CATEGORIES
Categories
पश्चिमी यूपी के मुसलमान इस बार किसके साथ?
पश्चिमी यूपी की 27 सीटों पर पहले तीन चरणों में मतदान होना है, जहां मुस्लिम वोटर की बड़ी आबादी किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का माद्दा रखती है। सपा, बसपा ने पिछले चुनाव में इसी समीकरण के जरिए आठ सीटें जीती थीं। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाटों और मुस्लिमों के बीच जो दूरी बढ़ी, वह रालोद के लगातार प्रयास से कम हुई थी।
पहला द्वार पश्चिमी यूपी तो 7वां पूर्वांचल में खुलेगा
19 और 26 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय चरण का मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्रमशः आठ-आठ सीटों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 07 मई को भी तीसरे चरण में दस सीटों पर मतदान होगा। इसमें भी 10 में से पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल होंगी।
धामी के कंधों पर उत्तराखंड का मिथक तोड़ने की चुनौती
प्रदेश की धामी सरकार ने पिछले दो साल में कई अभूतपूर्व कार्य किए हैं। इसमें सबसे पहले आता है समान नागरिक संहिता कानून जो लागू होने जा रहा है। बताते चलें कि यूसीसी से महिला सशक्त होगी, उनकी सुरक्षा होगी, बच्चों की सुरक्षा होगी, लिव इन रिलेशनशिप का भी ध्यान रखा गया है। इसके बाद दूसरा नंबर आता है नकल रोकने के लिए सख्त नकल विरोधी कानून भी राज्य सरकार लेकर आयी है।
भाजपा ने रिकार्ड दोहराने को दिग्गजों पर खेला दांव
भाजपा ने जीत की गारंटी पर ही टिकट तय किए। प्रदेश की टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल यूएसनगर सीट पर सिटिंग सांसदों को ही एक बार फिर मौका दिया गया जबकि हरिद्वार और पौड़ी संसदीय सीट पर नये चेहरों को मौका दिया गया है। अब प्रदेश में पांचों सीटों पर सभी प्रत्याशी नामांकन भी कर चुके हैं। पौड़ी संसदीय सीट पर इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री के करीबी भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी को मौका दिया गया। वहीं हरिद्वार सीट से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उतारा गया है।
'नेता मुक्त' होती कांग्रेस
10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014 से 12 पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत 50 से ज्यादा बड़े नेता कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं। इन सभी नेताओं के कांग्रेस छोड़ने की वजह नेतृत्व और पार्टी की कार्यप्रणाली में कमियां गिनायीं । जाहिर है बड़े और जनाधार वाले नेताओं का कांग्रेस से बाहर जाना पार्टी के लिए परेशानी का सबब है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में शुमार होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिंद देवड़ा जैसे नेता भी पार्टी को अलविदा कह भगवा खेमे में जा चुके हैं।
2024 का चक्रव्यूह भेदने की बेताबी
अब भाजपा ने मोदी की गारंटी को लोकसभा चुनावों के लिए अपना मुख्य नारा बना लिया है। इसके साथ ही 22 जनवरी को अयोध्या में संपन्न हुए राम मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य और दिव्य आयोजन से देश में जो राममय माहौल बना, भाजपा को उससे भी अपना चुनावी बेड़ा पार होने की उम्मीद है। हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में सपा व कांग्रेस में हुई क्रॉस वोटिंग से भाजपा ने जिस तरह अपने अतिरिक्त उम्मीदवारों को जिताया है, उससे जाहिर होता है कि जीत के लिए भाजपा हर रणनीति अपनाने से पीछे नहीं हटती है। उधर, भाजपा को सत्ताच्युत करने के लिए विपक्ष एकजुट तो जरूर हुआ है लेकिन बावजूद इसके उसमें बिखराव जारी है।
लोकतंत्र को धारदार बनाने के लिए जरूरी है शत-प्रतिशत मतदान
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मतदान महज वोट करने के लिए चुनावी बटन को प्रेस करने की प्रक्रिया का ही नाम नहीं है। मतदान एक ऐसी प्रक्रिया है जो देश में जन आकांक्षा को मूर्तमान बनाने का माध्यम है, शासन को सुशासन तक पहुंचाने वाला उपकरण है, प्रतिनिधि मूलक लोकतंत्र को मजबूत करने का आधार है, देश की सत्ता में जन साझेदारी का आयाम है। भारत जैसे देश में शत-प्रतिशत मतदान की आवश्यकता है क्योंकि मतदान का स्तर जितना बढ़ेगा, राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक लोगों के द्वारा उतनी ही अच्छी सरकार का चयन किया जाएगा।
