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नई चीन नीति का वक्त
लद्दाख के पूर्वी इलाके में यथास्थिति कायम होना आसान नहीं, चीन के आक्रामक रुख पर नई सोच जरूरी
भ्रष्टाचार पर चौतरफा धिरी योगी सरकार
सामने आए सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं संग परीक्षा माफियाओं के संबंध
संक्रमण की दूसरी लहर
भारत दुनिया में चौथे नंबर पर पहुंचा, काबू पाने की रणनीति नाकाम, एक और लॉकडाउन की आशंका
वर्चुअल दुनिया का दौर
कोविड-19 संकट में टेक्नोलॉजी ने नए आयाम खोले, लेकिन डिजिटल डिवाइड की खाई बड़ी चुनौती
मौजूदा तनातनी की वजहें अलग
एलएसी को लेकर भारत-चीन में स्पष्टता न होने से बार-बार गरमाता है मुद्दा, मगर मौजूदा चीनी घुसपैठ की वजहें कुछ हद तक सियासी
महामारी के बीच बॉलीवुड के हालात
कई बड़ी फिल्मों के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आने से फिल्मकारों और सिनेमाघर मालिकों के बीच ठनी
नई राजधानी का तोहफा
गैरसैंण बनेगी ग्रीष्मकालीन राजधानी, विपक्ष का सवाल कि कहां बनेगी स्थायी राजधानी
बेदम होते रोजगार के सरकारी दावे
उद्योग अभी तो पुरानी क्षमता का आधा भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहे, नए रोजगार तो दूर की कौड़ी
महामारी से और बढ़ा फासला
शहरी गरीब और ग्रामीण अभी तक डिजिटल क्रांति के आसपास भी नहीं, तिस पर रोजगार गंवाने से इंटरनेट, मोबाइल पहुंच भी घटी
ई-कॉमर्स की चांदी पर झंझट कई
बाजार जाना हुआ मुश्किल तो ऑनलाइन शॉपिंग के पौ बारह, नए खरीदार आए, नए शहरों में बढ़ा कारोबार
इलाज भी ऑनलाइन
संकट के दौर में शुरू टेलीकंसल्टेंसी सेवा आगे भी जारी रहने की उम्मीद
सरकारों, सियासी दलों को भाए डिजिटल मंच
कैबिनेट बैठकों से लेकर रैलियों तक सब कुछ ऑनलाइन हुआ, विपक्ष ने भी ऑनलाइन ही निभाई भूमिका
साइबर अपराधियों के भी पौ बारह
लॉकडाउन में लोगों ने ऑनलाइन का सहारा लिया तो साइबर अपराधियों को मिला मौका
साय की नियुक्ति से मजबूत हुए रमन
पहले नेता प्रतिपक्ष और अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, दोनों नियुक्तियों में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की चली
रिश्ते बचाने की दरकार
लिपू लेख दर्रे पर नेपाल के हाल के रुख पर चीन की स्पष्ट छाप, भारत को पड़ोसी देश के साथ ऐतिहासिक रिश्ते बचाने को प्रयास करने होंगे
कोविड-19 के बाद बदलेगी इमारतों की प्लानिंग
लोगों के रहन-सहन और काम की शैली के अनुरूप शहरों और इमारतों में बदलाव जरूरी
राहत का भुलावा
सरकार के दावों से विशेषज्ञों की घोर असहमति, मांग बढ़ाए बिना अर्थव्यवस्था पटरी पर कैसे आएगी
पैकेज में काम का खास नहीं
छोटे-मझोले उद्यमियों ने बिना कोलेटरल वाले महंगे कर्ज को नकारा, पुराने कर्ज पर चाहते हैं ब्याज माफी
उपलब्धियों पर भारी चुनौतियां
मौजूदा दौर में कोविड महामारी और लॉकडाउन से बदहाली के अलावा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल में खट्टे-मीठे अनुभव
अब जून-जुलाई की चिंता
बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ने से संक्रमण रोकना मुश्किल, ऐसे में टेस्टिंग के तरीके पर उठे सवाल
कोरोना काल में हुए बेसहारा
तीन महीने बाद भी मुआवजा नहीं, दंगा पीड़ितों का दोहरा संकट
"हालात नोटबंदी काल के संकट से भी ज्यादा गंभीर"
