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जीवन चलते रहने का नाम
जीवन सदैव आगे बढ़ने का नाम है, फिर चाहे राहों में मुश्किलें आएं या न आएं. मंजिल सुकून दे सकती है पर उस मंजिल के लिए तय किया रास्ता बहुतकुछ सिखाता है.
छात्रों की आत्महत्याओं से सहमी शिक्षानगरी कोटा
कोटा में हर साल हजारों छात्र इंजीनियर्स व डाक्टर्स बनने का सपना लिए पहुंचते हैं लेकिन वहां छात्रों का संघर्ष सिर्फ पढ़ाई कर खुद को तैयार करना नहीं, बल्कि मानसिक तनाव से भी लड़ना होता है. आखिर क्यों कई छात्र इस संघर्ष में फेल हो जाते हैं.
युवा मुसलमान प्रशासनिक सेवाओं में क्यों नहीं आते ?
सरकारी क्षेत्रों में ऊंचे पदों पर मुसलमानों की संख्या उंगली पर गिनने लायक है, न सेना में उन की संख्या , दिख रही है और न पुलिस में किसी अन्य विभाग में भी जनसंख्या के अनुपात में बहुत ही कम मुसलिम सलैक्ट हो रहे हैं. आखिर इस की क्या वजहें हैं?
पाइल्स के मरीज शरमाएं नहीं सलाह लें
खानपान को ले कर बरती गई लापरवाही जब पाइल्स बन कर सामने आ जाए तो शरमाने के बजाय डाक्टर्स से सलाह लें और इस बीमारी से नजात पाएं.
कमाऊ बच्चों की देरी से शादी जिम्मेदार कौन
जिन बच्चों पर घर की आर्थिक जिम्मेदारी बढ़ जाती है उन की बढ़ शादी देर से होती है. वजह, पेरेंट्स का बच्चे पर निर्भर हो जाना और शादी के बाद इस सहारे के खत्म हो जाने का डर. लेकिन देरी से शादी के नुकसान बहुत हैं जिन्हें वे नहीं समझ पाते.
मृत्युभोज मौत का जश्न और लूट
लोगों को शादी समारोह की तरह मृत्युभोज पर लाखों रुपए खर्च करने को मजबूर होना पड़ता है, भले ही इस के लिए कर्जा क्यों न लेना पड़े. मृत्युभोज पंडों द्वारा हिंदुओं पर थोपा गया वह संस्कार है जिस में मौत पर शोक नहीं, जश्न मनाया जाता है.
जैक डोर्सी के इंटरव्यू पर उठते सवाल
सरकार किस कदर मीडिया को अपने पिंजरे में कैद करना चाहती है, इस की एक और बानगी हाल ही में ट्विटर के संस्थापक जैक डोर्सी के दिए इंटरव्यू से सामने आई है. भारत में मीडिया के हालात कैसे हैं, इस बारे में तमाम रिपोर्ट्स बता रही हैं. यह स्थिति आम नागरिकों के लिए बहुत ही घातक है.
अमेरिका चीन की भिड़ंत और भारत
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार भी अब रिकोर्ड स्तर पर पहुंच चुका है. ऐसे में अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं. चीन को टक्कर देने के लिए अमेरिका भारत को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है. वह लगातार भारत को चीन के खिलाफ भड़काने की कोशिश में जुटा है. लेकिन क्या भारत उस की मंशा को समझ रहा है?
"जैंडर के आधार पर बेटे की परवरिश कभी न करे मां” सुष्मिता मुखर्जी
अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी ने छोटे परदे के 'करमचंद’ शो से अभिनय की शुरुआत की. इस के बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया. आज उन्हें इंडस्ट्री में 40 से अधिक साल हो गए हैं. इस मौके पर उन्होंने अपनी जर्नी साझा की.
अकेले रहें मस्त रहें
अकेलापन झेलना आसान नहीं, क्याक्या नहीं सहना पड़ता. यदि सही तरह से खुद को व्यवस्थित किया जाए तो अकेलेपन का आनंद लिया जा सकता है.