बोपन्ना ने देश को किया गौरवान्वित
भारतीय स्टार रोहन बोपन्ना ने पहली बार आस्ट्रेलियन ओपन का ग्रैंड स्लैम जीतकर देश को गौरवान्वित कर दिया। बोपन्ना-एब्डेन ने इटली के सिमोन और एंड्रिया को 7-6, 7-5 से पराजित किया। इस जीत के साथ बोपन्ना ने युगल में ग्रैंड स्लैम जीतने सपने को पूरा कर लिया। यह उनके पेशवर करियर का युगल में पहला बड़ा खिताब है। इससे पहले पिछले साल बोपन्ना एब्डेन के साथ ही यूएस ओपन के उपविजेता रहे थे।
भारतीय संस्कृति में वसंत पंचमी का महत्व
वसंत पंचमी को पर्व के रूप में मनाए जाने के पीछे कई तरह की मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना करने के बाद मनुष्य की रचना की। इसके बाद उन्होंने अनुभव किया कि मनुष्य की रचना मात्र से ही सृष्टि की गति को संचालित नहीं किया जा सकता।
आत्मरक्षा की आड़ में 'नरसंहार' - वैश्विक निकाय बना मूकदर्शक, कहां मिलेगा न्याय?
मानवाधिकार, ऐसा संवेदनशील विषय है जिसका महत्व समूचे विश्व के प्रत्येक देश के नागरिकों के लिए एकसमान है, परंतु दुर्भाग्य से वैश्विक शक्तियों ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को राजनीतिक हथकंडे के रूप में अपनाने का काम किया है। निष्पक्ष न होकर प्रभावशाली देशों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन पर हमेशा पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है। परिणास्वरूप, मानवाधिकार उल्लंघन की सीमा आज स्वतंत्रता छीनने से भी आगे बढ़कर नरसंहार तक पहुंच गई है।
हेमंत की गिरफ्तारी से 'इंडिया' पर आफत, एनडीए में राहत
इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं और अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अब भ्रष्टाचार के मामले में फंस चुके हैं। नौबत यहां तक आ गयी कि उन्हें ईडी द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। एक के बाद एक सहयोगी दलों के फंसने से इंडिया गठबंधन की मुसीबत बढ़ गयी है, वहीं एनडीए ने राहत की सांस ली है।
चौवालीस साल के सशस्त्र संघर्ष का हुआ अंत
अल्फा हुआ अतीत, जातीय विकास मंच के जरिए करेंगे विकास
'पलटीमार' फिर भी नीतीश सरकार
यह पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार ने ऐसा किया। इससे पहले वे 2013 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा से अलग हुए थे। तब उन्होंने भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर यह निर्णय लिया था। भाजपा के साथ चल रही सरकार से अलग होने के बाद कांग्रेस, सीपीआइ व निर्दलीय के भरोसे अपनी सरकार बचाई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को महज दो सीटें मिलने पर पद छोड़ जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। कुछ महीने बाद ही उन्हें हटा दोबारा सीएम बन गए थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ छोटा कद, बड़ा रुतबा
एक हिंदू नेता के रूप में योगी का बढ़ता कद, एक प्रशासक के रूप में उनकी सख्त छवि और उनका सर्वव्यापी करिश्मा 2024 के लोकसभा चुनावों में न केवल यूपी, बल्कि और राज्यों में भी भाजपा के लिए शानदार जीत सुनिश्चित करेगा। चुनाव प्रचार के लिए मोदी के बाद योगी की ही सबसे अधिक मांग होती है। यह विपक्ष के नेता भी स्वीकार करते हैं कि योगी ने उनके लिए यूपी की राह मुश्किल कर दी है। योगी 80 में 80 सीट जीतने के लिए मेहनत कर रहे हैं, जिससे फिर यह साबित हो जाएगा कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से ही होकर जाता है।
मायावती ने 'बड़ों' का साथ ठुकराया 'छोटों' को अपनाया
बसपा भले ही इस बार अकेले ही चुनाव मैदान में उतर रही हो, लेकिन बसपा प्रमुख ने यह भी कहा है कि चुनाव बाद अपनी शर्तों पर सरकार में शामिल हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए बसपा अपनी रणनीति भी तैयार कर रही है। उसकी कोशिश है कि मजबूत सीटो पर फोकस कर लिया जाए तो प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। बसपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती वो सीटिंग सीटें हैं, जहां वह पिछली बार चुनाव जीती थी। इसमें से वह यदि कुछ सीटें भी जीत लेती हैं तो चुनाव बाद सियासी सौदेबाजी की उनकी ताकत बढ़ जायेगी।
