए अपने कुछ संवादों के लिए आलोचना को भी न्यौता दिया
भगवा रथ पर लगाम
विपक्षी गठबंधन के लिए यह उतार-चढ़ाव से भरा साल रहा. उसने साहसिक कदम उठाए और नीतिगत सफलताएं भी हासिल कीं मगर आंतरिक मतभेदों के कारण इसके स्थायित्व पर सवाल उठते रहे
सावधान करती शख्सियत
मोहन भागवत के नेतृत्व में आरएसएस ने अपना रुख सख्त कर लिया और लोकसभा चुनाव के नतीजों का इस्तेमाल अपने वर्चस्व को फिर से स्थापित करने और भाजपा दृष्टिकोण में बदलाव के लिए किया
तीसरी बार सत्ता में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल तो मिला लेकिन इंडिया ब्लॉक भाजपा को पूर्ण बहुमत से पीछे रोकने में कामयाब हुआ तो चमक कुछ फीकी पड़ गई
'आलोचना हमेशा मुझे प्रेरणा और ताकत देती रही है'
महज पांच दिन पहले ही तो गुकेश डोम्माराजू को 2024 का फिडे विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब मिला था (जिसका जश्न उन्होंने बंजी जंपिंग के जरिए भी मनाया). वे उस वक्त तक भी समझ नहीं पा रहे थे कि इस प्रसिद्धि पर मिल रही चौतरफा तारीफों से कैसे निबटें. डिप्टी एडिटर सुहानी सिंह के साथ खास बातचीत में गुकी (प्यार से लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं) ने शतरंज से अपने लगाव, 'विशी सर' के असर, अपने जेन ज़ी साथियों, शतरंज को लेकर स्ट्रीमिंग के जुनून और भविष्य के लक्ष्यों के बारे में बात की. उसके अंशः
छोटी उम्र के ग्रैंड मास्टर
केश डोम्माराजू अब सबसे कमसिन शतरंज विश्व चैंपियन हैं, लेकिन वे तो भारत की शतंरज महागाथा के स्वर्णिम ताज के सिरमौर भर हैं, 'सुनहरी पीढ़ी' के लिए 2024 वह साल है, जब उन्होंने साबित कर दिखाया
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई
चांद से आगे के खोजी
भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष की हमारी भूख को तीव्र कर दिया. चंद्रयान 1 ने 2008 में उसे हकीकत में बदला और शानदार कामयाबियों का सिलसिला शुरू हुआ
अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान
भारत 1980 में एसएलवी-3 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजने के साथ उस विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया जो उपग्रह प्रक्षेपण यान बनाने में सक्षम था. इसने भारत के अंतरिक्ष की एक ताकत बनकर उभरने का रास्ता खोला और इसके साथ ही हमारे सौर मंडल की बेहद गहराई तक खोज करने की यात्रा शुरू हुई
चांदनी ओढ़े एक रेगिस्तान
सर्दियों के मौसम में कच्छ के रण में 100 दिन तक आयोजित होने वाला रण उत्सव नमक, संस्कृति और सितारों से जगमगाती भव्यता का एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला कैनवस है
सीधे जन्नत का सफर
पर्यटन के विज्ञापन अभियानों में 'गॉड्स ओन कंट्री' सुनहरा मानदंड है. इसने केरल को अंतरराष्ट्रीय शीर्ष 10 पर्यटक स्थलों में जगह दिलवाई, जहां पर्यटन अब राज्य के जीडीपी में 12 फीसद का योगदान दे रहा
तंदूरी नाइट्स
आइटीसी के बुखारा और दम पुख्त ने दुनिया को तंदूरी व्यंजनों की तरफ मोड़ा और फूड ऐंड बेवरेज इंडस्ट्री पर जबरदस्त असर डाला. दशकों बीत चुके हैं मगर आज भी दिल्ली आने वाली मशहूर हस्तियां और राष्ट्र प्रमुख इनके लिए वक्त जरूर निकालते हैं
कमाल करती हिंदुस्तानी कूची
भारतीय कला परिदृश्य के लिए 1990 के दशक का आर्थिक उदारीकरण किसी प्राणवायु से कम नहीं रहा, जिसने हर तरफ इसकी जगमगाहट फैला दी. आज स्थापित कलाकारों की कलाकृतियां आम तौर पर बहुत ज्यादा कीमत पर बिकती हैं
एकला चलो
अभिनेत्री निमरत कौर, जिन्हें आखिरी बार थ्रिलर, सजनी शिंदे का वायरल वीडियो में देखा गया था, सफर से जुड़े अपने तजुर्बे पर
थम गई धड़कन की थाप
ज़ाकिर हुसैन आवाजाही के हरेक तजुर्बे की लय उठाते और अपनी तालों में शामिल कर लेते. उनके लय चक्र में केवल खुशी, खिलखिलाहट और थपथपाहटें झलकतीं...ऐसा था ज़ाकिर की उंगलियों का जादू
छोटा पर्दा बड़ा बना
भारतीय टेलीविजन अस्सी के दशक में नीरस बेरंग बक्से से लुभावनी किस्सागोई के भरे-पूरे रंगों में बदल गया. उधर बहुत सारे चैनलों की क्रांति धमाके के साथ घटित होने का इंतजार कर रही थी
एक सटीक निशाने ने बदली सूरत
चेहरे पर संन्यासियों जैसा संयम और शिकारी की तरह लक्ष्य पर टिकी आंखें. अभिनव बिंद्रा को इसी की जरूरत थी, क्योंकि उन्हें अपने अचूक निशाने से भारतीय मानस पर छाई गहरी उदासीनता को निकाल फेंकना जो था
दस हजारी शतक वीर
वे अपने उत्तराधिकारी सचिन की तरह ही धूम मचा सकते थे, पर मुश्किल से ही उन्होंने ऐसा किया. आमतौर पर उनका ढंग परंपरागत रहा, सलीकेदार और संपूर्ण
एक वायरस के खिलाफ उठ खड़ा हुआ देश
यह बच्चों को स्थायी विकलांगता का शिकार बनाने वाली एक खतरनाक बीमारी थी. भारत ने सरकार, गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय समुदायों के सदस्यों की ओर से निरंतर और ठोस प्रयास के माध्यम से पोलियो उन्मूलन के असंभव से दिखते लक्ष्य को हासिल कर दिखाया