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बदलाव के 4.5 साल
पिछले साढ़े चार सालों में कोई भी आरोप नहीं लगा सकता है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में कोई लेनदेन हुआ हो। वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश को देश में रुकावट पैदा करने वाला प्रदेश समझा जाता था। आज नेकनीयत और ईमानदार नेतृत्व का नतीजा है कि प्रदेश, देश की बड़ी योजनाओं का नेतृत्व कर रहा है।
यूं ही नहीं हुई 'अब्बाजान' 'चचाजान' की एंट्री
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है। भाजपा इसीलिए लगातार सपा पर मुस्लिम तुष्किरण का आरोप लगाकर उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की रणनीति अपना रही है। मुख्यमंत्री से लेकर दूसरे भाजपा नेता भी अक्सर पूछते रहे हैं कि अखिलेश यादव को अब्बाजन शब्द में क्या आपत्तिजनक लगता है। भगवा खेमे का आरोप है कि सपा मुस्लिम वोट तो चाहती है। लेकिन, अब्बाजन शब्द से उसे समस्या है।
उत्तराखंड के बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण से जुड़ी एक और नई उपलब्धि
पारंपरिक प्रोडक्ट्स का उत्पादन किया जाता रहा है। अब उत्तराखंड सरकार ने ऐसे कृषि भूमि के आकार में वृद्धि करने पर प्रतिबद्धता जाहिर की है जिस पर राज्य के पारंपरिक उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाया जा सके।
महंत की मौत आत्महत्या या साजिश
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के रहस्य में सबसे अहम कमरे में मिला उनका सुसाइड नोट है। इसके हस्ताक्षर, राइटिंग, कई जगह कटिंग, तारीखों में बदलाव को लेकर तमाम सवाल खड़े होते रहे हैं। हालांकि प्रथम दृष्टया जांच में इतना साफ हुआ है कि सुसाइड नोट पर जो हस्ताक्षर हैं वह नरेंद्र गिरि के ही हैं। हालांकि सुसाइड नोट की फॉरेंसिक जांच अभी जारी है। हस्ताक्षर के अलावा सुसाइड नोट की हैंड राइटिंग की रिपोर्ट अभी साफ नहीं है।
मुख्यमंत्रीधामी का शानदार शतक 100 दिन में 330 उपलब्धियां का रिकॉर्ड
ताबतड़तोड़ फैसले करके जनता का दिल जीतने वाले मुख्यमंत्री धामी की कार्यकुशलता से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व में भी मुरीद हो गया हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी प्रशंसा कर उन्हें युवा ऊर्जावान और उत्साहित बताते हुए अपना मित्र तक बताया। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उन्हें अन्तिम ओवर में मैच जिताने का माद्दा रखने वाले धाकड़ बल्लेबा बता चुके हैं। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उत्तराखण्ड दौरे के दौरान धामी सरकार के कार्य से बेहद सन्तुष्ट नजर आए। कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल कहते हैं कि मुख्यमंत्री धामी के ऊर्जावान नेतृत्व में सरकार ने काफी बेहतर काम किया है। 100 दिन के कार्यकाल का एक एक पल जनता को समर्पित रहा है। इन सौ दिनों में हमने जनता के हित में 330 से अधिक फैसले किए हैं।
पिछले 7 वर्षों की यात्रा में कहां खड़ी है मोदी की विदेश नीति
आज तेज गति से बदल रही क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति के दौर में इस बात पर चर्चा करनी बहुत जरूरी है कि भारत वैश्विक मंच पर किस हद तक अपने राष्ट्रीय हितों को पूरा कर पाया है, क्या भारत की विदेश नीति में वो बार्गेनिंग स्किल्स विकसित हुई हैं जिनसे वो अपने विरोधियों को प्रति संतुलित कर पाया है? क्या भारत कई देशों के साथ लगातार बढ़ रहे अपने व्यापारिक घाटे को पाटने के लिए कुछ निर्णायक कदम उठाने का साहस जुटा पा रहा है। ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब खोजने पर ही पता चल पाता है कि हमने पिछले सात वर्षों में विदेश नीति के स्तर पर क्या हासिल किया है। पिछले सात वर्षों में भारत की विदेश नीति का मूल्यांकन करें, तो बहुत सी महत्वपूर्ण बातें सामने आती हैं।