खानपान से ऐसे दिखें जवां
महिलाओं के बेडौल शरीर को देख कर अकसर उन के पति भी उन से दूरी बना लेते हैं. लेकिन उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है. वे सही डाइट से परफैक्ट फिगर पा सकती हैं और फिर से पति की चहेती बन सकती हैं.
क्यों बढ़ रही बढ़ पृथ्वी की धड़कन
वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के केंद्र में बदलाव आ रहे हैं. सोचिए क्या होगा जब पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमना बंद कर दे. कहीं यह किसी बड़ी आपदा का संकेत तो नहीं?
अमेरिका प्रवास ढेरों समस्याएं
भारत के युवाओं का सपना होता है कि वे विदेश जाकर डौलरों में पैसा कमाएं. इस के लिए वे कोशिशें करते रहते हैं. लेकिन विदेश में रहनेबसने की समस्याओं व जटिलताओं का हिसाब वे कम ही लगा पाते हैं.
रिश्तों की डोर टूटने न दें
रिश्तों की डोर भले नाजुक होती हैं पर अगर इसे तराशा जाए, इस पर लगातार काम किया जाए और विश्वास बनाया जाए तो यह टूट नहीं सकती.
ऐसे दूर करें एग्जाम की टेंशन
बहुत बार अच्छा पढ़नेलिखने वाला स्टूडेंट पूरी तैयारी करने के बावजूद रिजल्ट में उतने मार्क्स नहीं ला पाता जितना वह डिजर्व करता है. इस का असल कारण एग्जाम पैटर्न को ठीक से नहीं समझ पाने और उस अनुसार तैयारी न करने के चलते होता है. कैसे, जानिए इस लेख में.
अब पुरुषों के साथ बढ़ता अन्याय
कई बार पुरुष चुप रह कर औरतों के शोषण का शिकार हो रहे होते हैं. शर्मिंदगी, समाज के चलते वे अपना दर्द बयां नहीं कर पाते और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं. वे कहां जाएं?
सांप्रदायिकता की आग में जलता मणिपुर
सौंदर्य से सजी मणिपुर की धरती आज राजनीति के चंगुल में दंगों की भेंट चढ़ चुकी है. जातीय टकराव के के बाद हत्याओं का दौर जारी है. जमीन और साधनों पर वर्चस्व की लड़ाई में प्रतिक्रिया दोनों तरफ से है, लेकिन पीछे से इन्हें सुलगाने वाली धर्म और जाति की वह राजनीति है जिसे नेता काफी समय से भुनाते आ रहे थे.
जातीय य जनगणना छत्ते को छेड़ो न
देश में अगर जातियों के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है तो जातियों के आधार पर जनगणना करने में दिक्कत क्या है, इस पर हायतौबा क्यों, आखिर किस बात का डर है और कौन डर रहा है?
बेटी
सीमा को चुभने लगा था मम्मी का बातबात पर उस की तारीफ करना और टिन्नी को उस का उदाहरण देदे कर टोकना. अभी भी बीते वक्त से चिपकी मम्मी आज और कल में फर्क नहीं करना चाहती थीं. जब यही अंतर सीमा ने मम्मी को समझाया तो वे हतप्रभ रह गईं.
गालिब असद भोपाली
मशहूर गीतकार असद भोपाली के बेटे गालिब पिछले 2 दशकों से लेखन में सक्रिय हैं. गालिब को चर्चित शो 'सीआईडी' और फिल्म 'मुंबई मिरर' के लेखन के लिए जाना जाता है.
किताबें पढ़ने के फायदे
किताबों का इंसान के जीवन में अहम योगदान होता है. उन में बातें छपी होती हैं, इसलिए वे लंबे समय तक याद रहती हैं और भविष्य में सबक सरीखी साबित होती हैं.
