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मानव स्वास्थ्य पर रेडिएशन के दुष्प्रभाव
रेडिएशन से प्रभावित होना खतरनाक होता है. इस से तरहतरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बना रहता है. इस का स्वउपचार जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसे में विशेषज्ञ चिकित्सक से जल्द ही संपर्क किया जाना चाहिए.
श्रीलंका में उथलपुथल से भारत को सीख
आज भी श्रीलंका पटरी पर वापस नहीं लौट पाया है. महिंदा राजपक्षे, गोटाबाया राजपक्षे नमल राजपक्षे, बासिल राजपक्षे ने बौद्ध पंडों के साथ मिल कर जिस तरह दक्षिण एशिया के सब से समृद्ध देश श्रीलंका को दसबीस वर्षों में आज विनाश के गहरे गड्ढे में धकेल दिया है, वह केवल इतिहास को दोहराता है.
विधवा के हक धर्म या जाति का जोर नहीं
पति की मृत्यु के बाद अकसर भारतीय महिलाओं को ससुराल में प्रताड़ित किया जाता है जैसे हादसे की जिम्मेदार वही हों. ऐसे में पति के हक की संपत्ति पर अपने हक की बात करना उन के लिए दूर की कौड़ी साबित होता है जबकि यह अधिकार उन्हें कानून देता है.
साइबर अपराध का बढ़ता दायरा
आज हर चीज इंटरनेट से जुड़ गई है. इस से जुड़े खतरों में सब से बड़ी समस्या साइबर क्राइम है जो कइयों को लील रहा है.
अमोघ दास के बहाने इस्कौन की पब्लिसिटी लीला
मोक्ष की ग्राहकी और धर्म का धंधा बढ़ाने का यह टोटका काफी पुराना है और हर वर्ग में लोकप्रिय है. गरीब झुग्गी बस्तियों में मोक्ष नहीं बिकता. वहां नीबू, हड्डी और सिंदूर के टोटके चलते हैं. मिडिल क्लास हमेशा की तरह नीम करोली बाबा के अलावा अमोघ दास, बागेश्वर बाबा, बाबा, प्रदीप मिश्रा और देवकीनंदन ठाकुर जैसे ब्रैंडेड बाबाओं की ग्रिप में है जो इन दिनों दोनों हाथों से दक्षिणा बटोरते हिंदू राष्ट्र के निर्माण की मुहिम में लगे हैं.
सीमा हैदर सावन के विरह की मारी
इस बार प्यार सावन में डूब कर इंटरनैशनल हो चला है. सीमा, अंजू और बारबरा को देखते हुए युवाओं ने भी मुहिम छेड़ दी है कि देश में भले नौकरी, शिक्षा न मिल रही हो पर सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रह कर जोरू तो मिल ही जाएगी, साथ ही लगे हाथ शोहरत भी.
संजय मिश्रा मामला सरकार की हुई किरकिरी
जनता को बेरोजगारी और महंगाई में झोंकने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार ईडी निदेशक संजय मिश्रा को ले कर एक बार फिर चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट में संजय मिश्रा की तरफदारी को ले कर उस की खासी आलोचना हो रही है.
बेटे की विरासत में हिस्सा
पति को खोने का गम, बच्चों की जिम्मेदारी व लोगों की तीखी निगाहों से खुद को बचाए रखना किसी विधवा के लिए कम मुश्किल का काम नहीं. विधवा की आधी शक्ति तो इन्हीं निरर्थक प्रयोजनों में नष्ट हो जाती है. ऐसे में मृत पति की संपत्ति से उस की पत्नी को दरकिनार कर मां का दखल देना कहां तक उचित है?
यादव अहीर कुर्मी ताकतवर पर अलगथलग
पिछड़ी जातियों में अगड़े अहीर, यादव और कुर्मी अगर एकसाथ मिल कर चलें तो बड़ी राजनीतिक ताकत बन सकते हैं. जातिगत जनगणना का भी लाभ तभी मिलेगा जब पिछड़ी जातियां आपस में एकजुट होंगी. लेकिन इन की आपसी कलह इन के बीच सब से बड़ी रुकावट है जिस का फायदा सवर्ण उठा जाते हैं.
मोदी सरनेम मामला राहुल को राहत
मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सांसदी बहाल कर निचली अदालतों की गलती के साथसाथ अपनी और मोदी सरकार की इमेज भी सुधार ली है लेकिन इस से न्याय व्यवस्था की खामियां दूर हो गईं, ऐसा कहने की कोई वजह नहीं.