20 साल-भारतीय राजनीति के अजेय नायक: नरेन्द्र मोदी
नरेंद्र मोदी की भारतीय राजनीति में सर्वाधिक प्रभावी भूमिका का दौर गुजरात की राजनीति से 2001 में शुरू हुआ। दरअसल इस समय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल ने उप चुनावों में बीजेपी की हार के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उस समय गुजरात में बीजेपी को ऊंचाइयों पर पहुँचाने वाले एक बड़े रणनीतिकार को पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री अक्टूबर, 2001 में बनाया गया और ये पोलिटिकल ब्रेन थे नरेंद्र मोदी। मोदी ऐसे सर्वप्रिय राजनेता हैं जिन्होंने राष्ट्रवाद को नई दिशा दी है। पड़ोसी देश पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों के खिलाफ़ आपने अल्ट्रा जीरो टॉलरेंस पालिसी अपनाई। ये मोदी जी ही है जिन्होंने उरी टेरर अटैक के बाद पाकिस्तान को साफ-साफ कह दिया कि कश्मीर घाटी में खून और पानी एक साथ साथ नही बह सकता, इसलिए भारत ने सिंधु जल समझौते के समीक्षा को क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म से जोड़ दिया। भारत द्वारा दो दो बार सर्जिकल स्ट्राइक करना, पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेना मोदी की मजबूत इच्छा शक्ति का ही प्रमाण है। मोदी के नेतृत्व में म्यांमार की भूसीमा के अंदर भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत विरोधी उग्रवादी संगठनों के टेरर कैम्पों का खात्मा कर दिया। कश्मीर का गलवान हो या अरुणाचल का तवांग, सिक्किम का नकूला दर्रा हो या उत्तराखंड का कालापानी लिपुलेख भारतीय प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों को मर्यादित रहना सिखाया है।
वोटबैंक की खातिर छवि से समझौता नहीं: सीएम
सीएम योगी आदित्यनाथ जिस तरह ‘मोदी कार्यशैली' में काम कर रहे हैं, उससे विरोधियों की बोलती बन्द हो गई है। उनके काम करने का अन्दाज प्रधानमंत्री मोदी की तरह है। वह हर विभाग के बड़े प्रोजेक्ट की न सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर पूरी जानकारी रखते हैं, बल्कि उसका पूरा फीडबैक भी लेते हैं।
योगी सरकार का अनुपूरक बजट- युवाओं का ध्यान-चुनाव पर जोर
अनुपूरक बजट का विपक्ष इसलिए विरोध कर रहा है क्योंकि यह युवाओं को समर्पित है और विपक्ष युवा विरोधी है। समाजवादी पार्टी के लोग जब सरकार में थे तो नौकरियों को गिरवी रख दिया था। निवेश बंद हो चुका था। दंगे होते थे, नौजवान फंसा दिए जाते थे। झूठे मुकदमे लाद दिए जाते थे।
यूपी बनेगा कुश्ती का अंतरराष्ट्रीय हबः बृजभूषण शरण सिंह
राज्य में अब कुश्ती की सूरत बदलने जा रही है। यहां के प्रतिभाशाली पहलवान भी अत्याधुनिक सुविधाओं और अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग के सहारे दुनिया में अपनी ताकत का अहसास कराएंगे। उत्तर प्रदेश सरकार ने तय किया है कि वह कुश्ती और बैडमिंटन को अगले दस साल के लिए गोद लेगी। साथ ही कुश्ती की एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की अकादमी भी लखनऊ में खोलेगी। पहलवानों को हर, वह चीज उपलब्ध करायी जाएगी। जो उनकी ट्रेनिंग में सहायक होगी। यही नहीं नोएडा में कुश्ती की एक ऐसी अकादमी खोली जाएगी जिसमें विदेशी पहलवान भी आकर रहें और ट्रेनिंग करें। कुश्ती के विकास पर भारतीय कुस्ती महासंघ के अध्यक्ष एवं सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने खास बातचीत में अपनी भविष्य की योजनाओं का खुलासा किया।