करीब दो महीने के देशव्यापी लॉकडाउन ने करोड़ों लोगों का रोजगार छीन लिया है। अब जब लॉकडाउन में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा रही है, तो लोग एक बार फिर उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर लेबर में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा का मानना है कि हालात पूर्ववत होने में काफी समय लगेगा। वैसे तो हालात कोविड महामारी के आने से पहले ही अच्छे नहीं थे, पर यह भी सच है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या दशकों पुरानी है। प्रो. मेहरोत्रा की संपादित किताब रिवाइविंग जॉब्स, 'एन एजेंडा फॉर ग्रोथ' हाल ही में प्रकाशित हुई है। रोजगार के समूचे परिदृश्य पर उनसे बात की आउटलुक के एस.के. सिंह ने। मुख्य अंश:
महामारी को मात
केंद्र के दिशानिर्देशों से बहुत पहले केरल ने अपनाया डब्ल्यूएचओ का ‘टेस्ट, आइसोलेट एंड ट्रेस' प्रोटोकॉल
"महामारी को सरकार ने महात्रासदी में बदला"
पहले चंद्रशेखर सरकार और फिर अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और फिर विदेश मंत्री जैसा अहम जिम्मा संभाल चुके 83 वर्षीय यशवंत सिन्हा 2014 के बाद से ही दलगत राजनीति से बाहर हैं लेकिन बतौर सार्वजनिक शख्सियत वे आज भी सक्रिय हैं। हाल में लॉकडाउन के दौरान गरीब और प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के खिलाफ उन्होंने राजघाट पर लगभग 11 घंटे का धरना और गिरफ्तारी दी। उनकी मांग है कि मजदूरों को उनके घर ससम्मान पहुंचाने के लिए सेना की मदद ली जाए। इस त्रासद दौर की घटनाओं, सरकारी कदमों, राहत पैकेज जैसे तमाम मुद्दों पर उनसे हरिमोहन मिश्र ने बातचीत की। प्रमुख अंशः
बेमौत मरने की त्रासदी
भूख, भय, लाचारी से प्रवासी मजदूरों की दर्दनाक स्थिति, कुछ की मौत जैसे दृश्य की मिसाल ढूंढ़ना मुश्किल
“पढ़ाई पटरी पर लाने के दिशानिर्देश जल्द
अचानक आई कोविड महामारी ने स्कूल-कॉलेज से लेकर सरकार तक, किसी को संभलने का मौका नहीं दिया। जिस समय संकट आया, उसी वक्त स्कूलों और कॉलेजों की परीक्षाओं के साथ उच्च शिक्षा संस्थानों की प्रवेश परीक्षाएं होती हैं। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि छात्रों की पढ़ाई और साल बर्बाद न हो। छात्रों की परेशानियां दूर करने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है, राज्यों के साथ उसका तालमेल अब तक कैसा रहा, इन सब विषयों पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से बात की संपादक हरवीर सिंह ने। मुख्य अंश:
लाचार मजदूरों पर हथौड़ा
उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश ने आर्थिक सुधार के नाम पर श्रम कानूनों को किया कमजोर, केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल
पहली किस्त तो नाकाफी
प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के पैकेज के ऐलान के बाद वित्त मंत्री के छह लाख करोड़ के पैकेज में मजदूर वर्ग को राहत नहीं
घाटी में आतंक का नया चेहरा
उत्तरी कश्मीर में भारी नुकसान के बाद सुरक्षा बलों को नायकू के मारे जाने से कामयाबी की उम्मीद, पर टीआरएफ की शक्ल में नई मुसीबत
कैसे शुरु हो पढ़ाई
महामारी और लॉकडाउन से बैठे शिक्षा हलके में असमंजस भारी, ई-लर्निंग पर कई तरह के सवाल