राममय हुआ भारत
अयोध्या और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मध्य 135 किमी का फासला है। इस लम्बे मार्ग के किनारे-किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ 'जय श्रीराम' का नारा लगा रही थी। सबके चेहरे पर उल्लास और उत्साह। सब आनंदित और सब प्रसन्न। देश और विदेश के तमाम क्षेत्रों में भी अपने-अपने ढंग से उल्लास व्यक्त करने वालों की भीड़ आश्चर्यजनक थी।
देवभूमि उत्तराखंड का श्रीराम से गहरा नाता
मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर शासन ने कुमाऊं क्षेत्र में स्थित पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदलकर सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व करने की अधिसूचना जारी कर दी है। यह क्षेत्र महर्षि वाल्मीकि, माता सीता और लव-कुश से जुड़ा माना जाता है। वहां स्थित मंदिर की देखरेख का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है। धामी सरकार ऐसी पहली सरकार है, जिसने किसी संरक्षित क्षेत्र का नामकरण माता सीता के नाम पर किया है।
मैं हूं, आदि-अनंत प्रभु श्रीराम की अलौकिक नगरी अयोध्या
मोदी अयोध्या को बनाना चाहते हैं 'हिन्दुओं की वेटिकन सिटी'
व्यास तहखाने में पूजा की 30 साल बाद मिली अनुमति
एक ओर जहां धार्मिक राजधानी काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों के अवशेष बरामद हुए, वहीं अब व्यास तहखाने में पूजा-पाठ पर लगी रोक समाप्त करने के मामले में भी हिंदू पक्ष की एक और जीत हासिल हो गई है।
हमारे राम आ गए
ये भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा भारत के उत्कर्ष का, भारत के उदय का। यह भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा भव्य भारत के अभ्युदय का, विकसित भारत का संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। न्याय के पर्याय प्रभु श्रीराम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से बना
उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव - सीएम धामी के मिशन को पूरा करेंगी राधा रतूड़ी
युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राधा रतूड़ी को शासन का नया बॉस बनाना खास मिशन का हिस्सा माना जा रहा है। हर मंच पर उत्तराखंडियत की बात करने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी अब उत्तराखंडियत से जुड़े हर मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं। उत्तराखंडियत व लोक कल्याण से जुड़े 4 बड़े संकल्प ऐसे हैं, जो सीएम धामी की प्राथमिकता में हैं और इन्हें पूरा करने में सीएम देरी करने के पक्ष में कतई नहीं हैं।
बेरोजगारी पर कड़ा प्रहार, धामी सरकार में रोजगार की भरमार
बीते वर्ष धामी सरकार ने बेरोजगारी को नियंत्रित करने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की, मगर अब आने वाले एक से दो वर्षों में उत्तराखंड में रोजगार का नया रिकॉर्ड बनने के आसार हैं। दरअसल, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिसंबर 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में 3.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश एमओयू हस्ताक्षर किए थे, अब उनकी ग्राउंडिंग होनी शुरू हो गई है। इससे प्रदेश में उद्योग व सेवा क्षेत्र का तेजी से विकास एवं विस्तार हो रहा है। इनसे निजी क्षेत्र में लाखों की संख्या में रोजगार व स्वरोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इसके लिए सीएम धामी निवेश की ग्राउंडिंग की हर महीने समीक्षा भी कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा निवेश को धरातल पर उतारा जा सके। वहीं, 'डेस्टिनेशन उत्तराखंड' भी कई अवसर पैदा करेगा।
'गुड गवर्नेस' ने परिवहन निगम को घाटे से उबारा
किसी ने ठीक कहा है कि 'कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तबीयत से तो उछालो यारो..' यह वाक्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार पर फिट बैठता है।