दमखम दिखाने में कामयाब हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
भूपेश बघेल का जमीन से जुड़ाव बरकरार है और कार्यकर्ताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता बनी हुई है। पार्टी के भीतर अपना कद बढ़ाने में भी वह सफल हुए हैं। इस सियासी घटनाक्रम के बाद भूपेश बघेल का आत्मविश्वास और बढ़ गया है।
नई विश्व व्यवस्था गढ़ेगा तालिबान
एक ट्रिलियन डॉलर का खर्चा तो अकेले अफगानिस्तान में अमेरिका ने 2001 से 2021 के बीच कर डाला और हर साल 890 बिलियन डॉलर का व्यापारिक घाटा वैश्विक व्यापार में झेला है। वहीं रूस ने पुतिन के नेतृत्व में अपनी वैश्विक क्षेत्रीय भूमिकाओं को नए सिरे से तलाशना शुरू किया और रूस और चीन ने शंघाई सहयोग संगठन के बैनर तले अमेरिका और पश्चिमी देशों पर विश्व व्यापार और क्षेत्रीय राजनीति के मुद्दों पर दबाव बनाना जारी रखा है जिसको अब अमेरिका ने टीक तरीके से निपटने की ठानी है। इसलिए अब यह माना जा रहा है कि विश्व और क्षेत्रीय राजनीति के विवाद के बिंदुओं पर अमेरिका असंलग्नता की नीति को वरीयता देगा और इन सबमें उलझने का मौका चीन रुस जैसे देशों को देगा।
टोक्यो ओलम्पिक हीरों को योगी सरकार का सम्मान-सलाम
हर राज्य अपने खिलाड़ियों का सम्मान करता है, लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूरे देश के खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया है। यह किसी एक राज्य का नहीं पूरे देश का सम्मान है।
गाय को घोषित किया जाए राष्ट्रीय पशु
अदालत से उठी आवाजः गोमांस खाना मौलिक अधिकार नहीं
पूर्वोत्तर की बेटियां
पूर्वोत्तर की बेटियां मेहनत से नहीं कतराती। लकड़ियां काटने वे पहाड़ों पर चढ़ती हैं। घर-गृहस्थी का सामान लेकर ऊंचाई पर बने अपने घर आती और जाती हैं। वहां की महिलाएं ज्यादा मेहनती और कामकाजी मानी जाती हैं। इन्हीं गतिविधियों से उनमें खेल का आधार तैयार होता है।
देवभूमि के सपूत मोदी के दूत 'धामी'
धामी जैसे युवा चेहरे को पहाड़ की कमान सौंपने के कई मायने हैं। खासतौर से ऐसे राज्य में जिसका इतिहास ही सियासी उठापटक के लिए जाना जाता है। ऐसा नहीं है कि पहाड़ में भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं था। एक से एक अनुभवी दिग्गज नेता राज्य में मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगर उन सबके बीच से 'धामी' नाम के नगीने को खोजकर लाए हैं, तो स्पष्ट सन्देश है कि धामी का संगठनात्मक अनुभव, बेदाग चेहरा, मेहनत और कार्यशैली उनसे छिपे नहीं थे। सबसे अहम है कि धामी के जरिए उन्होंने पहाड़ के युवाओं को केन्द्र में रखा और देवभूमि को संवारने का जिम्मा दिया है। धामी के रूप में प्रधानमंत्री मोदी स्वयं देवभूमि के विकास और यहां के लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं।
तीसरी लहर की दस्तक
कोरोना का नया वैरिएंट कितना घातकहोगा यह अभी देखना बाकी है। सवाल यह भी है कि क्या नये वैरिएंट से हमारी वैक्सीन मुकाबला कर पायेगी।
बिहार में करवट लेती राजनीति
लालू प्रसाद तेजस्वी को अपनी पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी में हैं। लोजपा में टूट के बाद चिराग पार्टी को मजबूत करने की मुहिम पर हैं। वे जहां नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हैं, वहीं भाजपा के प्रति नरम। बीते विधानसभा चुनाव के बाद से प्रदेश की राजनीति में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
तालिबान को कैसे रोकेगा भारत और विश्व
अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होते
जातीय समीकरण साधने को लेकर तेज हुई वोटबैंक की सियासत