बंगाल कर्नाटक भाजपा पराजित इं.डि.या. शुरुआत
लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. हर तरफ हिंसा, आगजनी, नफरती भाषणों का बाजार गरम है. ताजा मामला मणिपुर में औरतों की नंगी परेड का है. इसे चुनौती देने के लिए तमाम विपक्षी दलों का इं.डि.या. के बैनर तले इकट्ठा होना रोचक है और इस से आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए को खासी चुनौती मिलेगी.
मोदी के पपट भाजपाई मुख्यमंत्री
हाईकमान नाम की बीमारी भाजपा की सेहत बिगाड़ देगी. पार्टी केवल हाईकमान के फैसलों पर चल रही है, जिस का प्रभाव यह है कि पार्टी में क्षेत्रीय नेताओं का अभाव बढ़ता जा रहा है, सभी भाजपाई मुख्यमंत्री मोदी के हाथों में कठपुतली यानी पपट जैसे हैं, जिस का असर प्रदेशों के विकास पर पड़ रहा है.
जलता मणिपुर औरतें नग्न सत्ता चुप
मणिपुर से ले कर मेवात तक दंगों की आग भड़क रही है. कत्लेआम जारी है. औरतों का चीरहरण हो रहा है. लोगों के घर फूंके जा रहे हैं. कानूनव्यवस्था ध्वस्त है. प्रशासनिक ढांचे को लकवा मार चुका है. देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री मौन हैं, क्योंकि यह तो 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के तहत पूरे देश में संघ और भाजपा का राजनीतिक प्रयोग लगता है.
"बायोपिक में मेहनत अधिक करनी पड़ती है” हुमा कुरैशी
अभिनेत्री हुमा कुरैशी जितनी अपनी अदाकारी के लिए जानी जाती हैं उतनी ही खूबसूरती के लिए भी. फिल्म 'गैंग्स औफ वासेपुर' से हुमा को पहचान और सफलता दोनों मिलीं, जिसे उन्होंने बरकरार रखा है.
विवाह का सुख तभी जब पतिपत्नी स्वतंत्र हों
आजकल यह बहुत बड़ा सवाल युवाओं के बीच है कि वे शादी के बाद परिवार से अलग रहें या साथ. अगर इसे नैतिकता से न जोड़ा जाए तो शादी के बाद स्वतंत्र रहने के अपने आप में कई फायदे हैं लेकिन इसे समझने की जरूरत है, दिल पर लेने की नहीं.
डिप्रैशन से कैसे करें डील
डिप्रैशन किसी को भी हो सकता है, जरूरी यह है कि इस से डील कैसे किया जाए. बहुत से लोग डिप्रेशन में गलत तरीकों को अपना कर खुद को और भी खराब स्थिति में धकेल लेते हैं, ऐसे में जरूरत है सही दिशा की.
गोल्ड सेविंग सोचसमझ कर
सोने पर निवेश इसलिए शुरू से सुरक्षित माना जाता रहा है कि इस से निवेशक को बेचने पर नुकसान नहीं उठाना पड़ता. सोने पर कई तरह की स्कीम्स भी चल पड़ी हैं. ऐसी ही एक गोल्ड सेविंग स्कीम भी है.
युवा आंखों में बीमारियां
आजकल छोटी उम्र से ही बच्चों व युवाओं की नजरें कमजोर होने लगी हैं. इस का एक कारण जैनेटिक है लेकिन अधिकतर मामलों में गलत रहनसहन व खानपान जिम्मेदार है. ऐसे में सही ट्रीटमैंट जरूरी है.
ज्योति मौर्य के बहाने महिलाएं निशाने पर
ज्योति मौर्य व आलोक मौर्य का मामला आमतौर पर घटित होने वाला धोखेबाजी का है, जो हर गली के लगभग हर चौथे मकान की कहानी है जिस में आमतौर पर पुरुषमहिला दोनों लिप्त पाए जाते हैं, फिर इस पर इतना हंगामा क्यों है?
भ्रामक है स्कूलों में धार्मिक शिक्षा
जिन स्कूलों को छात्रों की शैक्षिक जागृति और पाखंड से मुक्ति का वाहक बनना चाहिए वहां बेमतलब धार्मिक कर्मकांड छात्रों से करवाए जा रहे हैं. स्कूलों को धार्मिक संकेतों से जोड़ने से वहां पढ़ने वाले छात्र अंधविश्वासों और पाखंडों से कभी मुक्त नहीं हो सकते.
कुछ हाथों में पूंजी गई और लोकतंत्र का खात्मा
आज पूंजी का चंद धन्ना सेठों के हाथों में सिमटना कोई रहस्य नहीं रह गया है और न यह रहस्य है कि राजनीति और कौर्पोरेट के खिलाड़ी जनता के खिलाफ इस खेल में शामिल हैं. अफसोस इस बात का है कि इस पर कम सोचा जा रहा है.