मानसिक बीमारी पहले समझें फिर इलाज कराएं
भारतीय परिवारों में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात नहीं की जाती है. मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कुछ कहते ही सवाल खड़ा कर दिया जाता है कि क्या हम पागल दिखाई दे रहे हैं. जबकि यह जरूरी नहीं कि जब व्यक्ति पूरी तरह पागल हो जाए तभी उस को मानसिक रोगी करार दिया जाए..
जब पिता को मां की याद सताए
जीवनसाथी के चले जाने का दुख बड़ा होता है, खासकर तब जब एक लंबा समय साथ गुजारा हो. अकसर ऐसे मामलों में पत्नी के जाने के बाद पति बिखर जाता है. ऐसे में जिम्मेदारी बच्चों की बनती है कि वे अपने पिता को अकेला न महसूस होने दें.
गाली नहीं सम्मान करना सीखें
भारत में गाली कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. गाली देने को गर्व और स्टाइल से जोड़ा जा रहा है. पुरुष तो पुरुष, महिलाएं भी गालियां देने लगी हैं, यह जानतेसमझते भी कि लगभग सभी गालियां महिलाविरोधी हैं जो महिलाओं के यौन अंगों को टारगेट करती हैं.
स्किन के लिए लाभदायक ह्यालुरोनिक एसिड
गरमी में हमारी स्किन काफी मुरझाई हुई सी रहती है, इसलिए इस मौसम में स्किन की देखभाल करना काफी जरूरी हो जाता है.
एक्सीडेंट के बाद हाथ व पैर खोने से कैसे बचाएं
किसी बड़ी दुर्घटना के बाद अकसर कुछ गलतियां पीड़ित व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकती हैं, इतनी खतरनाक कि इस से हाथपैर तक गंवाने पड़ सकते हैं. जरूरी है कि ऐसे समय में कुछ तरह के खास बिंदु ध्यान में रखे जाएं.
ड्रग्स से कम नहीं इंटरनैट का नशा
इंटरनैट की हद से ज्यादा सर्चिंग ने बहुत सारे घरों की व्यवस्था बिगाड़ दी है. इंटरनैट हमारी सुविधा के लिए है पर इस के अत्यधिक उपयोग से लोग इंटरनैट की लत के जाल में फंसते जा रहे हैं.
धुंधलाने लगी है धर्म की राजनीति
धर्मकर्म और कट्टरवाद से ज्यादा दिनों तक राजकाज नहीं चलाया जा सकता. कर्नाटक की जनता का बहुत स्पष्ट संदेश है कि देश को ऋषिमुनियों की नहीं, बल्कि अच्छे मैनेजरों की जरूरत है. यह लोकतंत्र है जिस में देश संविधान से चलेगा, वेदपुराणों से नहीं. कभी यह गलती कांग्रेस और इंदिरा गांधी ने भी की थी.
आप की संपत्ति पर सरकारी जंजीर
संविधान कहता है कि किसी को जबरन उस की संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता. यह मौलिक अधिकार में न सही पर वैधानिक व मानवाधिकार में आती है. संविधान के उलट, मौजूदा सरकारें लोगों की संपत्ति पर न केवल मनमाना बुलडोजर चला रहीं हैं बल्कि उन पर नजर रखने के लिए आधार और पैन कार्ड को मोबाइल फोन से जुड़वा भी रही हैं ताकि आप की संपत्ति पर वे नियंत्रण कर सकें. आप नोट अपने पास न रख सकें, इस के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नोटबंदी थोपी थी और अब फिर उस ने एक और नोटबदली करा डाली है.
"पैशन व लगन हो तो पैसा रुकावट नहीं बनता" - जीत
अभिनेता जीत ने वैसे तो बौलीवुड और साउथ सिनेमा में काफी काम किया है लेकिन उन्हें स्टारडम बंगाली सिनेमा से मिला है. आज वे एक निर्माता और अभिनेता के तौर पर जाने जाते हैं.