बसपा नेता सतीश चन्द्र मिश्रा कहते हैं कि वहीं आज भाजपा में ब्राह्मण नेता गुलदस्ता बने हुए हैं। जब भी गोली मारी जाती है घर गिराए जाते हैं, बुलडोजर चलाए जाते हैं तो यह बिल से निकलकर बाहर आते हैं और कहते हैं अच्छा हुआ। आज प्रदेश में फिल्मी स्टाइल में एनकाउंटर हो रहे हैं, पहले रोको फिर जात पूछो उसके बाद ठोंक दो।
सत्ता के महासंग्राम से पहले सियासी अस्त्र-शस्त्र परखने में जुटे दल
भगवा खेमे की जीत सुनिश्चित करने को संघ ने कमर कसी, दी जिम्मेदारियां
पीएम मोदी का डबल इंजन देवभूमि में फेल
जोखिम भाजपा फिर ले चुकी है। और अगले साल चुनाव में इसका क्या असर होगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ठीक उस समय त्यागपत्र दे दिया, जब उनकी सरकार चार साल का अपना कार्यकाल पूरा करने ही वाली थी। कहा जा रहा है कि केंद्रीय भाजपा नेतृत्वने विधानसभा चुनाव के एक वर्ष पहले यह पाया कि उनके मुख्यमंत्री रहते चुनाव जीतना मुश्किल होगा। पता नहीं सच क्या है, लेकिन यह सवाल तो उठेगाही कि आखिर चार साल तक उनके कामकाज का आकलन क्यों नहीं किया जा सका?
पांच राज्यों का चुनावी शाखनाद
भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद पश्चिम बंगाल से है। ध्रुवीकरण और सत्ता विरोधी लहर के सहारे भाजपा बंगाल सागर पार करने में जुटी है। उधर, विपक्ष को पता है कि जिस तरह नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा का प्रदर्शन रहा है यदि वैसा ही रहा तो विपक्ष के लिए मुसीबतें और बढ़ जायेंगी। वहीं कांग्रेस और विपक्ष का अपना आकलन है कि वह तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में सरकार बनाने के रेस में है और अगर ममता भाजपा को बंगाल में रोकने में सफल हो गई तो यह भाजपा के पतन की शुरुआत हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया बनाम बिग टेक कंपनियाँ
सरकार का तर्क है कि टेक कंपनियों को न्यूज रूम को उनकी पत्रकारिता के लिए उचित कीमत अदा करनी चाहिए। इसके साथ ही ये तर्क भी दिया गया है कि ऑस्ट्रेलिया की न्यूज इंडस्ट्री के लिए आर्थिक मदद की जरूरत है क्योंकि मजबूत मीडिया लोकतंत्र की जरूरत है। गौरतलब है कि न्यूज कॉर्प ऑस्ट्रेलिया जैसी मीडिया कंपनियों ने विज्ञापन से होने वाली आय में दीर्घकालिक कमी आने के बाद सरकार पर दबाव बनाया है कि वह टेक कंपनियों को बातचीत के लिए तैयार करे। ऐसे समय जब मीडिया कंपनियों की कमाई में कमी आ रही है तब गूगल की कमाई में बढ़त देखी जा रही है।
दुनियाभर की चिंता 'क्रिप्टो करेंसी'
दुनिया भर के संगठनों ने आभासी मुद्राओं से निपटने के दौरान सावधानी बरतने का आह्वान किया है, साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि किसी भी प्रकार का कवरिंग सिस्टम प्रतिबंध पूरे सिस्टम का खत्म कर सकता है, जिसका अर्थ है कि इन आभासी मुद्राओं का कोई विनियमन नहीं होगा। जून 2013 में, आरबीआई ने पहली बार आभासी मुद्राओं के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को संभावित वित्तीय, परिचालन, कानूनी और ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित जोखिमों के बारे में चेतावनी दी थी।
4 साल योगी सरकार