पौलिटिक्स में कैरियर करोडों में खेलें लाखों को पीछे चलाएं
अब जब दूसरे क्षेत्रों में कैरियर पीछे हो रहे हैं, राजनीति में कैरियर बनाने का काफी स्कोप है. इस का मतलब यह नहीं कि किसी नेता के आगेपीछे भागने और जिंदाबाद व मुर्दाबाद के लगाने से भविष्य बन जाएगा. इस क्षेत्र में सही सफलता पाने के कुछ उसूल हैं, जानिए आप भी और राजनीति से लाखोंकरोड़ों भी कमाइए और नाम भी.
रूस में आधी अधूरी म्यूटिनी कट्टरपंथियों को सही संदेश
एक तरफ युद्ध दूसरी तरफ 'वैगनर ग्रुप' से बगावत की गुंजाइश ने पुतिन को कमजोर नेताओं में शामिल कर दिया है. 'वैगनर ग्रुप' ने पूरी दुनिया के कट्टरपंथियों को सबक सिखाया है कि वह उन के खिलाफ भी बगावत कर सकता है जो उन की मदद करते हैं.
लेटरल के नाम पर कुलीनों की डायरैक्ट एंट्री
भाजपा सरकारों का संदेश है कि आरक्षण समाप्त ही किया जाएगा और जो विरोध करेगा उन्हें उन्हीं की जातियों की पुलिस से पिटवाया जाएगा. लेटरल एंट्री सुबूत है कि अधिकतर अफसर तो ऊंची जातियों के ही रहेंगे और पिछड़े, दलित युवा, खासतौर पर युवतियां भूल जाएं कि उन्हें कभी आरक्षण का लाभ मिलेगा या साष्टांग प्रणाम करने के बावजूद कोई हक मिलेगा.
बीमारू राज्यों में शादी लड़कियों की न क्यों
37 साल में बीमारू राज्यों में जाति और धर्म के नाम पर सत्ता बदलती रही. नेता व अफसर मौज करते रहे. जनता दकियानूसी और रूढ़िवादी विचारों में फंस कर वोट करती है. अब नई उम्र की लड़कियों के लिए जब शादी के रिश्ते इन बीमारू राज्यों से आते हैं तो वे शादी के लिए तैयार नहीं होतीं, क्योंकि इन राज्यों में आधुनिक सुविधाओं और लाइफस्टाइल का अभाव है.
“जब मेरे गाने को लोगों का प्यार मिलता है तभी मुझे खुशी मिलती है" अमन त्रिखा
अमन त्रिखा का संगीत से दूरदूर का नाता नहीं था, लेकिन उन के गायक बनने का किस्सा दिलचस्प है. एक समय उन्होंने बौलीवुड के टौप चार्टबस्टर दिए. कैसी रही अमन की जर्नी, जानिए आप भी.
धर्मार्दी फिल्म आदिपुरुष विवाद में
धार्मिक लोग जो पिछले 9 वर्षों से खुद को राष्ट्रवादी बताने लगे हैं, वे धर्म के नाम पर भी खासा पैसा बना रहे हैं. इसे वे अपना हक मानते हैं पर यह मजबूरी भी है ताकि लोगों में धर्म को ले कर उबाऊपन न आए, नहीं तो धंधा बंद हो जाएगा. 'आदिपुरुष' ऐसी ही फिल्म है जो बनाई तो इस कारण गई थी कि लोग भरभर कर देखें और पैसा बटोरने के साथ नवयुवाओं को धर्म का पाठ भी पढ़ाए पर दाल गल नहीं पाई.
मोटापे की सर्जरी
भारत में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है. आमतौर पर मोटापा कम करने के लिए डाइट को प्राथमिकता दी जाती है लेकिन बहुत सी ऐसी सर्जरियां हैं जिस से मोटापे की समस्या को कम किया जा सकता है.
गैस पर खाना बनाने का जोखिम
भारत में रसोई गैस का इस्तेमाल घरों में आम है, किंतु रसोई गैस के कई खतरे हैं जिन से लोग अनजान हैं. क्या हैं वे खतरे, जानें इस रिपोर्ट में.
पढ़ाई पर करें खर्च दहेज पर नहीं
पिता अपने बच्चों पर बराबर खर्चा करता है, फर्क यह है कि एक तरफ बेटे की पढ़ाई पर तो दूसरी तरफ बेटी की शादीदहेज पर खर्च होता है. आखिर क्यों दहेज के लिए पैसे खर्च किए जाएं, लड़की को पढ़ालिखा कर इतना सक्षम क्यों न बनाया जाए कि वह काबिल महिला बने न कि काबिल पत्नी.