चौमुखी विकास व पारदर्शी तंत्र, 'सुशासन' ही सीएम धामी का मूल मंत्र
सुशासन का मुख्य लक्ष्य लोककल्याण व राज्य की समृद्धि माना जाता है। यही वजह है कि भारतीय लोकतंत्र में भी शासन में सदैव सुशासन को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सुशासन में आठ कारकों का होना अनिवार्य है। कानून सम्मत, जवाबदेही, पारदर्शिता, सर्वसम्मति, सहभागिता, समानता, समावेशी, सेवा क्रियान्वयन आदि।
पहले कश्मीर, फिर अयोध्या अब यूसीसी जो कहा, कर दिखाया
15 अगस्त 1947 का दिन, जब भारत ब्रिटिश गुलामी से पूर्णतः स्वतंत्र हुआ। परंतु किसे पता था कि स्वतंत्रता मिलने के कुछ ही समय बाद भारतीयों की जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा। देश के सामने दो ज्वलंत मुद्दे पैदा हुए, जिनके स्थायी समाधान की मांग उठी। एक था - जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370, जो देश की अखंडता व संवैधानिक एकरूपता को चनौती मिलना। दसरा था अयोध्या, जहां रामलला को उनके जन्म स्थान से दूर करना।
उत्तराखंड में यूसीसी धामी सरकार का 'मास्टर स्ट्रोक'
विधानसभा से यूसीसी विधेयक पारित होने के बाद अब इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। राज्यपाल व राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही धामी सरकार यूसीसी को प्रदेश में लागू कर देगी। इसी के साथ स्वतंत्र भारत में यूसीसी का कानून बनाकर लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बनेगा। धामी सरकार ने यूसीसी को लाकर इतिहास तो रचा ही, आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा 'मास्टर स्ट्रोक' चला है, जिससे विपक्ष चारों खाने चित्त है। केन्द्र सरकार ने पहले कश्मीर में अनुच्छेद 370 पर निर्णय, बाद में राम मंदिर का निर्माण और अब उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू करने की पहल करके धामी सरकार ने राष्ट्रीय परिदृश्य में भी लीड ले ली है।
इंडिया गठबंधन का 3 अस्तित्व खतरे में!
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने साफ कह दिया है कि वह अपने राज्य में कांग्रेस और में वामदलों के लिए कोई भी सीट नहीं छोड़ेंगी और अकेले ही चुनाव मैदान में जायेंगी। उधर, पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के दावे को सिरे से नकार दिया है। आप ने पंजाब और दिल्ली की सभी सीटों पर अकेले ताल ठोंकने की बात कह दी है। उधर, यूपी में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस को 11 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है जबकि यहां कांग्रेस कम से कम 20 सीटें मांग रही है।
सरकार का चरखा दांव
कुश्ती संघ के चुनाव में मिली हार पर महिला पहलवान साक्षी मलिक ने पहले संन्यास लेने का ऐलान किया, उसके बाद पहलवान बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर दिया। सारे घटनाक्रम और उसकी गंभीरता को देखते हुए केन्द्र सरकार ने चरखा दांव लगाते हुए कुश्ती संघ की नयी इकाई को निलंबित कर दिया।
समुद्री डकैतों को मुंहतोड़ जबाव देगा भारत
हिंद महासागर क्षेत्र की शांति, स्थिरता और समृद्धि बहुत से देशों की सुरक्षा और विकास के लिए जरूरी है। कई महासागर आधारित उद्योगों विशेषकर शिपिंग के लिए हिंद महासागर तो सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। मलक्का जलडमरूमध्य हो या होरमुज स्ट्रेट, बाब अलमंदेव की खाड़ी हो या यमन की खाड़ी, अरब सागर का विस्तार हो या बंगाल की खाड़ी सहित अंडमान सागर ये सभी सागरीय क्षेत्र हिंद महासागर की आर्थिक, रणनीतिक एवं सामरिक महत्व को दर्शाते हैं।
जलवायु परिवर्तन से निपटने को कितने तैयार हैं देश
वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है। इसके लिए जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाने की बात पहली बार की गई है जिससे वर्ष 2050 तक 'शुद्ध शून्य' लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। दरअसल अभी तक कई देश जो जीवाश्म ईंधन पर बड़े पैमाने पर निर्भर रहे हैं उन्होंने जीवाश्म ईंधन की कटौती के लक्ष्य को गंभीरता से लिया नही था।