योगी सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किया गया अपना पांचवां और अंतिम बजट इसका एक आईना है। योगी सरकार ने अपने इस बजट में विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी द्वारा आमजन से किए गए बचे हुए वादों को पूरा करने पर पूरा जोर दिया है। चूंकि अब यह चुनावी वर्ष होने जा रहा है, ऐसे में बजट का लोक लुभावन होना स्वाभाविक है। बजट के साथ ही योगी सरकार चुनावी मोड में भी आ चुकी है। साफ है कि बजट के जरिए 2022 साधने की तैयारी है। वहीं योगी सरकार के चार वर्ष पूरे होने की खुशी में पूरे उत्तर प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित कर इसे धार दी जा रही है। इसी कड़ी में योगी सरकार की उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाया गया। अंतिम बजट पेश करते समय जहां सरकार ने नौजवानों से लेकर किसानों और महिलाओं के साथ-साथ अपने मूल एजेंडे हिंदुत्व और अपने शहरी कोर वोट बैंक को साधे रखने के लिए बजट में पांच बड़े राजनीतिक संदेश देने की कवायद की थी। वहीं चार वर्ष पूरे होने की खुशी में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में किसानों और बेरोजगारी दूर करने के लिए उठाए गए कदमों पर ज्यादा फोकस किया है।
आरक्षण ने बिगाड़ा दिग्गजों का 'खेला'
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की गहमागहमी है तो दूसरी ओर प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के घोषित आरक्षण के फार्मूले को लेकर विपक्ष ही नहीं प्रदेश सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा में जद्दोजहद चरम पर है। सूत्रों के अनुसार बीजेपी में पंचायत आरक्षण फार्मूले को लेकर असंतोष सतह पर आ गया है। पार्टी के कई सांसदों, विधायकों और जिलाध्यक्षों ने शीर्ष नेतृत्व से यह शिकायत भी की है कि उनके लोग पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी किये बैठे थे, मगर आरक्षण के फार्मूले की वजह से उनके लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो गये।
महंगाई डायन
केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के सदस्य लगातार जनता को यह भरोसा दिला रहे हैं कि जल्द ही महंगाई पर काबू पा लिया जायेगा। साथ ही स्पष्टीकरण भी दिए जा रहे हैं कि कीमतों में यह उछाल किन कारणों से हैं। हालांकि सरकार द्वारा बताये जा रहे कारण कसौटी पर कहीं भी खरे नहीं उतरते। जैसे केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि रसोई गैस के दाम टण्ड की वजह से बढ़ रहे हैं। जैसे-जैसे ठण्ड कम होगी, दाम भी स्वत: ही कम हो जायेंगे। अब भला इस तर्क पर कौन भरोसा करेगा। पिछले साल मानसून कमजोर रहा या पर्याप्त बारिश नहीं हुई, ये ऐसे कारण नहीं हैं कि इनका असर सभी चीजों पर एकसाथ पड़े। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि कीमतें इतनी ज्यादा होने के बावजूद बाजार में किसी भी आवश्यक वस्तु का अकाल-अभाव दिखाई नहीं पड़ता।
आन्दोलन जारी है...
सरकार और किसानों के बीच के गतिरोध को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनों को स्थगित करने का निर्णय सुनाते हुए एक समिति का गठन किया लेकिन किसानों ने इस समिति को भी खारिज कर दिया। नतीजा यह है कि न तो किसान पीछे हटने को तैयार हैं और न सरकार ही झुक रही है। एक पक्ष देखें तो लगता है किसान अकारण जिद पर अड़े हैं तो वहीं दूसरा पक्ष देखें तो सरकार का रवैया भी कमोबेश जैसा ही है। किसान आन्दोलन की परिणिती क्या होगी यह तो अभी देखना बाकी है लेकिन इसी बीच 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में जमकर उपद्रव और हिंसा हुई।
भाषा संयम की आवश्यकता
पूर्वजों की आनंदानुभूति का परिणाम निर्भयता है। तब भूत भविष्य की चिन्ता नहीं होती। आनंद समय का अतिक्रमण करता है। वाणी का रस सामूहिकता में फैलता है। वाणी का क्षीर सागर धरती से परम व्योम तक मधुरसा है। इसी क्षीर सागर में कमलासन पर विष्णु उगते हैं और श्री समृद्धि उनके पैर दबाती हैं। अभय और निर्भय होने का अनन्त है यहां। सांपों की शैय्या लेकिन विष्णु शान्ताकार-शान्ताकारं भुजगशयनं । तैत्तिरीय उपनिषद् के ऋषि ठीक ही कहते हैं "आनंद संपूर्णता को जानने वाला किसी से भी नहीं डरता।"